यह भी जानें

-30000 लेडीज डिस्ट्रिक्ट में मोटापे का हैं शिकार

-40000 प्रेग्नेंट लेडीज में पाया गया मोटापा

-5627 बच्चे मलन्यूट्रिशन से मिले इफेक्टेड

- एफएसडीए की ओर से डब्ल्यूएचओ को सौंपी रिपोर्ट में मलन्यूट्रिशन के लिए मोटापे को बताई वजह

-पिछले पांच सालों में दो गुना बढ़ा महिलाओं में मोटापा, लेडीज को नहीं किया जा रहा अवेयर

अंकित चौहान, बरेली : डिस्ट्रिक्ट में मलन्यूट्रिशन यानि कुपोषण दूर करने के लिए तरह-तरह की योजनाएं चलाई जा रही हैं। लेकिन इसके बावजूद पिछले पांच सालों में डिस्ट्रिक्ट में मलन्यूट्रिशन का ग्राफ लगातार बढ़ रहा है। साल 2019 में फूड सिक्योरिटी एंड ड्रग डिपार्टमेंट की ओर राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण किया गया। डिपार्टमेंट द्वारा डब्ल्यूएचओ को सौंपी गई रिपोर्ट ने चौंकाने वाला खुलासा किया है। रिपोर्ट के मुताबिक प्रेग्नेंट लेडीज के अनरूटीन लाइफस्टाइल और मोटापे की वजह से मलन्यूट्रिशन बढ़ रहा है। लेडीज का टाइम से फूड न लेना और जरूरत से ज्यादा डाइट की वजह से जहां एक ओर उनका मोटापा बढ़ रहा है वहीं दूसरी ओर इसकी वजह से बच्चों में मलन्यूट्रिशन की प्रॉब्लम बढ़ रही है।

ऐसा बढ़ रहा मलन्यूट्रिशन

एनआरसी डायटीशियन रोजी जैदी का कहना है कि महिलाओं को प्रेग्नेंसी के टाइम पर भूख ज्यादा लगती है, जिस कारण वह बार-बार कुछ न कुछ खाती हैं। जिससे यूटरस पर लोड बढ़ता है। इसकी वजह से बच्चे तक जरूरी चीजों का पोषण नहीं पहुंच पाता है। वहीं लेडीज जंक फूड, पूड़ी और चाट आदि बहुत पसंद करती हैं जिससे प्रेग्नेंसी के टाइम पर उनका वजन तेजी से बढ़ता है। साथ ही वे एक्सरसाइज भी नहीं करती है। जिससे वे मोटापे का शिकार हो जाती हैं। उनके मोटापे की वजह से बच्चे मलन्यूट्रिशन का शिकार हो जाते हैं।

14 परेसेंट लेडीज मोटापे का शिकार

डिस्ट्रिक्ट में 11 प्रतिशत पुरुष और 14 प्रतिशत महिलाएं मोटापा या अधिक वजन की चपेट में है। हाल ही में आई रिपोर्ट के अनुसार करीब 70 हजार लोग जिले में मोटापे का शिकार है जिनमें 30000 महिलाएं शामिल हैं, इनमें से करीब 20 हजार महिलाएं ऐसी हैं जोकि प्रेग्नेंट हैं।

अवेयनेस प्रोग्राम भी नहंी

इस ओर कौन देगा ध्यान

कुपोषण के ग्राफ में बरेली का निचले पायदान पर लाने के लिए भले ही महकमा पोषण वाटिका जिले भर में बनवाने की बात कर रहा हो लेकिन मोटापा का बढ़ता रेश्यो को कम करने के लिए कोई अवेयरनेस प्रोग्राम नहीं चालाया जा रहा है।

चौंकाने वाले थे आंकड़े

जिले में पांच साल पहले हुए सर्वे में करीब सवा लाख बच्चे कुपोषित मिले थे। 0-6 वर्ष की आयु के आंशिक और अतिकुपोषित कैटेगरी के बच्चे शामिल थे। बरेली का कुपोषण में दूसरा स्थान था, जिसके बाद स्वास्थ्य महकमे में काफी हलचल मची थी। पोषण पुर्नवास केंद्र का सौंदर्यीकरण कराकर बच्चों के बेहतर इलाज के आदेश दिए गए।

वर्जन

पहले की तुलना में कुपोषण बढ़ा है विभाग को प्राप्त हुई विश्व खाद्य सुरक्षा एवं औषधि विभाग की रिपोर्ट की माने तो गर्भवती महिलाएं मोटापे की चपेट में अधिक है। जो की गंभीर विषय है।

डॉ। अलका शर्मा, सीएमएस, महिला अस्पताल।

Posted By: Inextlive