RANCHI : माओवादियों का भी इरादा झारखंड विधानसभा चुनाव में उतरने की है। चुनावी अखाड़े में उतरकर ये झारखंड की राजनीति को प्रभावित करने की फिराक में हैं। इस बाबत कई नक्सलियों के चुनाव लड़ने की उम्मीदें बन रही है। ये किसी भी पार्टी से उम्मीदवार बनने को तैयार हैं। कुछ नक्सली स्थानीय दलों से टिकट के लिए संपर्क साधे हुए हैं। नक्सलियों की कोशिश नक्सल प्रभावित सीट से टिकट हासिल करने की है। इस बाबत वे अपने समर्थकों के माध्यम से पार्टी के नेताओं से संपर्क में हैं।

चुनाव लड़ चुके हैं कई नक्सली

यह पहला मौका नहीं है, जब नक्सली चुनाव मैदान में उतरने जा रहे हैं। इससे पहले भी कई नक्सली चुनावी किस्मत आजमा चुके हैं। कई नक्सली तो सांसद और विधायक भी बन चुके हैं। पलामू से सांसद रहे कामेश्वर बैठा का भी संबंध नक्सली संगठन से था। संसदीय राजनीति की खिलाफत और हिमायत के दोराहे पर खड़े माओवादियों के विचारों में अचानक आ रहा यह बदलाव सभी को चौंका रहा है। हालांकि जानकार नक्सलियों के इस कदम को वक्त का तकाजा भर मानते हैं।

चुनावी मैदान में होंगे कई नक्सली

इस बार भी कई नक्सली विधानसभा चुनाव लड़ने जा रहे हैं। नक्सली रहे व वर्तमान विधायक पौलुस सुरीन को जहां जेएमएम ने तोरपा से उम्मीदवार बनाया है, वहीं बीजेपी से जयप्रकाश भोक्ता और जेवीएम से पूर्व मंत्री सत्यानंद भोक्ता चुनावी किस्मत आजमाने जा रहे हैं। इन विधायकों के नक्सली होने का पुलिस रिकॉर्ड आजतक है। कई केसेज में ये आरोपी हैं। राजनीतिक सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, नक्सल प्रभावित इलाकों में वैसे नक्सली जो पुलिस से छिपकर गुरिल्ला वार करने की तैयारी में जुटे थे, वे भी टिकट पाने के लिए जी तोड़ प्रयास कर रहे हैं।

ये नक्सली लड़ चुके हैं चुनाव

कुछ पूर्व नक्सली पहले भी चुनावी किस्मत आजमा चुके हैं। इनमें बसपा के टिकट पर गढ़वा से प्रशांत ठाकुर, डालटेनगंज से जेएमएम प्रत्याशी सतीश कुमार, विश्रामपुर से जेएमम प्रत्याशी मदन पाल, पांकी से आरजेडी प्रत्याशी रंजन यादव, सिमरिया सीट से आजसू प्रत्याशी कुलदीप गंझू, सिमरिया से निर्दलीय प्रत्याशी गणेश गंझू, जेएमएम से मसीह चरण पूर्ति, तोरपा से जेएमएम प्रत्याशी पौलुस सुरीन, गिरीडीह से बसपा प्रत्याशी मनोज साहू, जेएएम से सिसई प्रत्याशी सुफल जी व पलामू से लोकसभा सीट से संसद तक पहुंचनेवाले कामेश्वर बैठा का नाम चुनाव लड़नेवालों में शामिल है। साफ तौर पर जाहिर है कि आठ नक्सलियों में से पांच को जेएमएम से टिकट ि1मली थी।

पहले खिलाफत और अब आस्था

बंदूक से व्यवस्था में बदलाव लाने की बात करनेवाले नक्सली अब जनता के बीच याचक बनकर आने की कोशिश कर रहे हैं। नक्सलियों के कई बड़े नेताओं ने झारखंड विधानसभा चुनाव के लिए पर्चा भरने की सोची है। माओवादियों के सेंट्रल कमिटी में सदस्य के रूप में पहचान रखनेवाले मदन जी उर्फ युगल पाल जी अब लोकतंत्र में आस्था जता रहे हैं। राजद की टिकट पर पांकी विधानसभा क्षेत्र के केश्वर यादव उर्फ रंजन यादव भी संसदीय प्रणाली की खिलाफ करते थे, पर टिकट मिलने के बाद इनकी लोकतंत्र में आस्था जग गई है।

Posted By: Inextlive