कोयला घोटाले में मिले सम्मन के खिलाफ पूर्व पीएम मनमोहन सिंह कोर्ट में अपील करेंगे. मनमोहन का केस उनकी पार्टी के वरिष्ठ सहयोगी और सुप्रीम कोर्ट के जाने-माने वकील कपिल सिब्बल लड़ेंगे. गौरतलब है कि इससे पहले मनमोहन सिंह को कोल ब्लॉक केस में कोर्ट द्वारा बतौर आरोपी सम्मन जारी किए जाने पर उनके समर्थन में कांग्रेस ने एकजुटता दिखाते हुए मार्च निकाल चुकी है.

पार्टी ने दिया साथ
पार्टी की मुखिया सोनिया गांधी ने मनमोहन के समर्थन में मार्च का नेतृत्व किया था, जिसमें दल के सभी शीर्ष नेता शामिल हुए थे. उसके बाद डॉ मनमोहन सिंह ने कहा था कि हम इस मामले में पूरी ताकत के साथ कानूनी लड़ाई लड़ेंगे. इससे पूर्व सोनिया गांधी ने कहा कि मनमोहन सिंह की ईमानदारी पर कोई सवाल ही नहीं उठता. वे दुनिया भर में बेहद सम्मानित व्यक्ति हैं. कांग्रेस मजबूती से उनके साथ है. उनके समर्थन में पार्टी लड़ाई लड़ेगी. पार्टी ने तय किया है कि इस मसले पर पार्टी कानूनी रूप से लड़ाई लड़ेगी. 


तीन अन्य को भी समन
बीते दिनों पटियाला हाउस कोर्ट ने पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को कोयला घोटाले में आरोपी बनाने के आदेश जारी किए हैं. मनमोहन सिंह को आरोपी के तौर पर समन भेजा गया है और 8 अप्रैल को कोर्ट में पेश होने के लिए कहा गया है. इतना ही नहीं मनमोहन सिंह के अलावा उद्योगपति कुमार मंगलम बिड़ला, पूर्व कोयला सचिव पी सी परख और तीन अन्य को भी समन भेजा गया है. देश के इस बड़े घोटाले में पूर्व पीएम का नाम आने से कांग्रेस पार्टी भी निशाने पर आ रही है. ऐसे में आज सुबह कांग्रेस की अध्यक्ष सोनिया गांधी सुबह मार्च निकालते हुए मनमोहन सिंह के घर लाव लश्कर के साथ पहुंचीं. इस दौरान मनमोहन सिंह भी घर पहुंचे कांग्रेस नेताओं से अपनी पत्नी के साथ मिले. सोनिया गांधी ने मनमोहन से कहा कि पार्टी उनके साथ मजबूती से खड़ी है. उनकी ईमानदारी और निष्पक्षता पर पूरी दुनिया में कोई सवाल नहीं उठा सकता. कांग्रेस पार्टी किसी भी हालात में झुकने वाली नहीं है. 


क्या था पूरा मामला
7 मई 2005 को कुमार मंगलम बिरला ने पीएम मनमोहन को चिट्ठी लिखी थी. इसमें कहा था कि उड़ीसा के तालाबीरा-2 कोल ब्लॉक को 650 मेगावाट बिजली उत्पादन करने वाले प्लांट के लिए हिंडाल्को को दे दिया जाए. मनमोहन सिंह ने इस पर कोयला मंत्रालय से रिपोर्ट मांगी और प्रधानमंत्री इस पर कार्यवाही चाहते हैं ये नोट लगाकर चिट्ठी स्क्रीनिंग कमेटी के पास भेज दी थी. इसके बाद फिर 17 जून 2005 को बिरला ने दूसरी चिटठी लिख तालाबीरा में खदान की मांग की थी. इसके बाद 17 अगस्त 2005 को उड़ीसा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने भी तत्कालीन प्रधानमंत्री से हिंडाल्को को खदान देने की सिफारिश की. जिसमें सिफारिश के बाद पीएम ऑफिस ने कहा कि इस मामले पर दोबारा विचार किया जाए. फिर 9 सितंबर 2005 को एक ज्वाइंट वेंचर कंपनी बनाने का फैसला हुआ जिसमें सरकारी कंपनी एनएलसी को 70 फीसदी महानदी कोलफील्ड लिमिटेड और हिंडाल्को को 15-15 फीसदी की हिस्सेदारी तय की गई. इसके बाद 27 सितंबर 2005 को मनमोहन सिंह को जानकारी दी गई और देखते ही देखते चार दिन बाद 1 अक्टूबर को पीएम ने भी इसे मंजूर कर दिया.
Hindi News from India News Desk

Posted By: Abhishek Kumar Tiwari