महाराष्ट्र की भाजपानीत सरकार ने मुसलमानों को दिया गया पांच फीसद आरक्षण रद्द कर दिया है. पिछली पृथ्वीराज चह्वाण सरकार ने विशेष पिछड़ा वर्ग के तहत मुस्लिम समाज की कुछ जातियों को शिक्षा एवं नौकरियों में यह आरक्षण देने की घोषणा की थी.


महाराष्ट्र में रद हुआ मुस्लिम आरक्षण


महाराष्ट्र सरकार ने मुस्लिम आरक्षण रद्द किए जाने संबंधी शासनादेश जारी किया है. राज्य सरकार ने कहा कि मुंबई उच्च न्यायालय के मुसलमानों को दिए जाने वाले आरक्षण पर रोक लगाए जाने से इस पर जारी अध्यादेश कानूनी रूप नहीं ले सकता है. इसलिए मुस्लिम आरक्षण संबंधी पूर्व में जारी आदेश रद्द किया जाता है. आपको बता दें कि पूर्ववर्ती कांग्रेस-राकांपा सरकार ने मराठों को 16 फीसद आरक्षण देने के साथ मुस्लिमों के भी एक वर्ग को शिक्षा एवं नौकरियों में पांच फीसद आरक्षण देने की घोषणा की थी. इस आरक्षण को चुनौती देते हुए मुंबई उच्च न्यायालय में एक याचिका दायर की गई थी. उच्च न्यायालय ने इस याचिका पर सुनवाई करते हुए 14 नवंबर, 2014 को मराठा आरक्षण के साथ मुस्लिम आरक्षण को भी स्थगित कर दिया था. लेकिन उच्च न्यायालय ने मुस्लिमों को शिक्षा के क्षेत्र में आरक्षण देने पर रोक नहीं लगाई थी.समाप्त हुई अध्यादेश की अवधि

दो मार्च को फड़नवीस सरकार के जारी शासनादेश में कहा गया है कि मुस्लिम आरक्षण संबंधी अध्यादेश के कानून में रूपांतरित न होने की वजह से इस अध्यादेश की अवधि 2 दिसंबर, 2014 को समाप्त हो गई है. अत: इस शासनादेश के माध्यम से 24 जुलाई, 2014 के शासन के फैसले को रद्द किया जाता है. चूंकि नौकरियों और शिक्षा, दोनों में आरक्षण के लिए एक ही अध्यादेश जारी किया गया था, इसलिए अब नया शासनादेश लागू होने के बाद मुस्लिमों को शिक्षा में भी आरक्षण का लाभ नहीं मिल सकेगा.कांग्रेस ने की आलोचनाफड़नवीस सरकार के इस शासनादेश की आलोचना करते हुए कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य हुसैन दलवई ने कहा है कि अदालत ने भी माना है कि मुस्लिम समाज शिक्षा में पिछड़ा हुआ है. इसलिए उसे शिक्षा में आरक्षण मिलना चाहिए. लेकिन सरकार के इस फैसले से साबित हो गया है कि यह सरकार सभी को साथ लेकर नहीं चलना चाहती.

Hindi News from India News Desk

Posted By: Prabha Punj Mishra