- यूपी बोर्ड कार्यालय में मार्कशीट के संशोधन के नाम पर चल रहा है दलालों का खेल

- विभाग में भटक रहे छात्रों की मजबूरी का फायदा उठा रहा है शिक्षा विभाग

Meerut

केस-1

मवाना के अरुण शर्मा का नाम दसवीं में अरुण था। लेकिन इंटर में उसकी मार्कशीट में अरुण शर्मा की जगह वर्मा लिखा हुआ आया है। विभाग के किसी सॉफ्टवेयर की खराबी के कारण उसके नाम में गलती हो गई। उसने जब इस गलती को बोर्ड ऑफिस में सही कराना चाहा तो उसे एक दलाल मिल गया। जिसने उसे दो हजार के बदले में एक हफ्ते में दूसरी मार्कशीट देने की बात कही।

केस-2

कंकरखेड़ा की रजनी सिन्हा ने इस साल हाईस्कूल पास की है। किसी टेक्निकल गलती के चलते उसके पिता का नाम अमित सिन्हा की जगह अमित सिंह लिखा हुआ आ गया। जब वह अपनी मार्कशीट में संशोधन कराने पहुंची तो उसे विभाग के कर्मचारियों ने लौटा दिया। अब रजनी को मजबूरन किसी दलाल को 1500 रुपए देने पड़े।

केस- 3

परतापुर का मनीष कुमार की इंटर की मार्कशीट में उसका नाम मनी लिखा गया है, जबकि हाईस्कूल में उसका सही नाम मनीष लिखा हुआ आया है। अब वह अपने नाम के संशोधन को लेकर परेशान है। उससे किसी दलाल ने तीन दिन में संशोधन कराने के लिए तीन हजार मांगे हैं।

बोर्ड विभाग में मार्कशीट में होने वाली नाम की गलती का संशोधन कराना अब स्टूडेंट की जेब पर भारी पड़ रहा है। विभाग में दलालों का मोटी कमाई का खेल कर रहा है। संशोधन के नाम पर चल रहे मोटी कमाई के खेल के यह महज तीन ही केस नहीं हैं। बल्कि ऐसे सैकड़ों स्टूडेंट विभाग में रोजाना रिश्वतखोरों के चंगुल में फंस रहे हैं। जी हां हम बात कर रहे हैं यूपी बोर्ड क्षेत्रीय कार्यालय की। जहां पर केवल नाम के संशोधन के लिए ही स्टूडेंट से दो से तीन हजार आराम से वसूले जा रहे हैं।

एक गलती में सुधार के दो हजार

बोर्ड कार्यालय में एंट्री करते ही गेट के बराबर में आपको दलाल बैठे नजर आ जाएंगे। यह दलाल आपसे पहले आपकी मार्कशीट में होने वाली गलती पर बात करेगा। इसके बाद वह आपके नाम में संशोधन करने के लिए आपसे दो हजार रुपए की मांग करता है। यह पैसा उसे एडवांस में ही चाहिए। काम कराने के लिए वह एक हफ्ते का समय देता है, उसके बाद भी वह दलाल आपको बार-बार एक दो दिन आगे टरकाता रहता है। आखिरकार काम तो तभी होता है जब सही तरीके से व प्रक्रिया के अनुसार होना चाहिए।

सैकड़ों हैं परेशान

मार्कशीट में नाम संशोधन कराने को लेकर सैकड़ों स्टूडेंट रोजाना विभाग में चक्कर लगा रहे हैं। हालात तो इतने बुरे हैं कि कुछ स्टूडेंट को एक काम के लिए कई बार वापस लौटा दिया जाता है। हफ्तों चक्कर काटने के बाद तो उनकी सुनवाई होती है। उसके बाद जाकर उन्हें कोई उम्मीद मिलती है।

गलती के हिसाब से पैसा

अगर आपकी मार्कशीट में नाम में एक गलती है तो उसके लिए आपको दो हजार रुपए देने होते हैं। अगर गलती दो होती हैं तो डिस्काउंट के साथ दोनों गलती के तीन हजार रुपए लिए जाते हैं। इसके अलावा अगर आपके पिता के नाम में भी गलती आई है तो तीन गलतियों पर चार हजार रुपए लिए जाते हैं। यानि गलतियों के हिसाब से आपकी जेब का लिहाज करते हुए यह दलाल आपको बढ़ती कीमत के साथ डिस्काउंट भी देगा।

ये है सही तरीका

वास्तव में तो इन दलालों के चंगुल में आने की कोई आवश्यकता ही नहीं है। मार्कशीट में नाम का संशोधन कराना कोई मुश्किल बात नहीं है। इसलिए अगर नाम को सही कराना है तो उसके लिए आपको पहले अपने स्कूल से एक लेटर लिखवाना होगा। जिसमें गलती में क्या संशोधन होना है यह लिखवाना है। इस लेटर के साथ आपको अपनी मार्कशीट जमाकर रसीद लेनी होगी। इसके साथ ही बस 20 रुपए का एक चलाना लगाया जा सकता है। इसके अलावा किसी दलाल को पैसा देने की आवश्यकता नहीं है।

संशोधन के लिए किसी भी तरह के पैसे वसूलना बिल्कुल गलत बात है। इस तरह की शिकायतें सुनने में आ रही हैं। इस संबंध में जांच की जाएगी। अगर कोई दलाल पकड़ा जाता है तो सख्त कार्रवाई की जाएगी।

संजय यादव, बोर्ड सचिव

Posted By: Inextlive