मैसूर से करीब 80 किलोमीटर दूर दुनिया के सबसे बड़े बाघ अभयारण्य क्षेत्र बांदीपुर संरक्षित क्षेत्र के आसपास के गाँवों में एक आदमखोर बाघ का आतंक पसरा हुआ है.


बीते एक सप्ताह के अंदर बाघ ने तीन लोगों को अपना शिकार बनाया है, जिसके बाद से ही स्थानीय लोगों में भारी गुस्सा है. वन्य अधिकारियों के विशेषज्ञों का दल गुरूवार सुबह से ही आदमखोर बाघ की तलाश में लगा है.इससे पहले अधिकारियों और समीपवर्ती गाँवों के निवासियों ने बुधवार को पूरे दिन इस बाघ को तलाश करने की कोशिश की लेकिन उन्हें कामयाबी नहीं मिली.बांदीपुर बाघ अभयराण्य क्षेत्र के संरक्षक एचसी कंठराजू ने बीबीसी को बताया, "हमारे दल में बाघ को बेहोशी की दवा देने वाले और शूटर्स, दोनों मौजूद हैं. आदमखोर बाघ के मिलने पर तय करेंगे कि हम कौन सा विकल्प अपनाएंगे."एक सप्ताह में तीन शिकारस्थानीय लोगों ने प्रोजेक्ट टाइगर अभियान के अधिकारियों की कुछ जीपों और वन्य निगरानी के लिए बने बंगलों में लगी सौर ऊर्जा उपकरणों में आग लगा दिया.


मैसूर स्थित मुख्यालय से प्रोजेक्ट टाइगर के निदेशक सी. श्रीनिवासन ने कहा, "जैसे ही आदमखोर बाघ मिलेगा, हमारे सहयोगी उसे बेहोश करने वाली दवा देने की कोशिश करेंगे."

बाघ संरक्षण मामलों के जानकार डॉ. उल्लास कारांत कहते हैं, "बेहोश करने वाली दवा से काम नहीं चलेगा. उसे गोली मारनी होगी. समय नष्ट किया जा रहा है, तब संरक्षण का कोई मतलब नहीं रह जाता है, जब गाँव वालों की मौत हो रही हो."इलाके में 300 बाघबांदीपुर बाघ अभयारण्य काफी बड़ा अभयारण्य क्षेत्र है जो दक्षिण भारत के तीन राज्यों में फैला है. बांदीपुर, नागारहोल, बीआर हिल्स, मधुमलाई और सत्यामांगलम और वेनाद में बाघों की अनुमानित संख्या 300 के आसपास है."बेहोश करने वाली दवा से काम नहीं चलेगा. उसे गोली मारनी होगी. समय नष्ट किया जा रहा है, तब संरक्षण का कोई मतलब नहीं रह जाता है, जब गाँव वालों की मौत हो रही हो."-डॉ. उल्लास कारांत, बाघ संरक्षण मामलों के जानकारकारांत बताते हैं, "इस क्षेत्र में दुनिया के सबसे ज़्यादा बाघ मौजूद हैं. कम कम से 300 तो होंगे ही."कारांत बाघ संरक्षण विभाग के अधिकारियों के रवैए से संतुष्ट नहीं हैं, उन्होंने कहा, " कम से कम दूसरे-तीसरे शख़्स की जान बचाई जा सकती थी, अगर इलाके में शूटरों का एक छोटा दल उस इलाके में जाता जहां बाघ को देखा गया था."प्रोजेक्ट टाइगर विभाग के निदेशक श्रीनिवासन के मुताबिक यह प्रक्रिया आसान नहीं है. वे बताते हैं, "मुख्य वाइल्डलाइफ़ वॉर्डन की स्पष्ट अनुमति के बिना हम बाघ पर गोली नहीं चला सकते. यह कानून है."

लेकिन गाँव वालों के बीच डर और भय को देखते हुए अब वन्य प्रशासन किसी भी तरीके आदमखोर बाघ पर काबू पाना चाहता है.

Posted By: Subhesh Sharma