RANCHI: इस बार सोमवार को चतुर्दशी तिथि को मनने वाली महाशिवरात्रि दुर्लभ संयोगों का योग लेकर आई है। ऐसा विशेष संयोग दोबारा अगले 17 सालों बाद ही बनेगा। 4 मार्च को प्रदोष काल में चतुर्दशी है और निथिस काल में और अ‌र्द्धरात्रि में भी चतुर्दशी है। वहीं, तुरीय संध्या में जब महादेव की पूजा होती है, उस समय भी चतुर्दशी है। यह अमोघ योग बनता है। इतना ही नहीं, इस दिन सुबह से ही सर्वार्थसिद्धि योग भी है, जो सभी प्रकार की सिद्धि देनेवाला और सारी मनोकामनाएं पूरा करनेवाला भी है। वहीं दोपहर के बाद यायिजय योग बन रहा है। इस तरह इस वर्ष महाशिवरात्रि बहुत ही दुर्लभ योगों का संयोग लेकर आई है।

शिवरात्रि की महिमा

प्रसिद्ध ज्योतिष आचार्य प्रणव मिश्रा बताते हैं कि इस व्रत के विषय में मान्यता है कि इस व्रत को जो जन करता है उसे सभी भोगों की प्राप्ति के बाद मोक्ष की प्राप्ति होती है। यह व्रत सभी पापों का छय करने वाला व्रत है। शिवपुराण में लिखा है कि इस व्रत को लगातार 14 वर्षो तक करने के बाद विधि-विधान के अनुसार इसका उद्यापन करना चाहिए।

व्रत विधि

महाशिवरात्रि व्रत को रखने वालों को उपवास करके पूरे दिन भगवान भोलेनाथ का ध्यान करना चाहिए। प्रात: स्नान के बाद हो सके तो भस्म का तिलक कर रुद्राक्ष की माला धारण की जाती है। इसके बाद इशान कोण दिशा की ओर मुख कर भगवान शिव का धुप-पुष्पादि से पूजन करना चाहिए। इस व्रत में चारों पहर पूजन किया जाता है। प्रत्येक पहर की पूजा में ओम नम: शिवाय का जप करते रहना चाहिए। अगर शिव मंदिर में यह जाप करना संभव नहीं हो तो अपने घर की पूर्व दिशा में किसी शांत स्थान पर जाकर जप किया जा सकता है। चारों पहर में किए जाने वाले इस मन्त्र जप से सिद्धि हो जाती है। इसके अलावा उपवास की अवधि में रुद्राभिषेक करने से भगवान भोले अत्यंत प्रसन्न होते हैं।

राशि के अनुसार शिव पूजन

मेष राशि: लाल वास्तु के भोग के साथ गुड़ और लाल चंदन से अभिषेक।

वृष राशि: दही-मिश्री मिलाकर अभिषेक करें। बतासा, चावल, सफेद फल प्रसाद से बाबा का पूजन करें।

मिथुन राशि: गन्ने का रस और फल के रस से अभिषेक करना चाहिए। मूंग, पान पत्ता और दूब अर्पण करना चाहिए।

कर्क राशि: घी और पंचामृत से अभिषेक करें। चावल, दूध, सफेद अकवन से बाबा का पूजन करें।

सिंह राशि: लाल चंदन और इत्र से अभिषेक करें। भोग के रूप में मीठा वस्तु और मखान रखें।

कन्या राशि: गन्ने और मौसमी का रस से अभिषेक करें। अर्पण के रूप में भांग, दूब और पान के पत्ता के साथ बेलपत्र का अर्पण करें।

तुला राशि :इत्र और चमेली तेल, मधु से अभिषेक करें। गुलाब या कमल में इत्र लगाकर अर्पण करें।

वृश्चिम राशि: पंचामृत और मधु से अभिषेक करें। लाल फल और लड्डू का भोग अर्पण करें।

धनु राशि: दूध, हल्दी और पिला चन्दन से अभिषेक करें। बेसन और नारंगी, केला का भोग लगाना चाहिए।

मकर राशि: ईख और नारियल के जल से अभिषेक करें। कमल फूल और बेल फल का अर्पण करें।

कुम्भ राशि: सरसो या तिल के तेल से अभिषेक करें। सम्मी का पत्र बेर या चिकू का अर्पण करें।

मीन राशि: पिला चन्दन या केसर उक्त जल से अभिषेक करें। पिला फल और फूल बाबा पर अर्पण करें।

Posted By: Inextlive