-पुत्र राजा शनि की राशि एवं गृह में प्रवेश करेंगे पिता मंत्री सूर्य देव सायं 07:52 बजे

-महापुण्य काल अपरान्ह 01:28 बजे से सूर्यास्त तक

BAREILLY : मकर संक्रांति यानि सूर्य मकर राशि में जिस दिन प्रवेश करता है, उस दिन मकर संक्रान्ति मनाई जाती है। यदि सूर्य मकर राशि में सूर्योदय से पूर्व प्रवेश करें तो मकर संक्रान्ति पहले दिन ही मनाई जायेगी। इस वर्ष सोमवार को मकर संक्रान्ति होना विशेष महत्वपूर्ण है, क्योंकि इस वर्ष के राजा भी शनि है साथ ही मंत्री भी सूर्य देव है। मकर संक्रान्ति अयन संक्रान्ति होने के कारण अति महत्वपूर्ण है। इस वर्ष सूर्य देव का मकर राशि में प्रवेश निरयण गणना के अनुसार 14 जनवरी संध्याकालीन 07:52 बजे होगा.

तिल से बनी वस्तुओं का विशेष महत्व

 

इस वर्ष मकर संक्रान्ति के समय 'आश्रि्वनी नक्षत्र' एवं 'सिद्ध योग' रहेगा। इसके देवता अश्वनी कुमार एवं गण 'देव' है जिसका फल शुभ माना जाता है। बालाजी ज्योतिष संस्थान के पं। राजीव शर्मा ने बताया कि ज्योतिष शास्त्र के अनुसार मकर संक्रान्ति के स्वामी सूर्य पुत्र शनि देव है। शनि के प्रकोप से मुक्ति पाने के लिए इस दिन की गई सूर्य उपासना महा शुभ है। मत्स्य पुराण के अनुसार मकर संक्रान्ति के दिन सूर्योपासना के साथ यज्ञ, हवन एवं दान को पुण्य फलदायक माना गया है। 'शिव रहस्य ग्रन्थ' में मकर संक्रान्ति के अवसर पर हवन पूजन के साथ खाद्य वस्तुओं में तिल एवं तिल से बनी वस्तुओं का विशेष महत्व बताया गया है

मकर संक्रान्ति का पुण्य काल

 

मुहुर्त चिंतामणि ग्रंथ के अनुसार सूर्य के संक्रान्ति से 40 घटी पहले और 40 घटी बाद तक पुण्य काल माना जाता है अत: विशेष पुण्य काल अपरान्ह 01:28 बजे के बाद से सूर्यास्त तक रहेगा परन्तु 15 जनवरी 2019 को भी मध्यान्ह काल तक सामान्य पुण्य काल रहेगा।

मकर संक्रान्ति का दान

 

मकर संक्रान्ति के दिन स्नान, दान का विशेष महत्व है। पद्मपुराण के अनुसार संक्रान्ति में दान करने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है। इस दिन भगवान सूर्य को लाल वस्त्र, गेंहू, गुड़, मसूर दाल, तांबा, स्वर्ण, सुपारी, लाल फल, लाल फूल, नारियल, दक्षिणा आदि सूर्य दान का शास्त्रों में विधान है। संक्रान्ति के पुण्य काल में किये गये दान-पुण्य सामान्य दिन के दान-पुण्य से करोड़ गुना फल देने वाले होता है। इस बार सोमवार को 'ध्वांक्षी' नामक (30 मुहुर्ती) मकर संक्रान्ति, लघु संज्ञक नक्षत्र 'आश्रि्वनी' में होने के कारण वैश्य व्यापार एवं उद्योगों से जुड़े लोगों को लाभकारी रहेगी।

मकर संक्रान्ति पर क्या करें

 

प्रात: स्नान करने के बाद सूर्य के सामने जल लेकर संकल्प करें, फिर बेदी पर लाल कपड़ा बिछाकर चंदन या अक्षतों का अष्ट दल कमल बनाकर उसमें सूर्य नारायण की मूर्ति स्थापित कर उनका स्नान, गंध, पुष्प, धूप तथा नैवेध से पूजन करें। 'सूर्याय नम:' जाप करें, साथ ही आदित्य ह्नदय स्त्रोत का पाठ कर घी, शक्कर तथा मेवा मिले हुये तिलों का हवन करें इनका दान भी करें। इस दिन धृत, कम्बल के दान का भी विशेष महत्व हैं। इस दिन किया गया दान, जप, तप, श्राद्ध तथा अनुष्ठान आदि का दो-गुना महत्व है। इस दिन इस व्रत को खिचड़ी कहते है। इसलिए इस दिन खिचड़ी खाने तथा खिचड़ा तिल दान देने का विशेष महत्व मानते है।

अशुभ ग्रहों को करें अनुकूल

 

मकर संक्रान्ति के पावन पर्व पर पूजा, दान, व्रत करने के अतिरिक्त कुण्डली के कमजोर ग्रहों के अशुभ प्रभाव को कम करने के लिये उनसे सम्बन्धित दान करके उनके अशुभ फलों को कम करके शुभ फलों में वृद्धि कर सकते हैं।

सूर्य ग्रह के कमजोर होने पर:- गेहूं, स्वर्ण, तांबा, बर्तन, गुड़, गाय, लाल वस्त्र लाल फूल, लाल चंदन आदि वस्तुओं का दान किसी गरीब ब्राह्माण आदि को दें

चंद्र ग्रह कमजोर होने के पर:- चांदी की वस्तुएं, मोती, चावल, दूध, शंख, कपूर, दूध, दही, खीर आदि वस्तुयें किसी कन्या अथवा महिला को दान करें

बुध ग्रह के कमजोर होने पर:- साबुत मूंग, स्वर्ण, हरा वस्त्र, पन्ना, कस्तूरी, हरी घास, हरी सब्जियां, किसी गरीब व्यक्ति को दान करें, विशेष रूप से किसी किन्नर को हरे कपड़ों के साथ हरी चूड़ी का दान अवश्य करें

मंगल ग्रह के कमजोर होने पर:- मूसर की दाल, लाल कपड़ा, गेंहू, सोना, तांबा, लाल चन्दन, मूंगा, गुड़, लाल बेल, मीठे पुए आदि दोपहर को किसी गरीब को दान करें

शुक्र ग्रह से सम्बन्धित:- सफेद रेशमी कपड़ा, चावल, दही, घी, गाय-बछड़ा, हीरा, इत्र, कपूर, शक्कर, सफेद तिल, मेकअप का सामान, ओपल आदि सांयकाल के समय किसी स्त्री को दान करें

बृहस्पति ग्रह के कमजोर होने पर:- पीली मिठाइयां, केला, हल्दी, पीला धान्य, पीला कपड़ा, पुखराज, स्वर्ण, चने की दाल, शहद, केसर, शक्कर आदि किसी ब्राह्माण अथवा गुरू को अपनी साम‌र्थ्य के अनुसार दान करें

शनि ग्रह के कमजोर होने पर:- काली उड़द, तेल, काले वस्त्र, लोहे की वस्तुयें, स्टील के बर्तन, काला तिल, कंबल, जूता, नीलम आदि वस्तुयें सांयकाल किसी गरीब वृद्ध को दान करें

राहू के कमज़ोर होने पर:- काले-नीले फूल, कोयला, नीला वस्त्र, कम्बल, गोमेंद, उड़द, तेल, लोहा, मदिरा आदि किसी गरीब व्यक्ति को दान करें

केतु ग्रह के कमजोर होने पर:- काला फूल, चाकू, लोहा, छतरी, सीसा, लहसुनिया, दुरंगा कंबल, कपिला गाय, बकरा, नारियल, कस्तूरी आदि वस्तुयें सांयकाल दान देना श्रेष्ठ रहेगा।

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मकर संक्रान्ति का महत्व

माना जाता है कि कर्क संक्रान्ति के समय सूर्य का रथ दक्षिण की ओर मुड़ जाता है। इससे सूर्य का मुख दक्षिण की ओर तथा पीठ हमारी ओर होती है। इसके विपरीत मकर संक्रान्ति के दिन से सूर्य का रथ उत्तर की ओर मुड़ जाता है अर्थात् सूर्य का मुख हमारी ओर (पृथ्वी की तरफ) हो जाता है। फलत: सूर्य का रथ उत्तराभिमुख होकर हमारी ओर आने लगता है। सूर्यदेव हमारे अति निकट आने लगते हैं। मकर संक्रान्ति सूर्य उपासना का अत्यन्त महत्वपूर्ण, विशिष्ट एवं एकमात्र महापर्व है। मकर से मिथुन तक की 6 राशियों में 6 महीने तक सूर्य उत्तरायण रहते हैं तथा कर्क से धनु तक की 6 राशियों में 6 महीने तक सूर्य दक्षिणायन रहते हैं। कर्क से मकर की ओर सूर्य का जाना दक्षिणायन तथा मकर से कर्क की ओर जाना उत्तरायण कहलाता है। सनातन धर्म के अनुसार उत्तरायण के 6 महीनों को देवताओं का एक दिन और दक्षिणायन के 6 महीनों को देवताओं की एक रात्रि माना गया है।

इस तरह मिलता है फल

पुराणों के अनुसार मकर संक्रान्ति सु:ख शान्ति, वैभव, प्रगति सूचक, जीवाें में प्राणदाता, स्वास्थ्य वर्धक, औषधियाें के लिए वर्णकारी एवं आयुर्वेद के लिए विशेष है। यदि संक्रान्ति दिन में हो तो प्रथम तृतीयांश में क्षत्रियों को, दूसरे तृतीयांश में ब्राह्माणों को, तीसरे तृतीयांश में वैश्यों को और सूर्यास्त के समय की संक्रान्ति शूद्रों को कष्टप्रद होती है। इसी प्रकार रात्रि के प्रथम प्रहर की संक्रान्ति घृणित कर्म करने वालों को, दूसरे प्रहर की संक्रान्ति राक्षसी प्रवृत्ति के लोगों को, तीसरे प्रहर की संक्रान्ति संगीत से जुड़े लोगों को, चौथे प्रहर की संक्रान्ति किसान, पशुपालक, मजदूरों के लिए दुखदायिनी होती है। मकर संक्रान्ति माघ मास में आती है, लेकिन इस वर्ष मकर संक्रान्ति पौष माह में पड़ रही है।

Posted By: Inextlive