देवेंद्र फडणवीस के मुख्‍यमंत्री व अजीत पवार के डिप्‍टी सीएम के तौर पर शपथ लेने के बाद महाराष्‍ट्र की राजनीति में भूचाल आया हुआ है। सभी पार्टियां अपने विधायकों को जोड़े रखने की कोशिश में नजर आ रही हैं। दूसरी ओर शिवसेना कांग्रेस और एनसीपी ने सुप्रीम कोर्ट का भी दरवाजा खटखटाया है।

नई दिल्ली (ऐजेंसियां)महाराष्ट्र में सरकार गठन की जोड़तोड़ इस कदर पेचीदा हो जाएगी, शायद ही किसी ने सोचा होगा। फिलहाल ताजा घटनाक्रम के मुताबिक एनसीपी विधायक दल की बैठक के बाद एनसीपी नेता नवाब मलिक ने बताया है कि सर्वसम्मति से एक प्रस्ताव पारित किया गया कि पार्टी अजीत पवार के फैसले का समर्थन नहीं करती है और उन्हें एनसीपी विधायक दल के नेता के पद से हटा दिया गया है। अब विधायक दल के नये नेता के रूप में जयंत पाटिल को जिम्मेदारी सौंपी गई है।

Nawab Malik, NCP after meeting of party MLAs: A resolution was passed unanimously that party does not endorse Ajit Pawar's decision&he has been removed as NCP legislative party leader.Till the election of new leader,Jayant Patil is given responsibilities of the post. #Maharashtra pic.twitter.com/4PwefMVk71

— ANI (@ANI) November 23, 2019

देवेंद्र फडणनवीस के शपथ ग्रहण के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंचीं तीनों पार्टियां
शनिवार सुबह आनन फानन में महाराष्ट्र के राज्यपाल द्वारा देवेंद्र फडणवीस को मुख्यमंत्री और अजीत पवार को डिप्टी सीएम के तौर पर शपथ दिलाए जाने के खिलाफ शिवसेना, कांग्रेस और एनसीपी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। कांग्रेस-एनसीपी-शिवसेना के लिए वरिष्ठ अधिवक्ता देवदत्त कामत ने कहा कि याचिका में हमने सुप्रीम कोर्ट से कल ही होने वाले फ्लोर टेस्ट के लिए तत्काल निर्देश देने का अनुरोध किया है। हमें उम्मीद है कि सुप्रीम कोर्ट हमारी सुनवाई करेगा।

Supreme Court to hear on tomorrow at 11.30 am the joint plea of Shiv Sena, Nationalist Congress Party and Indian National Congress against the decision of Maharashtra Governor inviting Devendra Fadnavis to form the government on November 23. pic.twitter.com/Be4lMgmSNH

— ANI (@ANI) November 23, 2019शनिवार की सुबह महाराष्ट्र की सियासत में बड़ा उलटफेर देखने को मिला। देवेंद्र फडणवीस ने सीएम, तो अजीत पवार ने डिप्टी सीएम पद का शपथ ले लिया। यह पूरा घटनाक्रम ऐसे वक्त हुआ जब एनसीपी कांग्रेस और शिवसेना की राज्य में सरकार बनाने को लेकर सहमति बनगई थी। भाजपा नेता सुधीर मुनगंटीवार ने कहा कि भाजपा के पास 288 सदस्यीय सदन में 170 विधायकों का समर्थन है। ऐसे में अब शिवसेना, कांग्रेस और एनसीपी जहां एक ओर अपने विधायकों को टूटने से बचाने के लिए जुटी हई हैं। दूसरी ओर तीनों पार्टियों ने मिलकर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।

एनसीपी विधायकों को मुंबई के होटल में शिफ्ट किया गया
ताजा राजनीतिक घटनाक्रम की पृष्ठभूमि में कांग्रेस ने अपने विधायकों को भोपाल ले जाने का फैसला किया है। इस बीच, शिवसेना के विधायकों के भी मुंबई से जयपुर चले जाने की संभावना है। जबकि एनसीपी सूत्रों के अनुसार, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के विधायकों को मुंबई के रेनेसांस होटल में शिफ्ट किया गया है। 288 सदस्यीय विधानसभा में बहुमत का जादुई आंकड़ा 145 है। जबकि बीजेपी के पास अपने दम पर 105 विधायक हैं, उसे लगभग 20 निर्दलीय और छोटे दलों के विधायकों का समर्थन है।

NCP sources: Nationalist Congress Party (NCP) MLAs being shifted to Renaissance Hotel in Mumbai. #Mumbai pic.twitter.com/N9wcmOmMPN

— ANI (@ANI) November 23, 201950-50 पर अड़ी रही शिवसेना
शिवसेना के 50-50 के बंटवारे के फार्मूले पर अड़े रहने से चुनाव परिणाम आने के बाद त्रिशंकु विधानसभा की स्थिति पैदा हो गई। बीजेपी नेता रविशंकर प्रसाद ने कहा कि पार्टी सदन के पटल पर अपना बहुमत साबित कर देगी, कांग्रेस के कई लोग अभी भी उस दावे पर संदेह कर रहे हैं। शनिवार की सुबह राजभवन में बीजेपी के देवेंद्र फडणवीस ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री और अजीत पवार ने डिप्टी सीएम के रूप में शपथ ली।

Posted By: Chandramohan Mishra