-महिला बाल व पुष्टाहार विभाग की ओर से सेनेटरी पैड के डिस्पोजल के लिए 'मटका विधि' के प्रयोग की दी जा रही जानकारी

- इसके प्रयोग से आबोहवा में नहीं फैलेगा संक्रमण, यूजलेस घड़े का भी होगा इस्तेमाल

यह खबर महिलाओं और युवतियों को जागरुक करने वाली है। अब महिलाओं को पीरियड्स के दौरान यूज होने वाले सेनेटरी पैड को फेंकने या उसके डिस्पोजल के लिए ज्यादा परेशान नहीं होना पड़ेगा। क्योंकि अब वे इसका निस्तारण डस्टबिन में फेंकने की बजाए मटका विधि से कर सकेंगी। यह पहल महिला बाल व पुष्टाहार विभाग की ओर से की जा रही है। पोषण माह के तहत किशोरियों व युवतियों को 'मटका विधि' सेनेटरी पैड निस्तारण करने के लिए जागरुकता किया जा रहा है।

आंगनबाड़ी केन्द्रों में देंगी जानकारी

काशी विद्यापीठ ब्लॉक के पहाड़ी, ककरमत्ता, चितईपुर, डाफी, कंचनपुर, भिखारीपुर आदि आंगनबाड़ी केन्द्रों में इसकी पहल तेज हो गई है। यहां किशोरियों को विभागीय एक्सपर्ट 'मटका विधि' की जानकारी दे रहे हैं। विधि जानने के बाद किशोरियों ने इसका इस्तेमाल करना भी शुरु कर दिया है। उनका कहना है कि सेनेटरी पैड के निस्तारण के लिए इससे सरल और बेहतर कोई अन्य तरीका नहीं हो सकता।

ऐसे करें 'मटका विधि' का प्रयोग

इस प्रक्रिया से सेनेटरी पैड के निस्तारण में सबसे पहले घर में रखे यूजलेस घड़े को उपयोग में लाएं। इसके बाद घड़े की पेंदों से थोड़ा ऊपर वाले हिस्से में तीन से चार लाइनों में 25 से 30 होल करना होगा। घड़े का मुंह मिट्टी के ही ढक्कन से ढक कर रख दें। पीरियड्स के दौरान इस्तेमाल में लाए गए सेनेटरी पैड पेपर में लपेटकर घड़े में रखती जाएं। पीरियड्स समाप्त होने के बाद घड़े का ढक्कन हटाकर उसे जला दें। घड़े में किए गए होल से उसे जलने के लिए ऑक्सीजन मिलती रहेगी। जिससे धीरे-धीरे सारे पैड जलकर राख हो जाएंगे। इसके बाद इसे खाली कर दोबारा इस्तेमाल में लाया जा सकता है।

नहीं फैलेंगे हानिकारक बैक्टीरिया

अधिकारियों की मानें तो सेनेटरी पैड का मटका विधि निस्तारण करना अच्छी पहल है। पैड्स में लगे खून के खुली हवा के संपर्क में आने से हानिकारक बैक्टीरिया उत्पन्न होते हैं, जिससे वातावरण में संक्रमण फैलने की संभावना बन जाती है। लेकिन मटका विधि से इसको रोका जा सकता है। जहां पहले किशोरी और महिलाएं पैड को कहीं खुले में फेंक देती थीं, वहीं अब वे धीरे-धीरे जागरूक हो रही हैं। इतने सस्ते और आसान तरीके का प्रचार-प्रसार डोर-टू डोर किया जाएगा। जिससे पैड का निस्तारण उचित जगह हो सके।

किशोरियां कर रहीं प्रयोग

चितईपुर आंगनबाड़ी कार्यकर्ता शैल सिंह अपने क्षेत्र की किशोरियों को मटका विधि बनाना सिखाया है। जिसके बाद किशोरियों ने अपने घरों में पड़े अनुपयोगी घड़ों को सेनेटरी पैड के उचित निस्तारण में इस्तेमाल कर रही हैं। वह बताती हैं पहले माहवारी के दिनों में इस्तेमाल किए गए कपड़े या पैड को पॉलीथिन में डालकर खेत में फेंक देती थीं। जिसके बाद आवारा पशु उसे बीच सड़क पर ले जाकर नोंचते थे। इस वजह से आसपास गंदगी तो फैलती ही थी, साथ ही किशोरियों को काफी शर्मिंदगी का सामना करना भी पड़ता था, लेकिन 'मटका विधि' के इस्तेमाल के बाद यह परेशानी खत्म हो गई है।

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सेनेटरी पैड का मटका विधि निस्तारण करना अच्छी पहल है। इस विधि से खूले में फेके जाने वाले यूज्ड पैड से फैलने वाले बैक्टीरिया को रोका जा सकता है। इसके लिए अलग-अलग क्षेत्र की युवतियों को जागरुक किया जा रहा है।

स्वाती पाठक, सीडीपीओ

Posted By: Inextlive