सीसीएस यूनिवर्सिटी में आयोजित किया गया कार्यक्रम

मेजर योगेंद्र यादव ने कारगिल की कहानी सुनाई

Meerut । सीसीएसयू में आयोजित कार्यक्रम में परमवीर चक्र विजेता मेजर योगेंद्र यादव ने कारगिल युद्ध के अपने अनुभवों को साझा किया। उन्होंने कई ऐसे किस्से सुनाए जिसे सुनकर हर किसी का सीना गर्व से चौड़ा हो गया। और आंखे शहीदों की याद में नम हो गई।

19 वर्ष आयु में सेना में हुए भर्ती

इस दौरान युवाओं से रुबरु होते हुए परमवीर चक्र विजेता योगेंद्र यादव ने कहा कि उन्होंने सीसीएसयू से ही स्नातक की पढ़ाई की है। बचपन में वीरों की कहानियों को पढ़ा था कि किस तरह से हमारे सैनिक मातृभूमि व देश की रक्षा के लिए अपनी जान तक कुर्बान कर देते है। इन्हीं कहानियों से प्रेरित होकर में 19 वर्ष की आयु में सेना में भर्ती हुआ था। शुरुआती दौर हमें अपने साथियों के साथ शिखर की चोटियों पर तैनात वीर जवानों के लिए खाने का सामान पहुंचाने का काम दिया गया था। जिसमें सिर्फ दो घंटे आराम करते हुए फिर से नीचे सामान लेने के लिए आते थे। उनके कार्य करने की क्षमता को देखते हुए ढाई साल की सेवा के बाद ही कारगिल की लड़ाई के लिए सबसे घातक टीम में चयन किया गया।

नहीं मानी हार

उसके बाद उनका और उनकी टीम का द्रास सेक्टर में पाक सेना से सामना हुआ। द्रास सेक्टर में पाकिस्तान सेना की स्थिति अच्छी थी। और वे लगातार गोलाबारी कर रहे थे। इसके बाद भारतीय सेना के जवानों ने अलग - अलग टुकड़ी में बंटकर पाकिस्तान की सेना को धूल चटा दी। लेकिन पाकिस्तान के सैनिकों की संख्या अधिक होने के कारण भारी गोलीबारी में उसके कई साथी शहीद हो गए। इसके बाद भी उन्होंने हार नहीं मानी और उनका सामना करते रहे, लेकिन जब एक समय ऐसा आया कि उनको भी गोली लग गई। जिसके बाद वह बेहोश हो गए। इसके बाद पाक के सैनिकों ने आकर चेक किया कि जीवित है या नहीं। पाक सैनिकों ने बड़ी क्रूरता के साथ शहीद हुए हमारे जवानों पर दोबारा गोली चलाई ताकि कोई जीवित न रहे। एक समय में तो उन्हे भी ऐसा लगा था कि अब वे नहीं बचेंगे और इसी बीच पाक के सैनिक कहने लगे अब नीचे जो भारतीय सैनिकों की टीम है उस पर हमला बोलना है तो उन्होंने भगवान से प्रार्थना की अब मुझे शक्ति दें ताकि वे नीचे तैनात टीम को इसकी जानकारी दें सकूं । उसके बाद वह पहाड़ी से नीचे कूद गए। और अपनी टीम को बताया, उसके बाद उन्हें नहीं पता क्या हुआ। लेकिन जब उनकी आंख खुली तो पता चला कि वह श्रीनगर के अस्पताल में है। तब साथियों ने बताया कि हमने उस चोटी पर तिरंगा फहरा दिया है।

Posted By: Inextlive