लखनऊ यूनिवर्सिटी 'एजुकेशन फॉर हैप्पीनेस' कोर्स की करेगा शुरुआत, टेंशन छोड़ हर स्थिति में मुस्कुराने की अदा सीखेंगे स्टूडेंट
लखनऊ (उत्तर प्रदेश) (एएनआई)। Education for Happinessस्टूडेंट्स को हर स्थिति में मुस्कुराने की कला सिखाने के लिए लखनऊ विश्वविद्यालय ने एक खास पहल की है। लखनऊ विश्वविद्यालय अगले शैक्षणिक वर्ष से एमएड पाठ्यक्रम में 'एजुकेशन फॉर हैप्पीनेस' पाठ्यक्रम शुरू करने जा रहा है। यह दिल्ली की हैप्पीनेस क्लास की तर्ज पर ही है। इस संबंध में यूनिवर्सिटी में एजूकेशन डिपार्टमेंट की प्रोफेसर अमिता बाजपेयी ने एएनआई को बताया, यह कोर्स एमएड में वैकल्पिक होगा। यह इंटर-डिसिप्लिनरी होगा। इसलिए सभी पीजी छात्र इसका विकल्प चुन सकते हैं। अगले साल से इसे काउंसिल की मंजूरी के बाद पेश किया जाएगा।
एजुकेशन फॉर हैप्पीनेस स्टूडेंट्स के बीच अभी से पाॅपुलरअमिता बाजपेयी ने कहा कि आज बच्चे गलत स्थानों में खुशी की तलाश कर रहे हैं। उनकी खुशी वास्ताविक नहीं हेाती है। खुशी भीतर से आती है लेकिन वे भौतिक दुनिया में इसकी तलाश करते हैं। इसलिए हम उन्हें खुशी की वास्तविक अवधारणा बताना चाहते हैं और भारतीय अवधारणा से जोड़ना चाहते हैं। अमिता बाजपेयी ने यह भी कहा कि हालांकि यह पाठ्यक्रम अभी शुरू नहीं हुआ है, लेकिन यह स्टूडेंट्स के बीच अभी से पाॅपुलर हो रहा है। शिक्षा का वास्तविक उद्देश्य इस पाठ्यक्रम के माध्यम से पूरा होता है। हम मानते हैं कि एक शिक्षित व्यक्ति का जीवन एक अशिक्षित आदमी की तुलना में बेहतर होना चाहिए लेकिन वास्तविकता कुछ और है।
इस कोर्स से निश्चित रूप से समाज में एक बदलाव आएगाएक व्यक्ति जितना अधिक शिक्षित होता है, वह उतना ही अधिक प्रतिस्पर्धा पर केंद्रित होकर चिन्तित होता है। प्रोफेसर का मानना है कि स्टूडेंट्स द्वारा द्वारा इस पाठ्यक्रम को अपनाने के बाद निश्चित रूप से समाज में एक बदलाव देखा जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि हाल ही में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की पत्नी (मेलानिया ट्रम्प) ने दिल्ली के एक सरकारी स्कूल का दौरा किया जहां पर छात्रों को खुशी मिलती है। मैंने उस स्कूल के बारे में पढ़ा है। वहां के स्टूडेंट खुशी का अभ्यास करते हैं और खुश रहते हैं। उन्होंने कहा कि तनाव और खुशी संकेतकों की पहचान करना महत्वपूर्ण है।