मालदीव में सुप्रीम कोर्ट और सरकार के बीच टकराव तथा राजनीतिक संकट पर भारत और चीन दोनों देश पैनी नजर बनाए हुए हैं। भारत ने कहा कि वह इस संकट से चिंतित है और स्‍टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर यानी एसओपी का पालन करेगा। इसके तहत सैन्‍य विकल्‍प पर भी विचार किया जा सकता है। इधर चीनी विदेश मंत्रालय ने कहा है कि मालदीव के राजनीतिक दल आपसी बातचीत से इस समस्‍या का समाधान निकालने में सक्षम हैं।


एयरबेस पर सैन्य गतिविधियां, पूर्व राष्ट्रपति सैन्य दखल की कर चुके हैं अपीलदेश में आपातकाल लागू करके सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस को गिराफ्तार करने के बाद मालदीव के पूर्व राष्ट्रपति मोहम्मद नशीद भारत से राजनीतिक और सैन्य दखल की अपील कर चुके हैं। एसओपी के तहत सैन्य विकल्प भी होता है। भारतीय विदेश मंत्रालय ने एक परामर्श जारी करके अपने नागरिकों को मालदीव की गैर जरूरी यात्रा से पहले ही मना कर चुका है। ऐसे में उम्मीद है कि वह सैन्य कार्रवाई के विकल्प का सहारा ले सकता है। हालांकि इसकी आधाकारिक पुष्टि नहीं हो सकी है। सूत्रों के हवाले से एक एयरबेस पर सैनिक गतिविधियां देखी जा रही हैं। भारतीय नौसेना मालदीव के चारों ओर गश्त करती है। दोनों देशों की नौसेना के बीच अच्छा तालमेल है।चीन की मालदीव संकट पर नजर, कहा स्थिति से निपटने में सक्षम देश


चीन ने हिंद महासागर में रणनीतिक विस्तार के तहत मालदीव में काफी निवेश किया है। चीन का कहना है कि मालदीव संकट को सुलझाने में देश के राजनीतिक दल सक्षम हैं। उम्मीद है कि यह संकट आपसी बातचीत से जल्दी ही सुलझ जाएगा। चीनी विदेश मंत्रालय ने कहा कि बीजिंग की मालदीव संकट पर नजर है। चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गेंग शुआंग ने कहा कि हमें उम्मीद है कि मालदीव के राजनीतिक दल आपसी बातचीत से मसले को हल कर लेंगे और जल्दी ही देश में राजनीतिक स्थिरता बहाल हो जाएगी। प्रवक्ता ने यह भी कहा कि मालदीव चीनी परियोजना, उसके लोग और संस्थानों को सुरक्षित बनाए रखने के लिए तत्काल उपाय करे। 2017 में चीन के साथ मुक्त व्यापार में शामिल होने वाला पाकिस्तान के बाद मालदीव दूसरा देश बन गया था। इस पर भारत और मालदीव की विपक्षी पार्टियों ने आपत्ति जाहिर की थी।9 राजनीतिक कैदियों को रिहा करने के आदेश के बाद मालदीव में संकट

सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक आदेश में नौ राजनीतिक कैदियों को रिहा करने का आदेश दिया था। इस आदेश को मानने से मालदीव की सरकार ने इनकार कर दिया था। यदि यह आदेश सरकार मान लेती तो मौजूदा राष्ट्रपति को इस्तीफा देना पड़ता क्योंकि सरकार अल्पमत में आ जाती। मालदीव के अटार्नी जनरल ने सेना और पुलिस से सुप्रीम कोर्ट के आदेश को मानने से मना कर दिया था। इतना ही नहीं मौजूदा राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन ने देश में आपातकाल की घोषणा करके सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस को गिरफ्तार कर लिया। इसके बाद से ही मालदीव में राजनीतिक संकट गहरा गया है। पूर्व राष्ट्रपति मोहम्मद नशीद ने भारत और अमेरिका से दखल देने की मांग की थी। नशीद श्रीलंका में निर्वासित जीवन व्यतीत कर रहे हैं।

Posted By: Satyendra Kumar Singh