कथित अधिवक्ता हरिकृष्ण के सुसाइड की कहानी अपहरण के नाटक से शुरू हुई और मौत तक जा पहुंची.

जमीन के चक्कर में खुद रची अपहरण की कहानी, पुलिस ने सतना से बरामदगी करके किया था खुलासा

अपहरण के आरोप पर बरामदगी के दूसरे ही दिन लगा ली कथित अधिवक्ता ने फांसी

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PRAYAGRAJ: कथित अधिवक्ता हरिकृष्ण (30) के सुसाइड की कहानी अपहरण के नाटक से शुरू हुई और मौत तक जा पहुंची। पारिवारिक जमीन के लफड़े में पट्टिदारों को मात देने के लिए चल रहा शह और मात के खेल पर भी अब विराम लग जाने की संभावना जतायी जा रही है। दोनों पक्ष अपना पक्ष मजबूत करने के लिए कानूनी वार के साथ हर हथकंडा आजमा रहे थे। अपहरण की कहानी फेल होने पर सुसाइड को भी इसी खेल का हिस्सा माना जा रहा था। मौत इतनी शातिर निकली कि अधिवक्ता को अस्पताल तक पहुंचने का भी मौका नहीं मिला। शनिवार को कथित अधिवक्ता की मौत की सूचना पर पुलिस ने बॉडी को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया।

रजिस्ट्रेशन के बगैर करता था प्रैक्टिस
शंकरगढ़ थाना क्षेत्र के मझियारी लकोसा निवासी हरिकृष्ण पुत्र जगदीश सिंह ने वर्ष 2018 में ही एलएलबी की पढ़ाई पूरी की थी। लॉ की एजुकेशन कम्प्लीट होने के बाद उसने डिस्ट्रिक्ट कोर्ट में लॉयर जेपी सिंह के जूनियर के तौर पर काम करना शुरू कर दिया था। सूत्रों के अनुसार अभी उसने बार कौंसिल में अपना रजिस्ट्रेशन नहीं कराया था। वह नियमित तौर पर कोर्ट आता-जाता था लिहाजा लोग उसे वकील समझते थे।

छह साल पहले हुई थी शादी
करीब छह साल पहले हरिकृष्ण की शादी वंदना से हुई थी। शादी बाद उसे दो बेटियां हुई। एक बेटी थोड़ी समझदार हो चुकी है जबकि दूसरी अभी अबोध है। हरि दो भाईयों में बड़ा था। अब छोटा भाई ही बचा है। इस घटना से पूरा परिवार सन्नाटे में आ गया है। घर में रोना पीटना मच गया तो पत्‌नी और परिवार के सदस्यों को संभालना मुश्किल हो गया।

नहर में मिली थी 'काली' कोट
बताते हैं कि हरि के परिवार का पट्टिदारों ने 28 बीघा जमीन को लेकर विवाद चल रहा था। मामला कोर्ट में भी पेंडिंग है। एक-दूसरे को घेरने की हर संभव कोशिश दोनों पक्षों की ओर से की जा रही थी। कुछ माह पूर्व चाचा ने हरिकृष्ण के खिलाफ फ्रॉड का मुकदमा दर्ज कराया था। इसके बाद हरिकृष्ण ने चाचा के ऊपर धारा 365 के तहत एफआईआर करा दी। पिता जगदीश की मानें तो 29 जुलाई को वह कोर्ट आया था। इसके बाद घर नहीं पहुंचा। तलाश कर ही रहे थे कि उसका कोट गांव के पास नहर में पाया गया। अनहोनी की आशंका वश परिजनों ने 30 जुलाई को शंकरगढ़ थाने में अपहरण की रिपोर्ट दर्ज करा दी। शक विपक्षियों पर जताया गया। इसके आधार पर पांच लोगों के खिलाफ नामजद रिपोर्ट दर्ज करने के लिए तहरीर भी थाने में दी गयी थी।

सतना से पुलिस ने किया था बरामद
तहरीर मिलने के बाद पुलिस हरिकृष्ण की तलाश में जुट गयी। कॉल डिटेल के साथ मोबाइल पर लोकेशन ली जाने लगी। पुलिस ने आरोपितों से भी पूछताछ की लेकिन कोई सुराग नहीं मिला। पुलिस को दोनों पक्षों के बीच चल रहे विवाद में बारे में पता चला तो उसने अपहरण के 'नाटक' पर कंसंट्रेट कर दिया। कॉल डिटेल और लोकेशन से पुलिस ने हरि को मध्य प्रदेश के सतना जिले के पास ट्रैक किया। गुरुवार की सुबह पुलिस ने उसे बरामद कर लिया और लाकर परिजनों को सौंप दिया अस्पताल पहुंचने से पहले तोड़ा अपहरण का सच सामने आ चुका था। इससे हरिकृष्ण सवालों के घेरे में खड़ा हो चुका था। परिवारवाले बताते हैं कि शुक्रवार सुबह उसने विषाक्त पदार्थ का सेवन कर लिया। गंभीर हालत में परिवार के सदस्य उसका स्थानीय स्तर पर इलाज कराते रहे। पुलिस को पता चला कि उसे एसआरएन के लिए भेजा गया। यहां पहुंचने से पहले ही उसने दम तोड़ दिया।

पारिवारिक जमीन को लेकर पट्टिदारों में विवाद था। दोनों पक्षों ने एक-दूसरे के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था। 29 को हरिकृष्ण के अपहरण की रिपोर्ट दर्ज करायी गई थी। बरामद कर लाया गया तो उसने सुसाइड कर लिया। पोस्टमार्टम बाद बॉडी परिजनों को सौंप दी गयी है।

-ओम शंकर शुक्ल,

इंस्पेक्टर शंकरगढ़

Posted By: Inextlive