बड़े पर्दे पर ख़ूबसूरत दिखने वाले सितारे और उनकी चमक-धमक ग्लैमर से प्रभावित होते दर्शक. जब से भारत में फ़िल्मों की शुरुआत हुई है तब से लेकर अब तक ये समाज का अभिन्न हिस्सा रही हैं और लोगों पर अपना प्रभाव छोड़ती रही हैं. सिनेमा के शौक़ीन रुपहले पर्दे पर अपनी ख़ूबसूरती बिखेरते कलाकारों जैसे बनने की चाह लिए रहते हैं. दीपक सावंत ने स्मिता पाटिल की मौत के बाद उनके शव का मेकअप किया था और उन्हें सुहागन की सरह सजाया था


लेकिन आज हम आपको मिलवाएंगे कुछ ऐसे लोगों से जो इन कलाकारों को ख़ूबसूरत बनाते हैं या यूं कहें कि इनकी ख़ूबसूरती निखारते हैं. इन लोगों को आप में से बहुतों ने पहले कभी नहीं देखा होगा, इनके बारे में कभी जाना नहीं होगा लेकिन ये ही हैं वो लोग जिनकी मेहनत सितारों के चेहरों को चमकाती और दमकाती है.दीपक सावंत, अमिताभ बच्चन के मेक-अप मैन(अमिताभ के परिवार से दीपक सावंत का बेहद नज़दीकी नाता है)दीपक सावंत बताते हैं कि जब 80 के दशक में अमिताभ बच्चन राजनीति में चले गए थे उस दौरान उन्होंने स्मिता पाटिल के साथ काम किया. तब स्मिता उनसे कहतीं, “दीपक जी, आप नहीं होते तो मैं मसाला फ़िल्मों में कभी काम ही नहीं कर पाती.”


दीपक सावंत ने बताया स्मिता पाटिल की ख़्वाहिश थी कि मौत के बाद उन्हें एक शादीशुदा महिला की तरह सजाया जाए. जब स्मिता पाटिल की असमय मौत हो गई तो उनके शव को तीन दिनों तक बर्फ़ में रखा गया था क्योंकि स्मिता की बहन अमरीका में रहती थीं और उन्हें आने में वक़्त लगा.

दीपक कहते हैं, “जब स्मिता की शवयात्रा निकली तो उसके पहले मैंने उनके शव का सुहागन की तरह मेकअप किया. वो बहुत ख़ूबसूरत लग रही थीं.“संगीता खन्ना(विपुल भगत 27 सालों से मेकअप इंडस्ट्री में हैं)विपुल भगत एक मध्यमवर्गीय परिवार से हैं. बॉलीवुड में 27 साल से काम करने वाले विपुल ने जब शुरुआत में इस क्षेत्र में आने की ठानी तो उनके मां-बाप ने इस पर बड़ी नाराज़गी दिखाई.लेकिन आज विपुल की कामयाबी से वो दोनों ख़ुश हैं.उन्होंने कई फ़ैशन शोज़ और फ़िल्में की हैं. मलाइका अरोरा ख़ान उनकी क़रीबी दोस्त हैं. विपुल बताते हैं कि बॉलीवुड में कई अभिनेत्रियां ऐसी हैं जो बिना मेकअप किए घर से बाहर क़दम नहीं रखतीं.मेकअप की तकनीक में बदलाव के बारे में विपुल ने बताया, "पहले मेकअप ख़ासा मोटा हुआ करता था. अब तो कॉस्मेटिक्स की दुनिया में बड़ा बदलाव आ गया है. कई बड़ी कंपनियां मेकअप का सामान बनाने लगी हैं. बाज़ार में सब कुछ आसानी से मिल जाता है."विक्रम गायकवाड(एक विज्ञापन की शूटिंग के लिए रणबीर कपूर का मेकअप करते विक्रम गायकवाड़)विक्रम गायकवाड भी फ़िल्मों का जाना-माना नाम है. वह इस वक़्त दिबाकर बनर्जी की ब्योमकेश बक्शी, करण मल्होत्रा की शुद्धि और राकेश ओमप्रकाश मेहरा की एक फ़िल्म में काम कर रहे हैं.

उन्हें ' द डर्टी पिक्चर' में बेहतरीन काम के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार मिल चुका है.विक्रम एक मज़ेदार वाकया याद करते हैं. "फ़िल्म मेकिंग ऑफ़ महात्मा की शूटिंग दक्षिण अफ़्रीका में चल रही थी तब एक ब्रिटिश कलाकार को नकली मूंछ लगानी थी. वो जगह जोहानसबर्ग से चार सौ किलोमीटर दूर थी. समय पर मेकअप वैन ना पहुंचने की वजह से घोड़े की पूंछ का इस्तेमाल कर नकली मूंछ बनाई गई."विक्रम गायकवाड़ कहते हैं कि समय के साथ-साथ मेकअप आर्टिस्ट की इज़्ज़त भी बॉलीवुड में बढ़ती जा रही है. लेकिन विक्रम महिला और पुरुष मेकअप आर्टिस्ट के बीच के भेदभाव से बहुत ख़फ़ा हैं और चाहते हैं कि महिला मेकअप आर्टिस्ट को भी बराबरी के मौक़े मिलने चाहिए.

Posted By: Satyendra Kumar Singh