मालदीव में लोकतंत्र के दमन का सिलसिला जारी है। राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन के प्रभाव वाले सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों ने 12 विरोधी सांसदों की सदस्यता निलंबित कर दी है। यह फैसला सोमवार को संसद में सरकार के शक्ति परीक्षण से कुछ घंटों पहले रविवार रात किया गया। इससे पहले एक फरवरी को सुप्रीम कोर्ट ने ही इन सांसदों की सदस्यता बहाल की थी।


राष्ट्रपति से मतभेद को लेकर छोड़ दी थी पार्टीजिन सांसदों की सदस्यता निलंबित की गई है वे पहले सत्तारूढ़ दल के ही थे। लेकिन राष्ट्रपति यामीन से मतभेदों के बाद उन्होंने पार्टी छोड़ी। इसके बाद स्पीकर ने उन्हें संसद से निलंबित कर दिया। सुप्रीम कोर्ट में अपील करने पर सभी 12 सांसदों को राहत मिली और एक फरवरी को उन्हें बहाल कर दिया गया। लेकिन रविवार को सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला पलट दिया। तीन सदस्यीय पीठ ने ताजा आदेश अटॉर्नी जनरल की अपील पर सुनवाई करते हुए दिया है। इस बीच देश में आपात स्थिति लागू है और मुख्य न्यायाधीश व एक अन्य वरिष्ठ न्यायाधीश को सरकार ने कैद करवा रखा है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अल्पमत में थी सरकार
सुप्रीम कोर्ट के 1 फरवरी के फैसले के बाद 85 सदस्यों वाली संसद में यामीन की पार्टी अल्पमत में आ चुकी थी और यामीन की कुर्सी को खतरा पैदा हो गया था। अब जबकि 12 सदस्यों की सदस्यता निलंबित हो चुकी है तब यामीन को 73 सदस्यीय सदन में बहुमत साबित करना होगा। इससे पहले फरवरी के प्रारंभ में सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व राष्ट्रपति मुहम्मद नशीद और आठ अन्य राजनीतिक कैदियों को दोषमुक्त करते हुए उनकी सजा खत्म करने का आदेश दिया था। राष्ट्रपति यामीन के इस आदेश को मानने से इन्कार कर दिए जाने के बाद देश में राजनीतिक संकट पैदा हुआ। इसके बाद पूर्व राष्ट्रपति मामून अब्दुल गयूम को भी गिरफ्तार कर लिया गया। गयूम 30 साल तक देश की सत्ता पर काबिज रह चुके हैं।आपात स्थिति को 15 दिन और बढ़ाने का प्रस्ताव6 फरवरी से 15 दिन के लिए देश में लागू आपात स्थिति को राष्ट्रपति यामीन ने बढ़ाने का प्रस्ताव रखा है। संसद में रखे गए प्रस्ताव में देश के हालात को सामान्य करने के लिए आपात स्थिति की जरूरत बताई गई है। आपात स्थिति को 15 दिन के लिए और बढ़ाने का प्रस्ताव है। मालदीव में व्याप्त राजनीतिक संकट से वहां पर्यटकों की आमद-रफ्त काफी कम हो गई है। पर्यटन ही मालदीव में आमदनी का मुख्य जरिया है।

Posted By: Satyendra Kumar Singh