छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के चंगोराभाटा इलाके में रहने वाली देवमति देवांगन से अगर आप भारतीय महिला बैंक की चर्चा करें तो वह लगभग बिफर जाती हैं. उन्हें इस बैंक के बारे में तो नहीं पता लेकिन वे अपने शहर के इंदिरा प्रियदर्शिनी महिला नागरिक सहकारी बैंक को चाह कर भी नहीं भुला पातीं.


रायपुर शहर के इंदिरा प्रियदर्शिनी महिला नागरिक सहकारी बैंक में उन्होंने करीब 12 साल पहले अपना खाता खुलवाया था. अलग-अलग तरह के काम करके बड़ी मुश्किल से जुटाए गए एक लाख रुपए से अधिक की रक़म उन्होंने खाते में जमा कराई.महिलाओं के लिए ख़ास तौर पर बनाए गए इस बैंक के संचालक मंडल में केवल महिलाएं थीं. बैंक में केवल महिलाओं को ही ऋण देने की व्यवस्था भी थी.देवमति की योजना थी कि कुछ वर्षों बाद बैंक से ऋण ले कर अपना पत्तल-दोना बनाने का व्यापार शुरू करेंगी. लेकिन एक दिन खबर मिली कि बैंक बंद हो गया है.देवमति के सारे सपने तार-तार हो गए.वे कहती हैं, “अब महिला बैंक हो या मर्द बैंक, मैं भले अपनी कमाई किसी अनाथ आश्रम में दे दूं, बैंक में तो क़दम नहीं रखूंगी.”महिला बैंक


छत्तीसगढ़ पुलिस ने ये नार्को टेस्ट कराया जिसकी सीडी में बैंक प्रबंधक ने दावा किया था कि उन्होंने बैंक घोटाले को दबाने के लिए राज्य के मुख्यमंत्री रमन सिंह और उनके चार मंत्रियों को करोड़ों रुपए की रिश्वत दी थी.

रायपुर के पुलिस महानिरीक्षक जीपी सिंह का कहना है कि नार्को टेस्ट की जो सीडी सार्वजनिक हुई, उसकी विश्वसनीयता पर कोई सवाल नहीं है. लेकिन नार्को टेस्ट के दौरान बैंक प्रबंधक ने जो बयान दिया था उसमें विरोधाभास था. इसलिए उस सीडी को अदालत में पेश नहीं किया गया.रायपुर की महापौर किरणमयी नायक का कहना है कि इस पूरे घोटाले को दबाने की कोशिश की गई.वे कहती हैं, "आंदोलन के अलावा मंत्रियों के भ्रष्टाचार की सीडी भी बंटी है. अभी चुनाव में भी यह मुद्दा था और नतीजे आने के बाद इसका परिणाम पता चलेगा.”किरणमयी नायक मानती हैं कि महिला बैंक के इस घोटाले में उन महिलाओं का भरोसा टूटा है, जो छोटा-मोटा काम करके इस बैंक में अपना पैसा जमा करती थीं.अफ़सरों की अनियमितताहालांकि बिलासपुर की बिलासा महिला नागरिक सहकारी बैंक की अध्यक्ष अरुणा दीक्षित इससे सहमत नहीं हैं.वे मानती हैं कि उनके बैंक समेत दूसरे महिला बैंकों में भी राजनीतिक हस्तक्षेप होता है लेकिन रायपुर का महिला बैंक अफसरों की अनियमितता का शिकार हुआ.

अरुणा दीक्षित कहती हैं, “हमारे बैंक में लगभग नौ हज़ार खाताधारक हैं और संचालक मंडल में 12 महिलाएं हैं. 16 वर्षों से हमारा काम बेहतर तरीके से चल रहा है. मुझे लगता है कि अब कहीं जा कर जब भारतीय महिला बैंक की शुरुआत हुई है तो इसे महिलाओं को मज़बूत करने की दिशा में एक बड़े क़दम के तौर पर देखा जाना चाहिए.”लेकिन देवमति और उनके जैसी जिन सैकड़ों महिलाओं के पैसे बैंक में डूब गए हैं, उनके सवालों के जवाब किसी के पास नहीं हैं.

Posted By: Subhesh Sharma