देश की राजधानी दिल्ली में नए डीजल वाहनों पर प्रतिबंध की वजह से वाहन विनिर्माताओं में आक्रोश बढ़ गया है। उनका कहना है कि राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण एनजीटी को डीजल वाहनों पर प्रतिबंध लगाने से पहले आकड़ों पर नजर डालना चाहिए। इसके बाद उसे इस दिशा में अपना आदेश जारी करना चाहिए।


रोक लगाना गलत जानकारी के मुताबिक देश की राजधानी नए डीजल वाहनों पर प्रतिबंध लगाने का विरोध शुरू हो गया है। वाहन विनिर्माता इसकी खिलाफत में उतर आए हैं। उनका कहना है कि राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण (एनजीटी) ने जल्दबाजी में आदेश दिया है। उसे इस दिशा में एक बार फिर से विचार विमर्श करना चाहिए।इस संबंध में महिंद्रा एंड महिंद्रा के कार्यकारी निदेशक पवन गोयनका का कहना है कि राजधानी में आबोहवा में सुधार लाने के लिए यह अच्छी पहल हुई है। उसका सभी वाहन विनिर्माता स्वागत करते हैं, लेकिन इस पहल में नए डीजल वाहनों पर रोक लगाना गलत फैसला है। उनका कहना है कि इसमें सिर्फ पुराने वाहनों पर को ही शामिल किया जाना चाहिए। नवीनतम उत्सर्जन मानदंडों का अनुपालन करने वाले नए वाहनों पर प्रतिबंध लगाना एक तरह की जबर्दस्ती है।सब पर बैन जरूरी
इसके साथ ही उनका कहना है कि राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण (एनजीटी) को पहले गहनता से इस दिशा में आएं आकड़ों पर नजर डालनी चाहिए। अभी हाल आईआईटी कानपुर की प्रकाशित होने वाली एक रिपोर्ट में भी पूरी स्िथति बयां हुई हैं। जिसमें दिल्ली में कण प्रदूषण में सवारी वाहनों का योगदान 4 फीसदी है और इसमें से भी करीब 85 फीसदी योगदान भारत स्टेज-4 मानक युक्त से पहले के वाहनों की वजह से हो रहा है। इसके अलावा उनका कहना है कि डीजल वाहन ज्यादा पार्टिक्यूलेट उर्त्सजित करते हैं। जबकि सीएनजी वाहन ज्यादा एनओएक्स और पेट्रोल वाहन ज्यादा कार्बन डाईऑक्साइड का उत्सर्जन करते हैं। जिससे इन सभी पर बैन लगाना चाहिए। तभी राजधानी की आबोहवा में एक बड़ा सुधार होगा।

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Posted By: Shweta Mishra