- मकर संक्रांति के मौके पर गोरखनाथ मंदिर में उमड़ा जनसैलाब

- लाखों की संख्या में आए श्रद्धालुओं के लिए जिला और पुलिस प्रशासन की तरफ से किया इंतजाम

GORAKHPUR: हर-हर महादेव के जयकारे के साथ गोरखनाथ बाबा को खिचड़ी चढ़ाए जाने का सिलसिला गुरुवार को ब्रह्मामुहूर्त से ही शुरू हो गया। सबसे पहले खिचड़ी गोरक्षपीठाधीश्वर महंत योगी आदित्यनाथ ने अर्पित की। इसके बाद नेपाल से आई नेपाल नरेश की तरफ से आई खिचड़ी बाबा गोरखनाथ के चरणों मेंअर्पित की गई। इसके बाद श्रद्धालुओं द्वारा खिचड़ी चढ़ाने का सिलसिला तो शुरू हुआ तो वह सैलाब में तब्दील हो गया। मंदिर प्रशासन की मानें तो करीब चार लाख से ज्यादा श्रद्धालुओं ने मकर संक्रांति के मौके पर खिचड़ी चढ़ाई। लाखों की संख्या में आए श्रद्धालुओं के लिए मंदिर प्रशासन, जिला और पुलिस प्रशासन पूरी तरह से मुस्तैद दिखाई दिया। इस पर्व को अलग-अलग प्रांतों में अलग-अलग नाम से मनाया जाता है। मकर संक्रांति को तमिलनाडु में पोंगल के रूप में, आंध्रप्रदेश, कर्नाटक व केरला में यह पर्व संक्रांति के नाम से जाना जाता है।

देर रात तक चढ़ती रही खिचड़ी

मकर संक्रांति के मौके पर खिचड़ी चढ़ाने के लिए लोग बुधवार रात से ही मंदिर पहुंच गए थे। भोर के तीन बजते बजते श्रद्धालुओं का रेला गोरखनाथ मंदिर की तरफ बढ़ने लगा। देखते ही मंदिर पूरी तरह भक्तों से पट गया। गुरुवार देर रात क्0 बजे के बाद भी खिचड़ी चढ़ाने का सिलसिला चलता रहा। इन लाखों श्रद्धालुओं को कतारबद्ध तरीके से बाबा गोरखनाथ तक पहुंचने की जिम्मेदारी वालिंटियर्स की थी।

चलती चली आ रही है परंपरा

पौराणिक मान्यता है कि बाबा गुरु गोरक्षनाथ भगवान शिव के अंशज अवतार थे। वह एक बार हिमाचल के कांगण नामक क्षेत्र से विचरण करते हुए जा रहे थे। अभी वह ज्वाला देवी धाम के पास से गुजर रहे थे कि ज्वाला देवी ने प्रकट होकर धाम में आतिथ्य स्वीकार करने का आग्रह किया। उनके आग्रह पर ही वह भिक्षा मांगते हुए यहां पर आए और तप करने लगे। तभी से उन्हें खिचड़ी चढ़ाने की परम्परा अनवरत चली आ रही है।

क्या है परंपरा

सांख्य परम्परा का पीठ होने के कारण ज्वाला देवी के पीठ में मद्य-मांस का भोग लगता था। गोरखनाथ जी योगी थे, लेकिन मां ज्वाला देवी के आग्रह को नकारा नहीं जा सकता था। उन्होंने आग्रह किया कि मां मैं तो मधुकरी (भिक्षा) में जो कुछ प्राप्त होता है, उसी का सेवन करता हूं। देवी ने उनसे कहा कि आप भिक्षा मांगकर अन्न ले आइये और मैं चूल्हा जलाकर पानी गरम करती हूं। देवी ने पात्र में पानी भर चूल्हे पर चढ़ा दिया। गोरखनाथ जी भ्रमण करते हुए वनाच्छादित क्षेत्र (वर्तमान गोरखपुर) पहुंचे। त्रेता युग में यह क्षेत्र वनों से घिरा हुआ था। उन्हें यह क्षेत्र तप करने के लिए अच्छा लगा और वह यहीं तप करने लगे। भक्तों ने गुरु गोरखनाथ के लिए कुटिया बना दी। उन्होंने बाबा के चमत्कारी खप्पर (भिक्षा मांगने का पात्र) में खिचड़ी भरना प्रारम्भ कर दिया। यह मकर संक्रांति की तिथि थी। यह खप्पर आज तक नहीं भरा है और तभी से प्रतिवर्ष गोरखनाथ मंदिर में श्रद्धा और आस्था की खिचड़ी चढ़ाने की परम्परा निरंतर चली आ रही है।

थाने पर कर सकते हैं शिकायत

मंदिर में आने वाले श्रद्धालुओं के साथ कोई अप्रिय घटना न हो इसके लिए मंदिर के भीतर मेला थाना बनाया गया है। जहां पुरुष पुलिस की तैनाती के साथ महिला जवानों की भी तैनाती की गई है।

अधिकारियों ने भी बाबा गोरखनाथ के किए दर्शन

इस दौरान पूरे दिन प्रशासनिक अधिकारियों ने भी बाबा गोरखनाथ के दर्शन दर्शन किये। डीएम रंजन कुमार, एसएसी दिलीप कुमार, एडीएम सिटी बीएन सिंह समेत कई आला अफसर शामिल रहे। अफसरों ने दर्शन के साथ मौके की व्यवस्था का भी जायजा लिया और संबंधित अधिकारियों को जरूरी दिशा निर्देश दिए।

वर्जन

मकर संक्रांति के मौके पर दूसरे राज्यों से श्रद्धालु खिचड़ी चढ़ाने आते हैं। पड़ोसी देश नेपाल के श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है। करीब एक महीने का खिचड़ी मेला होता है। इसके लिए सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं।

महंत योगी आदित्यनाथ, गोरक्षपीठाधीश्वर

Posted By: Inextlive