भारतीय क्रिकेट इतिहास के लिए 5 जनवरी का दिन कभी नहीं भूलने वाला है। यह वो दिन था जब एक आंख वाला भारतीय कप्तान पैदा हुआ था। नाम है मंसूर अली खान पटौदी। आइए इस मौके पर जानें उनके करियर से जुड़ी रोचक बातें...


कानपुर। 5 जनवरी 1941 को भोपाल में जन्में मंसूर अली खान पटौदी भारत के एक बेहतरीन कप्तान और शानदार क्रिकेटर माने जाते थे। नवाब पटौदी को टाइगर के नाम से भी जाना जाता था। बताते हैं कि वह चीते की तरह फील्डिंग किया करते थे इसलिए उनके साथी क्रिकेटर्स ने उन्हें टाइगर नाम दिया। नवाब पटौदी ने भारत के लिए पहला मैच साल 1961 में खेला था। उस वक्त उनकी उम्र सिर्फ 20 साल थी। अभी उनको खेलते हुए एक साल ही हुआ था कि उन्हें टीम इंडिया की कमान मिल गई और वह भारत के सबसे युवा टेस्ट कप्तान बन गए।इस तरह मिली थी कप्तानी


नवाब पटौदी को कप्तानी मिलना महज एक संयोग था। दरअसल उनसे पहले टीम इंडिया की कमान नारी कांन्ट्रैक्टर के हाथों में थी। साल 1962 में कांन्ट्रैक्टर विंडीज के खिलाफ मैच खेल रहे थे। तभी एक कैरेबियाई गेंदबाज चार्ली ग्रिफिथ की एक गेंद कांन्ट्रैक्टर के सिर पर लगी और वह बेहोश होकर जमीन पर गिर गए। ये चोट इतनी भयानक थी कि कांन्ट्रैक्टर के नाक और कान से खून निकलने लगा। उस समय टीम इंडिया के मैनेजर गलुाम अहमद ने उप कप्तान पटौदी को सूचना दी कि अगले टेस्ट में वो भारतीय टीम की अगुआई करेंगे। बस फिर क्या एक बार टीम की कमान हाथ में आते ही पटौदी ने नए-नए इतिहास रचने शुरु कर दिए।पटौदी ने दिलाई भारत को विदेश में पहली जीतसाल 1967 में नवाब पटौदी की कप्तानी में भारत को विदेशी धरती पर पहली जीत मिली थी। भारत ने यह मैच न्यूजीलैंड के खिलाफ जीता था। क्रिकइन्फो पर उपलब्ध जानकारी के मुताबिक, पटौदी ने भारत के लिए 46 टेस्ट खेले जिनमें 40 टेस्टों में उन्होंने भारत की कप्तानी की। इसमें से सिर्फ 9 टेस्टों में उन्होंने जीत दर्ज की और 19 बार वो हारे। एक आंख से खेलते थे क्रिकेट

नवाब पटौदी के बारे में आपको जानकर हैरानी होगी कि वह एक आंख से क्रिकेट खेलते थे। दरअसल इंटरनेशनल क्रिकेट में डेब्यू से पहले पटौदी के साथ एक हादसा हो गया था जिसमें उनकी एक आंख की रोशनी चली गई थी। साल 1961 की बात है, पटौदी ब्रिटेन में क्रिकेट खेल रहे थे। मैच खत्म होने के बाद उनकी टीम ने बाहर डिनर का प्रोग्राम बनाया। डिनर करके उन्हें होटल आना था, हालांकि होटल और रेस्टोरेंट की दूरी आधा किमी भी नहीं थी लेकिन पटौदी ने पैदल की बजाए कार से जाने का फैसला लिया। रास्ते में उनकी कार का एक्सीडेंट हो गया और खिड़की के कांच का एक टुकड़ा पटौदी की आंख में चला गया जिसके बाद उनकी दाईं आंख की रोशनी चली गई।बेखौफ करते थे गेंदबाजों का सामनाएक आंख खोने के बावजूद पटौदी ने हिम्मत नहीं हारी और इंटरनेशनल क्रिकेट में कदम रखा। उस वक्त वेस्टइंडीज के तेज गेंदबाजों से दुनियाभर के गेंदबाज खौफ खाते थे। इस डर को भुलाकर पटौदी ने एक आंख से उनकी गेंदों पर चौके-छक्के लगाए। पटौदी ने अपने टेस्ट करियर में 34.91 की औसत से कुल 2793 रन बनाए। इस दौरान उनके बल्ले से 6 शतक और 16 अर्धशतक निकले। टेस्ट क्रिकेट में उनका हाईएस्ट स्कोर नाबाद 203 रन है।सिडनी में भारत के नाम है सबसे बड़ा स्कोर, यहां तीसरी बार बनाए 600 रन5 मैचों के बराबर गेंद अकेले पुजारा खेल गए, बना दिया विश्व रिकाॅर्ड

Posted By: Abhishek Kumar Tiwari