राजनेता स्वतंत्रता सेनानी और शिक्षाविद के रूप में पहचाने जाने वाले मदन मोहन मालवीय की आज जयंती हैं। मालवीय जी ने ही एशिया की सबसे बड़ी आवासीय यूनिवर्सिटी बीएचयू बनार्इ है। जानें आज उनके बारे में कुछ एेसी ही खास बातें...


कानपुर। मदन मोहन मालवीय का जन्म 25 दिसंबर, 1861 को इलाहाबाद में हुआ था। यह राष्ट्रवादी, पत्रकार, सामाजिक कार्यकर्ता, वकील, राजनेता, शिक्षाविद और प्राचीन भारतीय संस्कृति के विद्वान के रूप में जाने गए। आधिकारिक वेबसाइट इंटरनेट डाॅट बीएचयू के मुताबिक  मदन मोहन मालवीय ने इतिहास के साथ प्राचीन, आधुनिक, पूर्वी और पश्चिमी संस्कृतियों को सहेजने का काम किया। मालवीय जी ने स्वतंत्रता संग्राम में अहम योगदान दिया। बीएचयू मदन मोहन मालवीय की ही देनमदन मोहन अखिल भारतीय हिूंदू महासभा के अग्रणी नेताओं में रहे। वह धार्मिक रवैये से जुड़े होने के साथ-साथ आधुनिक विचारों वाले थे। उन्होंने एक ऐसी यूनिवर्सिटी बनाने की जिम्मा उठाया जहां प्राचीन भारतीय परंपराओं को कायम रखते हुए देश-दुनिया में हो रही तकनीकी प्रगति की भी शिक्षा मिले। 1916 में स्थापित बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) उनकी ही देन है। बीएचयू आज एशिया की सबसे बड़ी आवासीय यूनिवर्सिटी बन चुकी है।


राजनीति में कांग्रेस का नेतृत्व करते थे

मदन माेहन मालवीय भारत की बहुलता में विश्वास रखने वाले और राजनीति में कांग्रेस का नेतृत्व करते थे। कांग्रेस की अाधिकारिक वेबसाइट के मुताबिक मदन माेहन मालवीय को  1909, 1918, 1932 और 1933 में कांग्रेस का अध्यक्ष चुना गया। हालांकि सरकार द्वारा उनकी गिरफ्तारी के कारण वह 1932 और 1933 के सत्रों की अध्यक्षता नहीं कर सके थे। उन पर प्रतिबंध लग गया था। मदन माेहन मावलीय कांग्रेस के मजबूत समर्थकों में गिने जाते थे। मरणोपरांत सर्वोच्च नागरिक सम्मान मिलाराष्ट्र के प्रति उनकी सेवा भाव को देखते हुए ही महामना पंडित मदन मोहन मालवीय को वर्ष 2014 में भारत सरकार द्वारा मरणोपरांत सर्वोच्च नागरिक सम्मान, भारत रत्न से सम्मानित किया गया। कहा जाता है कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने महात्मा गांधी ने उन्हें अपना बड़ा भाई कहते हुए भारत निर्माता की उपाधि दी थी। जीवन के अंतिम वर्षों में मदन मोहन मालवीय बीमारी से परेशान थे। उन्होंने ने 12 नवंबर, 1946 को बनारस में अंतिम सांस ली।

 

Posted By: Shweta Mishra