पश्चिम बंगाल के इतिहास में पहली बार शनिवार को कोई सरकार दो सौ साल से भी ज्यादा समय तक सत्ता के केंद्र रहे राइटर्स बिल्डिंग से बाहर चली जाएगी.


जी हां,  ममता बनर्जी की सरकार शनिवार को हुगली पार बनी एक चौदह मंज़िला इमारत में चली जाएगी. यह कहना ज्यादा सही होगा कि पश्चिम बंगाल की राजधानी कहलाने का श्रेय अब कोलकाता की बजाए कुछ अर्से के लिए हावड़ा को मिलेगा. इसकी वजह है कि राइटर्स बिल्डिंग को मरम्मत की ज़रूरत है.यह काम कोई साल भर तक चलेगा और इस पर दौ सौ करोड़ रूपए से ज्यादा ख़र्च होंगे.इतिहासथॉमस लायन ने सत्ता के केंद्र राइटर्स बिल्डिंग का डिज़ाइन तैयार किया था. साढ़े चार लाख वर्ग फ़ीट में फैली इस ऐतिहासिक इमारत में 180 कमरे हैं. यह पहला मौक़ा है जब बंगाल का शासन राजधानी कोलकाता से बाहर स्थित किसी इमारत से चलाया जाएगा.
अंग्रेज़ों के शासनकाल में राइटर्स बिल्डिंग ईस्ट इंडिया कंपनी के राइटरों या क्लर्कों के लिए बनाई गई थी. उसी वजह से इसका नाम राइटर्स बिल्डिंग रखा गया था.लोगों में ख़ुशीसत्ता का केंद्र हावड़ा ज़िले के शिवपुर इलाक़े में जाने से स्थानीय लोगों में भारी ख़ुशी है. शिवपुर के एक स्थानीय क्लब के अध्यक्ष आलोक गुप्ता कहते हैं, ''हावड़ा पांच सौ साल पुराना है.


यह पहला मौक़ा है जब किसी मुख्यमंत्री ने इस जगह को अहमियत देते हुए सत्ता का केंद्र यहां स्थानांतरित करने का फ़ैसला किया है.''रिटायर्ड प्रोफ़ेसर दिनेश दासगुप्ता कहते हैं, ''हावड़ा का इतिहास पांच सौ साल पुराना है और कोलकाता का तीन सौ साल. हम चाहते हैं कि दीदी (ममता) स्थायी तौर पर यहीं से सरकार चलाएँ. इससे इलाक़े का दिन दूना रात चौगुना विकास होगा.''विपक्ष नाराज़सत्ता के केंद्र के स्थानांतरण के  ममता के फ़ैसले से विपक्षी सीपीएम में भारी नाराज़गी है. उसने इसकी तुलना मोहम्मद बिन तुलगक़ के अपनी राजधानी दिल्ली से दौलताबाद ले जाने के साथ की है. पार्टी ने इस फ़ैसले पर श्वेतपत्र जारी करने की भी मांग उठाई है.विधानसभा में विपक्ष के नेता सूर्यकांत मिश्र आरोप लगाते हैं, ''सरकार ने असली मुद्दों से लोगों का ध्यान हटाने के लिए ही राजधानी हावड़ा ले जाने का फ़ैसला किया है. सरकार को इस पर श्वेतपत्र जारी करना चाहिए. ''वह कहते हैं कि राइटर्स बिल्डिंग की मरम्मत चरणबद्ध तरीक़े से की जा सकती थी. महज़ स्थानांतरण में ही करोड़ों का ख़र्च आया है. विपक्ष के मुताबिक़, सरकार का यह फ़ैसला तानाशाही का नमूना है.

लेकिन ममता को इन आलोचनाओं की कोई परवाह नहीं है. वह कहती हैं, ''पूर्व वाम मोर्चा सरकार ने राइटर्स को लाक्षा गृह बना दिया था. अब मेरी सरकार उसकी ग़लतियों को सुधारने का प्रयास कर रही है.''

Posted By: Subhesh Sharma