उत्तरप्रदेश विधानसभा चुनाव में बहुजन समाज पार्टी की करारी शिकस्त का ठीकरा मायावती ने कांग्रेस और भाजपा के सिर फोड़ते हुए कहा है कि प्रदेश में सरकार के खिलाफ रोष होता तो उन्हें 80 सीटें भी नहीं मिलती और उनका हाल बिहार में लालू प्रसाद की तरह होता.

राजभवन में राज्यपाल बी एल जोशी को अपना इस्तीफा सौंपने के बाद संवाददाता सम्मेलन में अपनी सरकार की उपलब्धियां याद दिलाते हुए मायावती ने कहा, ''कांग्रेस और भाजपा के गलत स्टैंड की वजह से ही बहुजन समाज पार्टी को हार का सामना करना पड़ा.''

उन्होंने कहा, ''कांग्रेस की कमजोर स्थिति और आरक्षण के मुद्दे पर ऊंची जातियों और पिछड़े वर्गों का वोट भाजपा को मिलने की संभावना को देखते हुए मुस्लिम समाज के लोगों ने न कांग्रेस को वोट दिया, न बसपा को। लगभग 70 प्रतिशत मुस्लिम समाज ने अपना एकतरफा वोट सपा उम्मीदवारों को दे दिया.''

'बीएसपी का सुशासन'

मायावती ने कहा कि कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव की घोषणा के बाद ही अपने राजनीतिक स्वार्थ के लिए मुस्लिमों को ओबीसी कोटे में से आरक्षण देने की बात की जिसका भाजपा ने विरोध तो किया लेकिन उसने इस मुद्दे की आड़ में उच्च वर्गों के साथ-साथ ओबीसी को अपनी ओर खींचने की कोशिश की।

मायावती ने दावा किया कि इससे मुसलमानों को डर लगा कि भाजपा दोबारा सत्ता में न आ जाए। समाज के सभी वर्गों का आभार व्यक्त करते हुए मायावती ने कहा, अब प्रदेश की जनता बहुत जल्दी ही सपा की कार्यशैली से तंग आकर बीएसपी के सुशासन को जरूर याद करेगी। उन्होंने कहा कि उन्हें पूरा भरोसा है कि प्रदेश की जनता अगली बार उनकी पार्टी को पूर्ण बहुमत से फिर सत्ता में लाएगी।

एक सवाल के जवाब में मायावती ने कहा कि पार्टी की हार के लिए सिर्फ कांग्रेस और बीजेपी ही नहीं बल्कि मीडिया बंधु भी जिम्मेदार हैं, और उत्तर प्रदेश की जनता कांग्रेस, भाजपा और मीडिया को भी कोसेगी।

आगे की रणनीतिराज्य में अगली बार फिर सरकार बनाने की उम्मीद जताते हुए मायावती ने कहा कि उनकी पार्टी अब ऐसी रणनीति अपनाएगी जिससे भविष्य में उसे फिर हार का सामना न करना पड़े।

मायावती ने कहा, ''अब हमारी पार्टी प्रदेश में दलितों की तरह अन्य समाजों के लोगों को भी कैडर के जरिए हिंदू-मुस्लिम मानसिकता से बाहर निकालने की कोशिश करेगी.''

हालिया विधानसभा चुनाव में मायावती की बहुजन समाज पार्टी उत्तरप्रदेश में 80 सीटों पर सिमटकर रह गई है जबकि वर्ष 2007 में पार्टी ने 206 सीटें जीती

रामदत्त त्रिपाठी, बीबीसी संवाददाता

मायावती ने अपनी हार के लिए जिस तरह कांग्रेस , भारतीय जनता पार्टी , मुस्लिम समुदाय और मीडिया को दोषी ठहराया उससे साफ़ है कि उन्हें इतनी कड़ी पराजय के बाद न तो अपनी गलती के एहसास है और न ही कोई प्रायश्चित।

इससे जाहिर है कि शायद इमरजेंसी में इंदिरा गांधी की तरह वह भी अपनी दुनिया में रह रही थीं और जनता कि भावनाओं अथवा परेशानियों का उन्हें बिलकुल एहसास भी नही था। प्रेस कांफ्रेंस में आये पत्रकारों की त्वरित टिप्पणियाँ थीं कि अहंकार अभी तक गया नही इसीलिए वह वास्तविकता को न जानना चाहती हैं न समझना।

उन्होंने मतदाताओं को जिस तरह अपने पुराने चश्मे से दलित, मुसलमान, पिछड़ा और अपर कास्ट खांचे में देखा उससे यह भी लगता है कि शायद उन्हें भारी संख्या में वोट डालने आये मतदाताओं की क्रांतिकारी जागरूकता का एहसास अभी तक नही हुआ। पिछले दो बार से मतदाता का नया मन्त्र है कि वह नेता पर भरोसा करके उसे पूरी ताकत देता है और फिर एक बार में पूरे पांच साल का हिसाब लेता है.

Posted By: Inextlive