भारत के पूर्व विदेश मंत्री नटवर सिंह ने बीबीसी से विशेष बातचीत में बताया कि थैचर तांत्रिक चंद्रास्वामी से भी मिली थीं जिन्होंने थैचर के प्रधानमंत्री बनने की भविष्यवाणी बहुत पहले उनके सामने ही कर दी थी.

इस बात का ज़िक्र नटवर ने अपनी किताब, “वॉकिंग विद लॉयन्स- टेल्स फ्रॉम अ डिप्लोमेटिक पास्ट” में भी किया है. नटवर कहते हैं, “इंदिरा गांधी के सामने थैचर बहुत संभल कर बात करती थीं. दूसरे नेताओं का तो वह सफ़ाया कर देती थीं लेकिन इंदिरा जी के सामने संभल कर रहती थीं.”

जब थैचर कंजर्वेटिव पार्टी की पहली महिला अध्यक्ष बनीं तो नटवर सिंह लंदन में भारत के उप उच्चायुक्त थे. उनका कहना है कि मार्गरेट थैचर बीसवीं सदी में चर्चिल के बाद ब्रिटेन की सबसे काबिल प्रधानमंत्री रही है.

चंद्रास्वामी और थैचर
नटवर सिंह 1975 में जब ब्रिटेन में भारत के उप उच्चायुक्त थे तो एक बार चंद्रास्वामी उन्हें मिलने इंडिया हाउस पहुंचे थे. चंद्रास्वामी को स्वर्गीय यशपाल कपूर ने नटवर सिंह से बात करने की सलाह दी थी.

बकौल नटवर सिंह, “उस वक्त वह 25-30 साल के थे. साधुओं के कपड़ों में पहुंचे चंद्रास्वामी अंग्रेजी का एक शब्द भी नहीं बोलना जानते थे.” उन्हें आश्चर्य हुआ कि कुछ ही समय बाद चंद्रास्वामी ने थैचर से मुलाकात करवाने की गुहार लगवाई.

थैचर छह महीने पहले ही कंजर्वेटिव पार्टी की नेता चुनी जा चुकी थीं. बीबीसी से बातचीत में नटवर सिंह ने कहा, “चंद्रास्वामी को थैचर से मिलाने को लेकर मैं संशय में था. अगर चंद्रास्वामी ने खुद को उनके सामने मूर्ख

साबित किया तो मैं और भी बड़ा मूर्ख नज़र आता.” लेकिन जैसा कि उन्होंने अपनी किताब में भी लिखा है कि तत्कालीन विदेश मंत्री वाई बी के चव्हाण को ऐसी मुलाकात में कुछ अटपटा न लगने पर उन्होंने थैचर से मुलाकात का समय मांगा.

नटवर कहते हैं कि हाउस ऑफ़ कॉमन्स के अपने छोटे से कमरे में विपक्ष की नेता ने मेरी बात सुनी और कहा, “उप उच्चायुक्त जी अगर आपको लगता है कि मुझे मिलना चाहिए तो मैं मिलूंगी. लेकिन वह मुझसे मिलना क्यों चाहते हैं”

नटवर ने कहा कि वह चंद्रास्वामी खुद उन्हें बताएंगे तो उन्होंने अगले हफ़्ते, ‘सिर्फ़ दस मिनट’, मिलने का वक्त दिया. यह ख़बर सुनकर चंद्रास्वामी की खुशी का ठिकाना न रहा. नटवर सिंह ने उन्हें चेताया कि कुछ मूर्खतापूर्ण न करें.

नटवर चंद्रास्वामी की टिप्पणी याद करते हैं, उन्होंने कहा था, “चिंता मत करिए.” थैचर से मिलने जाते हुए चंद्रास्वामी पूरे साधु भेस में थे. सर पर बड़ा तिलक, गले में रुद्राक्ष की कई मालाएं और हाथ में लाठी.

चंद्रास्वामी का जादू
परिचय के बाद थैचर ने पूछा, “आप मुझसे क्यों मिलना चाहते थे?” चंद्रास्वामी ने हिंदी में जवाब दिया, जिसका नटवर सिंह ने इसका अंग्रेजी में अनुवाद किया, “इन्हें कहिए कि जल्द ही पता चल जाएगा.” चंद्रास्वामी बिल्कुल भी जल्दी में नहीं लग रहे थे.

उन्होंने एक कागज़ मंगवाया, उस पर ऊपर से नीचे तक और दाएं से बाएं तक लकीरें खींच दीं. इसके बाद चंद्रास्वामी ने थैचर को कागज़ के पांच टुकड़े दिए और सभी पर सवाल लिखकर, अच्छी तरह मोड़कर काग़ज़ पर बने खांचों में रखने को कहा.

चंद्रास्वामी ने ध्यान लगाया और थैचर से कोई एक सवाल खोलकर मन ही मन पढ़ने को कहा. फिर चंद्रास्वामी ने बताया कि सवाल क्या था. नटवर सिंह ने अंग्रेजी में अनुवाद करके थैचर को समझाया.

सवाल बिल्कुल सही था.
नटवर ने बीबीसी को थैचर के हाव-भाव के बारे में बताया. वह कहते हैं, “मैंने मार्गरेट थैचर को देखा तो चिढ़ की जगह अब उत्सुकता ले रही थी.”

दूसरा सवाल.... बिल्कुल सही.

चौथे सवाल तक आते-आते भविष्य की लौह महिला का व्यवहार बदल गया था. वह चंद्रास्वामी को एक आम व्यक्ति के बजाय एक सिद्ध पुरुण की तरह देखने लगी थीं.

पांचवा सवाल भी सही निकला.

थैचर और जानना चाहती थीं. एक पहुंचे हुए गुरू की तरह चंद्रास्वामी ने अपनी चप्पलें उतार दीं और सोफ़े पर पद्मासन लगाकर बैठ गए. नटवर कहते हैं कि यह देखकर वह तो घबरा गए थे लेकिन थैचर ने मौन अनुमति दे दी.

इसके बाद उन्होंने चंद्रास्वामी से और सवाल पूछे. नटवर सिंह दुभाषिये का काम करते रहे. हर जवाब से ब्रिटेन की भविष्य की प्रधानमंत्री और ख़ुश नज़र आईं.

थैचर कुछ और सवाल पूछना चाहती थीं लेकिन चंद्रास्वामी ने घोषणा कर दी कि सूर्य अस्त हो गया है इसलिए और सवाल नहीं पूछे जा सकते. थैचर ने पूछा कि वह उनसे फिर कब मिल सकती हैं? बहुत शांति से चंद्रास्वामी ने कहा, “मंगलवार को दोपहर के 2.30 बजे श्री नटवर सिंह के घर पर.”

क्या भारत क्या इंग्लैंड?
नटवर सिंह बताते हैं कि उन्होंने चंद्रास्वामी को कहा कि वह अपनी सीमा लांघ रहे हैं. विपक्ष की नेता की सुविधा पूछे बिना उन्हें समय और स्थान नहीं तय करना चाहिए.

नटवर सिंह ने कहा, “यह भारत नहीं है.” लेकिन चंद्रास्वामी पर कोई फ़र्क नहीं पड़ा. उन्होंने कहा, “कुंवर साहब अनुवाद कर दीजिए और फिर देखिए.” नटवर सिंह कहते हैं कि वह सन्न रह गए जब मार्गरेट थैचर ने पूछा, “उप उच्चायुक्त जी, आपका घर कहां है.”

सिर्फ़ इतना ही नहीं, चंद्रास्वामी ने एक ताबीज़ निकाला और कहा कि मार्गरेट थैचर मंगलवार को नटवर सिंह के घर आएं तो इसे अपने बाएं हाथ में पहन कर आएं.

नटवर सिंह कहते हैं कि तब उनका गुस्सा किसी भी पल फूट सकता था. नटवर सिंह ने बताया तो थैचर ने ताबीज़ ले लिया. मंगलवार की दोपहर 2.30 बजे, कंजर्वेटिव पार्टी की नेता, मार्गेट थैचर सन हाउस, फ्रोग्नल वे, हैंपस्टड में पहुंच गईं.

वह चटख लाल पोशाक पहने हुई थीं. ताबीज भी सही जगह पर बांध रखा था. उन्होंने कई सवाल पूछे लेकिन सबसे महत्वपूर्ण उनके प्रधानमंत्री बनने की संभावनाओं को लेकर था.

चंद्रास्वामी ने भी उन्हें निराश नहीं किया और भविष्यवाणी की कि वह नौ, ग्यारह या तेरह साल के लिए प्रधानमंत्री बनेंगी. थैचर ने आखिरी सवाल किया कि वह प्रधानमंत्री कब बनेंगी? चंद्रास्वामी ने घोषणा की, “तीन या चार साल में.” वह सही साबित हुए. थैचर ग्यारह साल तक प्रधानमंत्री रहीं.

 

 

 

 

 

Posted By: Garima Shukla