पाकिस्‍तानी सेना ने जब भी भारत पर आक्रमण किया उसे हार का ही सामना करना पड़ा। हम आप को भारत पाकिस्‍तान की एक जंग के बारे मे बताने जा रहे हैं जहां सैनिको के विश्‍वास ने माता को मजबूर कर दिया कि वह पाकिस्‍तानी सैनिकों का वध करें। हुआ भी कुछ ऐसा ही जब पाकिस्‍तानी सैकिन उस सिद्धपीठ दरबार के आगे पहुंचे तो वह आपस मे ही लड़ने लगे। कुछ माता के क्रोध से अंधे हो गए तो कुछ काल के गाल मे समा गए। माता के इस सिद्धपीठ को बीएसएफ जवानोद्वारा पूजा जाता है।


जैसलमैर मे स्थित है माता का सिद्धपीठ जनाब हम बात कर रहे हैं पश्चिमी राजस्थान स्थित जैसलमैर से 120 किलोमीटर दूर बने माता घंटीयाली के दरबार की। यह बहुत ही सिद्धपीठ है। माता घंटीयाली और वहां से कुछ दूर स्थित उनकी बड़ी बहन माता तनोट की पूजा बीएसएफ के जवान करते हैं। 1965 की जंग माता ने कुछ ऐसा चमत्कार किया कि पाक सैकिन अपना एक पैर भी भारत की ओर नही बड़ा सके। पूरी की पूरी सेना मंदिर के सामने ही ढेर हो गई। मंदिर के पुजारी ने बताया यह दरबार करीब 1200 साल पुराना है। बीएसएफ के जवान करते है माता की पूजा


1965 और 1971 की जंग में माता का चमत्कार देख कर बीएसएफ ने दोनों मंदिरों में पूजा अर्चना का जिम्मा अपने हाथों ले लिया। दोनों मंदिर में बीएसएफ का सिपाही ही पुजारी होते हैं। इस समय यह जिम्मेदारी बीएसएफ की 135वीं वाहिनी के पास है। 1965 की जंग के दौरान पाकिस्तानी सेना की दो टुकडि़यों ने एक दूसरे को भारतीय सैनिक समझ कर गोलियां दागना शुरु कर दिया। पाकिस्तानी सेना घंटीयाली माता मंदिर तक पहुंच गई थी। जब पाकिस्तानी सैनिकों ने माता के मंदिर को नुकसान पहुंचाया तो वह आपस में लड़ कर मर गए।जब अंधे हो गए थे पाकिस्तानी सैनिक

1971 युद्ध में भारतीय सेना का साथ देने वाली माता तनोट की छोटी बहन माता घंटीयाली ने 1965 के युद्ध में अपने भारतीय सपूतों का साथ दिया। माता के क्रोध के आगे पाकिस्तानी सैनिकों ने घुटने टेक दिए। घंटीयाली देवी के मंदिर तक पहुंची तक पहुंची एक और पाकिस्तानी टुकड़ी ने माता की मूर्ति से श्रृंगार उतारने की हरकत की जिससे सारे पाकिस्तानी सैनिक अंधे हो गए थे।

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Posted By: Prabha Punj Mishra