भला ये क्‍या बात हुई! हर प्रॉब्‍लम का एक सॉल्‍यूशन कैसे? सुबह से कोई और नहीं मिला बनाने को? जी नहीं कोई किसी को नहीं बना रहा। सौ ऊंटों वाली यह स्‍टोरी आप भी सुन लीजिए। और आप भी प्राइवेट जॉब में हैं तो समझ लीजिए आपके दिन फिर गए।


देर से आना, पत्नी का ताना, इस जॉब का दुखभरा फसाना
ऑफिस पहुंचा तो मेरे सेक्सन की पूरी रो में मुर्दानगी छाई हुई थी। बगल वाले कलीग अपने सिस्टम पर नजरें गड़ाए-गड़ाए मुझसे कह रहा था, 'देर से तुम आए हो, बॉस हम सबकी ले कर गया है। मूड बहुत खराब था। लगता है तुझे आज पेपर डालना ही पड़ेगा...' मेरा चेहरा उतर गया। दिल अंदर से बैठ गया। सुबह-सुबह पत्नी के तानों और ट्रैफिक ने पहले ही निचोड़ दिया था। अब पता नहीं क्या-क्या निचुड़ेगा? तभी चपरासी आया और बॉस के केबिन की ओर ईशारा करके चला गया। मूड तो पहले से ही खराब था, सोचा आज तो गई। मन ही मन अपनी सेविंग के बारे में सोचते हुए लैपटॉप उठा कर बॉस के केबिन की ओर चल पड़ा। दिमाग दौड़ा रहा था कि जितनी सेविंग कर रखी है उससे कितना दिन चल सकता है। एसआईपी तोड़नी पड़ी तो... वगैरह-वगैरह... अंदर आया तो बॉस ने बैठने का ईशारा किया। मेरे चेहरे की हवाइयां उड़ी हुईं थीं। बात करने के बाद फोन रखते हुए उन्होंने पूछा, 'प्रेजेंटेशन तैयार है?' मैंने कहा, 'यस सर!' दिखाने का ईशारा करते हुए बोले, 'देखो तुम्हारा काम ठीक है। थोड़ा और मेहनत करो। बहुत ऊपर जाओगे। मुझे तुम्हारे...' मैं सोचने लगा एप्रेजल के टाइम तो बड़ी कमियां निकाल रहे थे। अब ये क्या?? तभी बॉस ने कहा, 'वेलडन! लंच के बाद मीटिंग रूम में मिलते हैं।' सारी टेंशन दूर हो गई थी। मेरे मन में लड्डू फूट रहे थे और आसपास सब मुंह लटकाए बैठे थे। सच कहूं तो मजा दोगुना हो गया था। तभी टेबल पर एक लेटर पर नजर पड़ी खोल कर देखा तो इंक्रीमेंट लेटर था, जो पिछले साल से भी कम लगा था। अब समझ आया कि बॉस गीता का उपदेश क्यों दे रहा था।सवाल ए जीवन-मरण, पहुंचा बाबा की शरण


बाबा बोले, 'बेटा तुझे कल सारी समस्याओं का शर्तिया उपाय बता दूंगा। बस आज रात तू मेरे सौ ऊंटों को बैठा कर आराम से सो जा। सुबह मिलना।' मैं खुशी-खुशी ऊंटों के बाड़े में चला गया। आधे तो पहले ही बैठे थे। कुछ को मैंने बैठा दिया। लेकिन इधर एक को बैठता तो दूसरा उठ खड़ा होता। सारी रात मैं परेशान रहा। एक बार में कभी भी सारे ऊंट नहीं बैठे। सुबह बाबा के पास हम सब गए। मेरा मन पहले ही खुंदस से भरा हुआ था। दरअसल दो साल पहले मेरे दोस्त का मुझसे भी बुरा हाल था इसी बाबा की वजह से सब पटरी पर आया था। सो मैं यहां चला आया था नहीं तो... तभी बाबा ने पूछा, 'बेटा, रात को अच्छी नींद आई?' मैंने कंट्रोल करते हुए कहा, 'बाबाजी, नींद कैसे आती। आपके सारे ऊंट एकबार में बैठे ही नहीं।' बाबा पहले तो खूब हंसे फिर पूछा, 'तो बेटा तुमने क्या किया?' मैंने उन्हें सारी बात सिलसिलेवार बता दी कि आधे तो पहले से ही बैठे थे। कुछ को मैंने बैठा दिया। फिर सारी रात इधर एक को बैठाता तो उधर कुछ खड़े हो जाते। ऐसे ही ऊंटों की उठक-बैठक में मेरी रात खराब हो गई।लाईफ है तो प्रॉब्लम है, हर प्रॉब्लम का एक सॉल्यूशन है

बाबा बोल रहे थे, 'देखो, सौ ऊंट मतलब सौ समस्याएं। शाम होते ही आधे ऊंट अपने आप बैठ गए मतलब समय आते ही आधी समस्याएं खुद खत्म हो जाती हैं। कुछ को तुमने प्रयास करके बैठा दिया। मतलब कुछ प्रॉब्लम तुम्हारे कोशिश करने से खत्म हो जाती हैं। इधर तुम कुछ ऊंट को बैठाते उधर कुछ उठ जाते, कभी पेशाब करने तो कभी गोबर करने या कभी ऐसे ही। मतलब तुम कितनी भी कोशिश कर लो कुछ प्रॉब्लम्स तो तुम्हारे जीवन में रहेंगी ही। समझ आया या नहीं?' मैंने कहा, 'जी, मैं समझ गया। मैं बेकार टेंशन ले रहा था अब तक। अपना काम टाइम पर करो। प्रॉब्लम सॉल्व करने की अपनी पूरी कोशिश करो बाकी टाइम पर छोड दो। टेंशन नहीं लेने का। घर का काम और जीवन के दूसरे काम भी उतने ही जरूरी हैं। बेकार टेंशन लेने अपना खून ही जलता है।' अब मुझे उस दिन सुबह की बात याद आ रही थी, चुपचाप दूध लेने चला जाता तो पत्नी की बात नहीं सुननी पड़ती। आखिर बात भी सुननी पड़ी और दूध भी मुझे ही लेने जाना पड़ा। मैंने बाबा के पैर छुए, पत्नी ने भी बाबा को प्रणाम किया और सब कार में बैठ कर घर आ गए। अब मैं ऑफिस का काम टाइम पर कर लेता हूं, घर में भी वाइफ की हेल्प कर लेता हूं। छुट्टी लेकर दोस्ती-रिश्तेदारी, और आउटिंग भी कर लेता हूं। जीवन मस्त पटरी पर है। जब से बाबा के यहां से आया हूं बॉस भी खुश, बीवी भी खुश।Spiritual News inextlive from Spirituality Desk

Posted By: Satyendra Kumar Singh