-साहित्य सेमिनार में बोले विद्वान

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PRATAPGARH(10 Oct, JNN): हनच्मच्चरितामृत महाकाव्य की शब्दावली हनुमान के अतुलित बल को प्रति¨बबित करती है। इसकी भाषा दमदार है। यह काव्य खंड उनके सेवाभाव, वाकचातुर्य के स्वरूप को दृष्टिगत रखते हुए लिखा गया है। यह बातें एचएन बहुगुणा स्नातकोत्तर महाविद्यालय के प्राचार्य डा.दुर्गा प्रसाद ओझा ने शनिवार को हनच्मच्चरितामृत महाकाव्य का विमोचन करते हुए कही। उन्होंने कहा कि गोस्वामी तुलसी दास के बाद अनिरुद्ध मुनि पांडेय आर्त द्वारा रचित महाकव्य हनुमान भक्ति को प्रदर्शित करता है।

वंदना से शुभारंभ

विशिष्ट अतिथि नगर पालिका अध्यक्ष हरि प्रताप सिंह ने कहा कि साहित्य को आगे ले जाने में उनका सहयोग रहेगा। कार्यक्रम का शुभारंभ राजमणि त्रिपाठी की वाणी वंदना से हुआ। कवियत्री पवन शर्मा ने सुनाया गंगा तुम कितनी पावन हो। इसके साथ ही अनंत, डा.श्याम शंकर श्याम, माफिक, .बीएन पांडेय, प्रमोद प्रियदर्शी, मधुर, भंवर, डा.राजेंद्र राज ने अपनी रचनाएं पढ़ीं। इस मौके पर डा.शक्ति कुमार पांडेय, वीके द्विवेदी, डा.पीयूष कांत शर्मा, पीबीपीजी के प्राचार्य डा.बृजभानु सिंह, सुनील प्रभाकर आदि मौजूद रहे। अध्यक्षता कहानीकार सुखदेव तिवारी व संचालन सागर सत्यार्थी ने किया। बीबी सिंह ने सभी के प्रति आभार प्रकट किया।

Posted By: Inextlive