- काकोरी कांड के अमर शहीद रोशन सिंह को दी गई थी फांसी

- अंग्रेजों के जमाने की जेल तोड़कर मरीजों के लिए बनेगा सुपर स्पेशियलिटी ब्लाक

काकोरी कांड के अमर शहीद रोशन सिंह को दी गई थी फांसी

- अंग्रेजों के जमाने की जेल तोड़कर मरीजों के लिए बनेगा सुपर स्पेशियलिटी ब्लाक

ALLAHABAD: allahabad@inext.co.in

ALLAHABAD: ऐतिहासिक मलाका जेल अब इतिहास के पन्नों दर्ज होकर रह जाएगी। एसआरएन हॉस्पिटल कैंपस स्थित इस जेल को तोड़ने का कम शुक्रवार से शुरू हो गया है। शासन इस जमीन पर सुपर स्पेशियलिटी ब्लॉक बनाने जा रहा है। इस जेल में कभी काकोरी कांड के अमर शहीद रोशन सिंह को फांसी पर लटकाया गया था। कुछ दिनों पहले इस परिसर को पीडब्ल्यूडी ने अपना गोदाम बना लिया था।

पहले ही गायब हो चुका है काफी हिस्सा

स्वतंत्रता संग्राम की कहानी बयां करने वाली मलाका जेल जल्द ही यादों में सिमटकर रह जाएगी। जेल का काफी हिस्सा तो पहले ही गायब हो चुका है। शेष बचे हिस्से को तोड़ने का काम शुक्रवार से शुरू कर दिया गया। एसआरएन परिसर स्थित इस एतिहासिक जेल के स्थान पर अब सुपर स्पेशियलिटी ब्लाक की स्थापना कराई जाएगी। मरीजों को यहां आधुनिक इलाज मिल सकेगा। शुक्रवार को जेल की छत को गिरा दिया गया।

क्या है इस जेल का इतिहास

मलाका जेल में क्रांतिकारी ठाकुर रोशन सिंह की प्रस्तर की प्रतिमा आज भी मौजूद है। इसी जेल में उनको फांसी दी गई थी। वह काकोरी कांड के अभियुक्त थे। सन क्8क्9 के आसपास बनी इस जेल में दो दर्जन से अधिक बैरक थीं। आजादी के बाद इसको सुधारगृह बना दिया गया।

आइए जानते हैं कब-कब और क्या हुए परिवर्तन-

-क्9भ्0 में सरकारी आदेश के बाद जेल को यहां से हटाकर नैनी स्थानांतरित कर दिया गया

- जेल हटने के बाद काफी दिनों तक यहां बंगला शरणार्थी रहे। इसके बाद यहां गवर्नमेंट प्रेस बन गया

- कुछ समय बाद इसको रानी बोतियां ने खरीद लिया। उनकी मौत के बाद क्9म्ख् के आसपास यहां स्वरूपरानी नेहरू अस्पताल बना

- जेल के इस प्रमुख हिस्से को स्मारक बनाने के लिए छोड़ दिया गया।

स्मारक बना देते तो अच्छा होता

मलाका जेल को कई बार स्मारक बनाने की मांग भी उठी, लेकिन इस पर गौर नहीं किया गया। लोगों का कहना है कि अंग्रेजों के जमाने की इस जेल को तोड़ने के बजाय अगर उसको स्मारक बना दिया जाए तो अच्छा रहता है। लोगों का कहना है कि मलाका जेल परिसर में बड़े पैमाने पर खेती की जाती थी। आसपास रहने वाले परिवारों की मानें तो उनके पुरखे जेल की तमाम कहानियां उन्हें सुनाते थे। कहते थे कि जेल में कई कुएं थे। जेल गेट के पास ही जेलर का बंगला हुआ करता था। जिन्हें फांसी दी जाती थी, उन्हें छोटी छोटी कोठरियों में रखा जाता था। क्रांतिकारियों को सीढि़यों में बांधकर मारा जाता था। शरीर के जख्मों को नमक से भीगे कपड़ों से दबाया जाता था।

- जेल के स्थान पर शासन सुपर स्पेशियलिटी ब्लाक बनवाएगा जहां तमाम तरह की आधुनिक सुविधाएं मरीजों के लिए उपलब्ध रहेंगी। इसकी प्रक्रिया काफी पहले से चल रही थी।

डॉ। मंगल सिंह, एसआईसी, एसआरएन हॉस्पिटल

Posted By: Inextlive