Maha Shivratri 2021 महाशिवरात्रि को 'भगवान शिव की सबसे महान रात' के रूप में भी जाना जाता है। यह हिंदुओं के लिए सबसे शुभ दिनों में से एक है क्योंकि इस दिन भगवान शिव और देवी पार्वती का विवाह हुआ था। उनका आशीर्वाद लेने के लिए भक्त उपवास करते हैं और रुद्राभिषेक करते हैं। यहां जानें रुद्राभिषेक की सामग्री और विधि...

कानपुर (इंटरनेट डेस्क)। Maha Shivratri 2021 हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार महाशिवरात्रि दिन रूद्राभिषेक करना शुभ होता है, क्योंकि यह जीवन से सभी बुराइयों और नकारात्मकताओं को दूर करता है। इसके अलावा, यह राशि में ग्रहों की स्थिति के दोषों को दूर करता है। यह शिव को प्रसन्न करने के लिए पवित्र अनुष्ठानों में से एक है, जिसे रुद्र के रूप में भी जाना जाता है।

रुद्राभिषेक के लाभ
- दोष दूर होते हैं
- शिक्षा, नौकरी और करियर में सफलता
- घर में खुशियाें का आगमन
- सामंजस्यपूर्ण संबंध बनना
- निवास में शांति और सद्भाव लाना
- स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याओं का उन्मूलन करना
- वित्तीय परेशानियों का उन्मूलन

घर पर रुद्राभिषेक कैसे करें?
1. रुद्राभिषेक पूजा सामगरी
शिवलिंग
चौकी को कवर करने के लिए नए कपड़े का एक टुकड़ा
धतूरा, बेल पत्र, कनेरी फूल, सफेद फूल और गुलाब
पान
सुपारी, लौंग और इलायची
धुप / अगरबत्ती
दूर्वा
दिन
आरती के लिए कपूर
भस्म
चंदन
जनेऊ
अक्षत
नैवेद्य
शुद्ध घी
कच्चा दूध
फल
पंचामृत
नारियल
रुद्राभिषेक करने की एक बड़ी ट्रे
श्रृंगी
कलावा
पंच पात
जल
गंगाजल
शिव लिंग रखने के लिए एक चांदी या तांबे की थाली

2. रुद्राभिषेक पूजा विधान
लकड़ी की चौकी पर चांदी या तांबे की थाली रखें और उस पर शिवलिंग रखें।
शिवलिंग का नुकीला सिरा उत्तर की ओर होना चाहिए।
शुद्ध घी के साथ दीया जलाएं और इसे शिवलिंग के दाईं ओर रखें।
ईशान की ओर मुख करके आसन पर बैठें जबकि शिवलिंग उत्तर दिशा में हो।
पूजा करते समय पुरुषों और महिलाओं दोनों को अपना सिर ढकना चाहिए।
ओम केशवाय नमः, ऊँ नारायणाय नमः, ऊँ माधवाय नमः और ऊँ हृषिकेशाय नमः का जाप करते हुए आचमन करें।
पूजा शुरू करने से पहले भगवान गणेश, भगवान इंद्र और अपने कुल देवता का आवाहन करें और उनका आशीर्वाद लें।
देवताओं का आह्वान करते हुए शुद्धि के लिए अपने आसन और स्वयं पर गंगाजल छिड़कें।
अब ओम नमः शिवाय का जाप करते हुए शिवलिंग पर बेल पत्र चढ़ाएं।
अब, धीरे से चौकी से शिवलिंग को एक बड़े ट्रे में ले जाएं। कृपया ध्यान दें, रुद्राभिषेक करने से पहले बेलपत्र पर शिवलिंग रखें।
तिलक लगाकर अनुष्ठान आरंभ करें, 'ओम नमः शिवाय' का जाप करते हुए कुछ अक्षत, जल अर्पित करें।
अब पंचामृत अर्पित करें। इसे शिवलिंग पर धीरे से डालें।
फिर जल और अक्षत चढ़ाएं, इसके बाद चंदन जल से अभिषेक करें।
अब, जल और अक्षत अर्पित करें, उसके बाद पुष्प चढ़ाएं।
फिर कच्चा दूध चढाएं उसके बाद गंगाजल।
अब, शिवलिंग को धीरे से साफ करें और इसे वापस प्लेट में लकड़ी की चौकी में ले जाएं। कृपया ध्यान दें, शिवलिंग को बेल पत्र पर ही रखें।
धीरे से शिव लिंग को किसी साफ कपड़े से पोछें।
वस्त्र , जनेऊ अर्पित करें।
तीन अंगुलियों से चंदन लगाएं और फिर अक्षत अर्पित करें।
अब, बेल पत्र, भस्म, दुर्वा और फूल चढ़ाएं। फिर धुप चढ़ाएं, उसके बाद आरती करें।
फिर कुछ जल छिड़कते समय फल, पंचामृत, पान, सुपारी, लौंग और इलाची, नारियल, दक्षिणा, नैवेद्य के रूप में चढ़ाएं।
कृपया ध्यान दें: सभी प्रसाद बनाते समय ऊँ नमः शिवाय का जप करते रहें।
महा मृत्युंजय मंत्र का जप और कपूर से आरती करके पूजा का समापन करें।

Maha Shivratri 2021 Pujan Muhurat: शिव पूजन के हैं 4 शुभ मुहूर्त, महाशिवरात्रि पर ऐसे रखें व्रत भोलेनाथ होंगे प्रसन्न

Maha Shivratri 2021: जानें इस बार कब है महाशिवत्रि, पढ़ें महापर्व का महत्व और पूजन विधि

Maha Shivratri 2021: क्यों मनाई जाती है महा शिवरात्रि, जानें इसकी कथा और पूरा रहस्य

Posted By: Shweta Mishra