इंजीनियरिंग के स्टूडेंट्स अब अपने सिलेबस में रामायण और महाभारत भी पढ़ेंगे। यह फैसला मध्य प्रदेश सरकार ने लिया है। हालांकि मध्य प्रदेश सरकार के इस फैसले पर कांग्रेस उसकी जमकर खिंचाई कर रही है।


भोपाल (एएनआई)। मध्य प्रदेश सरकार द्वारा इंजीनियरिंग पाठ्यक्रम में महाभारत और रामायण को जोड़ने का फैसला करने के बाद, मध्य प्रदेश में कांग्रेस पार्टी इकाई ने राज्य में भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार को फटकार लगाई और सरकार से पूछा कि क्या धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र में यह ठीक कदम है। यह बवाल तब हुआ जब देश ने मंगलवार को हिंदी दिवस मनाया। इस संबंध में न्यूज एजेंसी एएनआई से बात करते हुए, मध्य प्रदेश कांग्रेस विधायक आरिफ मसूद ने कहा, 'उन्होंने रामायण और महाभारत का उल्लेख किया है, लेकिन उन्हें पाठ्यक्रम में कुरान, बाइबिल और गुरु ग्रंथ साहिब को भी शामिल करना चाहिए।'भारत एक धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र है
मसूद ने कहा, 'भारत एक ऐसा देश है जो सभी धर्मों को एक साथ रखता है। यह एक धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र है। यह न केवल संविधान की रक्षा करेगा बल्कि सरकार की मंशा को भी स्पष्ट करेगा।' मध्य प्रदेश के शिक्षा मंत्री डॉक्टर मोहन यादव ने 13 सितंबर को जानकारी दी कि राज्य में इंजीनियरिंग के छात्रों के पाठ्यक्रम में रामायण, महाभारत और रामचरितमानस को शामिल किया जाएगा। उन्होंने संवाददाताओं से कहा, 'मध्य प्रदेश सरकार ने नई शिक्षा नीति, 2020 के अनुसार, प्रथम वर्ष के स्नातक छात्रों के लिए इंजीनियरिंग पाठ्यक्रम में रामायण, रामचरितमानस और महाभारत के महाकाव्यों को शामिल करने का निर्णय लिया है। एनईपी 2020 के तहत पाठ्यक्रम तैयार राज्य के शिक्षा मंत्री ने कहा, 'जो कोई भी भगवान राम के चरित्र और समकालीन कार्यों के बारे में सीखना चाहता है, वह इन पाठ्यक्रमों में ऐसा कर सकता है। हमारे अध्ययन बोर्ड के शिक्षकों ने एनईपी 2020 के तहत पाठ्यक्रम तैयार किया है। अगर हम अपने गौरवशाली इतिहास को आगे बढ़ा सकते हैं, तो किसी को भी नहीं इसके साथ कोई समस्या होनी चाहिए।' इससे पहले सोमवार को मध्य प्रदेश के चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग ने कहा, 'हिंदी दिवस के मौके पर हमने तय किया है कि हम हिंदी भाषा में चिकित्सा शिक्षा का कोर्स शुरू करेंगे। हम सिलेबस तैयार करने के लिए एक कमेटी का गठन कर रहे हैं।

Posted By: Shweta Mishra