- सीबीएसई में घर से स्कूल तक होने वाली समस्याओं पर काउंसलिंग

- साइबर क्राइम, घर व बाहर होने वाली दिक्कतों पर होगी काउंसलिंग

- बदमाशों से लड़ने को मार्शल आर्ट, अपनों से लड़ने को काउंसलिंग

Meerut: सीबीएसई स्कूलों में ग‌र्ल्स स्टूडेंट्स को बढ़ते क्राइम के मद्देनजर मार्शल आ‌र्ट्स सिखाने की कवायद चल रही है। वहीं ग‌र्ल्स स्टूडेंट्स को घर और बाहर दोनों जगह कुछ ऐसे लोगों का शिकार होना पड़ता है जो वे सोच भी नहीं सकतीं। ऐसे में इन स्टूडेंट्स को ऐसे लोगों से बचाने के लिए मार्शल आ‌र्ट्स के साथ काउंसलिंग की पावर दी जाएगी। इसके लिए पहले ही काउंसलर अप्वाइंट हैं। जो बच्चों को हर तरह के क्राइम से बचने और उबरने के लिए काउंसलिंग करेंगे।

साइबर क्राइम

सीबीएसई बोर्ड ने जहां ग‌र्ल्स के लिए मार्शल आ‌र्ट्स को फिजिकल एक्टिविटी का हिस्सा बनाने की साची है, वहीं काउंसलिंग को भी जरूरी कर दिया है। आज के समय में बढ़ रहे साइबर क्राइम से हर कोई परेशान है। खासकर सीबीएसई स्कूलों में पढ़ने वाली ग‌र्ल्स के प्रोफाइल फेसबुक और ट्वीटर पर हैं। इसके साथ ही नए एप्स और टेक्नोलॉजी ने सभी को नए मुकाम पर लाकर खड़ा कर दिया है। इस टेक्नोलॉजी के साथ साइबर क्राइम भी बढ़ गया। जिसकी शिकार स्टूडेंट्स गलत रास्ते पर चली जाती हैं।

घर और समाज

आज के समय जहां हर जगह क्राइम बढ़ रहा है, वहीं लड़कियां घरों में भी सुरक्षित नहीं हैं। काफी संख्या में पढ़ने वाली लड़कियां घरों में सैक्सुअल हरेस होती हैं। जो किसी को कुछ नहीं बता पातीं। वही कुछ ऐसे मामले सामने आते हैं जिनको केवल बच्चों की एक्टिविटी से ही पहचाना जा सकता है। इनके दिमाग में क्या चल रहा होता हो और क्या हो सकता है, इसको लेकर काउंसलिंग होनी जरूरी मानी गई है। सीबीएसई के चार सौ से अधिक पेज के सकुर्लर में बच्चों की मनोदशा को देखते हुए काउंसलिंग की व्यवस्था के निर्देश दिए गए थे।

काउंसलिंग अधिक जरूरी

स्कूलों में प्रिंसिपल और काउंसलर का मानना है कि मौजूदा समय में जितनी जरूरत मार्शल आ‌र्ट्स की है उससे अधिक जरूरत कहीं काउंसलिंग की है। इस समाज में लड़कियां ना घर में सुरक्षित हैं और ना ही बाहर। रोज ऐसे केस आते हैं जिनमें लड़की बाहर तो शिकार होती है, साथ ही कुछ घरों में लड़कियों का अपने ही हरेसमेंट करते हैं। इससे वे लड़कियां ना पढ़ पाती हैं और ना ही आगे कुछ कर पाती है। ऐसे में या तो वह गलत करती है या फिर आत्महत्या की ओर कदम बढ़ा लेती है।

टीवी और सिनेमा

काउंसलर की मानें तो आज के समय चमकती धमकती दुनिया, टीवी और सिनेमा घरों में दिखाए जाने वाले सीन, साथ ही बाजारों की चमक में समाज खो रहा है। ऐसे में लड़कियों के लिए ऐसी जगह स्थर रहना नामुमकिन है। वे भी इस चमक-धमक में खो जाती हैं। क्योंकि किशोरावस्था में दुनिया और समाज को देखकर बदलाव आते हैं। साथ ही जैसा वह देखता है वैसा करता है। जिसके साथ ही उसको सही रास्ता दिखाने वाला कोई नहीं होता। इसलिए इन बच्चों के लिए काउंसलिंग बहुत जरूरी है।

डर बाहर निकाला जा सके

मार्शल आ‌र्ट्स से वह अपनी रक्षा कर सकते हैं, लेकिन कुछ लोगों के मन में बैठा समाज में दरिंदगी का डर कभी नहीं निकल पाता, ऐसे में बच्चा डरा और सहमा रहता है, उसको पढ़ाई में ही मन नहीं लगता। ऐसे में बच्चे को दिशा देने के लिए काउंसिलिंग बहुत जरूरी है। ताकि वह समाज में होने वाले बदलाव को समझ सके। समाज में होने वाली कुरीतियों से लड़ा जा सके। अपने मन की बात को आखिर बाहर लाया जा सके, ताकि कोई गलत कदम ना उठाया जाए।

वर्जन

मार्शल आट्स के साथ बच्चों की काउंसलिंग बहुत जरूरी है। जिनको काउंसलिंग के जरिए एक नया आयाम मिलता है। बच्चों की एक्टिविटी से उनकी बातें पता चलती है। उनके अंदर क्या चल रहा है, पहले उसको जानना जरुरी होता है, और यह केवल काउंसलिंग से हो सकता है। आज हर जगह समस्याएं हैं, इसलिए काउंसलिंग भी जरूरी रखी गई है। - एचएम राउत, सिटी कोर्डिनेटर सीबीएसई बोर्ड

बच्चों की काउंसलिंग बहुत जरूरी है। आज के समय में बच्चों के साथ बाहर ही नहीं बल्कि घरों में भी वारदातें होती हैं। कुछ बच्चे तो डर के मारे कुछ नहीं बात पाते। फिर दिक्कतें उनकी पढ़ाई में आती हैं, वे अपने आप में घुटते रहते हैं। जो कभी भी गलत कदम उठा लेते हैं। ऐसे बच्चों के लिए काउंसलिंग बहुत जरूरी है। जो लगातार होती है। जिसको हम और भी कारगर बनाने की कोशिश में लगे रहते हैं। - सोना कौशल गुप्ता, काउंसलर सीबीएसई बोर्ड

Posted By: Inextlive