तंबुओं की नगरी में आकार ले रही आस्था
कल्पवास के लिए श्रद्धालुओं के आने का शुरू हुआ सिलसिला
12 जनवरी को पौष पूर्णिमा स्नान के साथ शुरू होगा कल्पवास एक माह तक चलेगा जप-तप और अनुष्ठान का दौर ALLAHABAD: संगम तीरे धर्म और आध्यात्म की एक नई दुनिया फिर आकार ले रही है। 1432 बीघे के क्षेत्र में चारों तरफ तम्बुओं का ही नजारा दिखाई दे रहा है। तम्बुओं की नगरी में जप-तप और अनुष्ठान के जरिए मोक्ष की कामना को लेकर इलाहाबाद सहित दूरदराज के क्षेत्रों से कल्पवासियों का जत्था तेजी से आने लगा है। जिनकी आध्यात्मिक साधना पौष पूर्णिमा से लेकर माघी पूर्णिमा तक चलती रहेगी। पांच सेक्टरों में मेलापांच सेक्टरों में बसने वाले क्षेत्र में दंडी स्वामी नगर, खाक चौक व आचार्य बाड़ा संन्यासियों से गुलजार हो गया है। 11 जनवरी तक सभी सेक्टरों में कल्पवासी पहुंच जाएंगे। जबकि सोमवार को महावीर, गंगोत्री-शिवाला और त्रिवेणी पाण्टुन पुल से ट्रैक्टर और खुद के वाहनों से श्रद्धालुओं व उनके परिजन अपने-अपने शिविरों में पहुंचे।
12 जनवरी को पहले प्रमुख स्नान पर्व के साथ क्षेत्र में जप-तप और अनुष्ठान का दौर शुरू हो जाएगा। नगरी में करीब 80 हजार श्रद्धालु कल्पवास की साधना में लीन हो जाएंगे। प्रमुख स्नान पर्वो की तिथियां 12 जनवरी : पौष पूर्णिमा 14 जनवरी : मकर संक्रान्ति27 जनवरी : मौनी अमावस्या
दो फरवरी : बसंत पंचमी 10 फरवरी : माघी पूर्णिमा माह भर नियम व संयम का व्रत भूमि शयन एक समय सात्विक भोजन दिन में फलाहार तीन बार गंगा स्नान रामायण का मासिक परायण गृहस्थ की चिंता ना करना, झूठ ना बोलना, पित्तरों को पिंडदान करना व विलासिता और निद्रा से दूर रहकर अध्यात्म में रम जाने की साधना ही मोक्ष का द्वार खोलती है। इसलिए शास्त्र सम्मत कल्पवास के नियम का पालन करने के लिए श्रद्धालु तम्बुओं की नगरी में आते हैं। पं। विद्याकांत पांडेय