Makar Sankranti 2020 Celebration : पीठाधीश्वर गोरक्षपीठ महंत मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आज मकर संक्रांति खिचड़ी के पवित्र पर्व पर शिवावतारी महायोगी गुरु श्री गोरक्षनाथ जी को आस्था की खिचड़ी चढ़ाई। मुख्यमंत्री ने कहा कि व्रतों और पर्वों की हमारी लम्बी वैविध्यपूर्ण परम्परा में मकर संक्रान्ति का विशिष्ट महत्त्व है।

गोरखपुर (ब्यूरो)। Makar Sankranti 2020 Celebration मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बतौर पीठाधीश्वर मकर संक्रांति (15 जनवरी) को गोरखपुर स्थित गोरखनाथ मंदिर में सदियों पुरानी परंपरा का निर्वहन किया। तड़के करीब तीन बजे मंदिर का कपाट खुलते ही विधिवत पूजन अर्चन के साथ पीठाधीश्वर ने बाबा गोरखनाथ पहली खिचड़ी चढ़ायी। साथ ही देश एवं प्रदेश की सुख, समृद्धि और शांति की मन्नत मांगी। परंपरा के अनुसार तुरंत बाद नेपाल के राजा की ओर से आयी खिचड़ी चढ़ी। इसके बाद तो लाखों की संख्या में आये श्रद्धालु बाबा की जयघोष के साथ खिचड़ी (चावल-दाल) की बरसात ही कर दी। यह सिलसिला देर रात तक जारी रहा। फर्क सिर्फ यह रहा कि दोपहर तक दूर-दराज से आये लोगों की संख्या अधिक थी और दोपहर बाद शहरी लोगों की। यह सिलसिला देर रात तक जारी रहा।

पीठाधीश्वर गोरक्षपीठ, महंत @CMOfficeUP @myogiadityanath ने आज मकर संक्रांति (खिचड़ी) के पवित्र पर्व पर शिवावतारी महायोगी गुरु श्री गोरक्षनाथ जी को आस्था की खिचड़ी चढ़ाई। उन्‍होंने कहा कि व्रतों और पर्वों की हमारी लम्बी वैविध्यपूर्ण परंपरा में मकर संक्रान्ति का विशिष्ट महत्त्व है। pic.twitter.com/sj1lNfWO0N

— inextlive (@inextlive) January 15, 2020


मंदिर में दिखा आस्था, भक्ति और अपनेपन का संगम
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का पूरा समय श्रद्धालुओं खासकर अपने शहर के अपनों के ही बीच ही गुजरा। हर मिलने वालों से पहले की ही तरह उन्होंने प्रसाद के रूप में लइया-तिल लेने का आग्रह किया। दोपहर बाद हजारों लोगों के साथ सहभोज में भी शामिल हुए। कुल मिलाकर मुख्य मंदिर का परिसर बुधवार को आस्था, भक्ति और अपनेपन के संगम के रूप में दिखा। सोमवार की रात से ही शहर के सारे रास्तों पर चलने वालों का गंतव्य मंदिर ही था।
माह भर चलता है खिचड़ी मेला, देश भर से आते हैं लाखों श्रद्धालु
मंदिर परिसर में मकर संक्रांति से शुरू खिचड़ी मेला करीब एक महीने तक चलता है। इस दौरान पड़ने वाले हर रविवार और मंगलवार का अपना महत्व है। इन दिनों और वहां पर भारी संख्या में श्रद्धालु आते हैं। चूंकि यह उत्तर भारत के बड़े धार्मिक आयोजनों में से एक है। लिहाजा खिचड़ी मेले में पूरे उत्तर भारत से लाखों की संख्या में लोग आते हैं। इसमें से अधिकांश नेपाल-बिहार व पूर्वांचल के दूर-दराज के इलाकों से लाखों श्रद्धालु खिचड़ी चढ़ाने आते हैं। कुछ बाबा से मांगी मन्नत पूरी होने पर अपनी आस्था जताने आते हैं और कुछ मन्नत मांगने। यह सिलसिला सदियों से जारी है।
सदियों पुरानी है खिचड़ी चढ़ाने की परंपरा
गोरखनाथ मंदिर में खिचड़ी चढ़ाने की परंपरा सदियों पुरानी है। किदंवतियों के अनुसार त्रेता युग में अवतारी और सिद्ध गुरु गोरक्षनाथ भिक्षाटन के दौरान हिमाचल के कांगड़ा जिले के प्रसिद्ध ज्वाला देवी मंदिर गये। देवी प्रकट हुईं और गुरु गोरक्षनाथ को भोजन का आमंत्रण दिया। वहां के तामसी भोजन को देखकर गोरक्षनाथ ने कहा मैं तो भिक्षाटन से मिले चावल-दाल को ही ग्रहण करता हूं। इस पर देवी ने कहा कि मैं चावल-दाल पकाने के लिए पानी गरम करती हूं। आप भिक्षाटन कर चावल-दाल लाएं।
डालने लगे भिक्षापात्र में चावल-दाल
गुरु गोरक्षनाथ वहां से भिक्षाटन करते हुए हिमालय की तराई में स्थित गोरखपुर आ गये। वहां उन्होंने राप्ती और रोहिणी नदी के संगम पर एक मनोरम जगह पर अपना अक्षय भिक्षापात्र रखा और साधना में लीन हो गये। इस बीच खिचड़ी का पर्व आया एक तेजस्वी योगी को ध्यानमग्न देखकर लोग उसके भिक्षापात्र में चावल-दाल डालने लगे, पर वह तो अक्षय पात्र था। लिहाजा भरने से रहा। लोग इसे सिद्ध योगी का चमत्कार मानकर अभिभूत हो गये। तबसे गोरखपुर में बाबा गोरखनाथ को खिचड़ी चढ़ाने की परंपरा चली आ रही है।
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Posted By: Syed Saim Rauf