MATHURA (3 Dec.): निजी और सरकारी अस्पतालों में रखे रहने वाले लाल, पीले व नीले रंग के डिब्बे शोपीस बने हुए हैं। कहीं-कहीं तो इनमें साफ-सफाई का कूड़ा डाला जाता है। गांव-देहात में जनपदभर में खुले प्राथमिक व सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों पर अस्पताली कचरा निस्तारण की कोई व्यवस्था ही नहीं है।

बीमारी फैलने का खतरा

न तो सीएचसी-पीएचसी पर किसी संबंधित एजेंसी की गाड़ी कचरा लेने जाती और न ही इस अस्पताली कचरा निस्तारण की कोई व्यवस्था है। देहात में खुले इन स्वास्थ्य केंद्रों पर परिसर में खुले में या गड्ढा खोदकर अस्पताली कचरा उढ़ेल दिया जाता है। इकट्ठा होने पर इसमें आग लगा दी जाती है। इससे संक्रामक बीमारियां फैलने का डर बना रहता है।

कई जगह तो डिब्बे ही नहीं

वहीं, शहर के अस्पतालों में अस्पताली कचरा निस्तारण ठीक से नहीं हो पा रहा है। कहीं, तीनों रंगों के डिब्बे एक साथ नहीं रखे हैं, तो कहीं ये डिब्बे खाली ही रखे हुए हैं। कुछ छोटे-मोटे क्लीनिक व नर्सिंग होम ऐसे भी हैं, जहां ऐसे डिब्बे ही नहीं हैं। जिला अस्पताल की ?लड बैंक की गैलरी में लाल व पीले रंग डिब्बे एक स्टैंड पर खाली रखे हुए थे, जबकि नीले रंग का डिब्बा अंदर लैब में रखा था। यहां पर लाल रंग की पॉलीथिन में अस्पताली कचरा डाला जा रहा था। मेल सर्जिकल वार्ड के बगल में एक निर्माणाधीन कक्ष के पास पीले रंग का डिब्बा कबाड़ के रूप में पड़ा था।

प्राइवेट पर डंडा, सरकारी पर नहीं

सारे नियम-कानून निजी अस्पतालों पर लागू कराए होते हैं। प्रमाण पत्रों के नाम पर प्राइवेट डॉक्टरों को सरकारी तंत्र परेशान करता है, लेकिन सरकारी अस्पतालों में सुविधाओं का नामोनिशान नहीं है। बायो मेडिकल वेस्ट के लिए प्राइवेट अस्पताल एक लॉग बुक मेंटेन करते हैं। यहां फ्रेंड्स ऑफ वृंदावन की गाड़ी आती है और दत्ता इंटरप्राइजेज के आगरा में लगे इंसीनेटर प्लांट में यह अस्पताली कचरा ले जाती है। जबकि सीएचसी-पीएचसी पर इस बायो मेडिकल वेस्ट के निस्तारण का कोई उपाय नहीं है।

प्रदूषण और इंफेक्शन का खतरा

आइएमए के पूर्व अध्यक्ष व वरिष्ठ सर्जन डॉ। देवेंद्र कुमार बताते हैं कि आइएमए और नर्सिंग होम एसोसिएशन से जुड़े सभी हॉस्पिटल, नर्सिंग होम व क्लीनिकों से अस्पताली कचरा उठाया जाता है। दत्ता इंटरप्राइजेज के प्लांट में इंसीनेटर से निस्तारण किया जाता है। खुले में बायो मेडिकल वेस्ट पड़ा रहने और इसमें आग लगाने से तमाम तरह के इंफेक्शन फैलने की आशंका रहती है। टीबी, निमोनिया, फेंफड़ों संबंधी बीमारी, अस्थमा, खांसी, दमा, ब्रांकाइटिस आदि बीमारियों की आशंका रहती है।

किस डिब्बे में क्या होना चाहिए

1. लाल: पैथोलॉजी, ब्लड बैंक, ऑपरेशन थियेटर, जनरल वार्ड, बर्न वार्ड आदि में रखे रहने वाले लाल रंग के डिब्बे में ट्यूबिन, ग्लब्स, आईवी सेट, ब्लड बैग, यूरिन बैग, सि¨रज जैसी इंफेक्टेड सामग्री डाली जाती है।

2. पीला: पीले रंग के डिब्बे में मानव उत्तक (टिस्यू), रक्त रंजित रुई, पट्टियां, प्लेसेंटा (बच्चे की नाल), मान के कटे हुए भाग आदि डाले जाते हैं।

3. नीला: ब्लेड्स, दवाओं की वाइल्स, कांच की टूटी बोतलें, प्लास्टिक की टूटी-फूटी बोलतें आदि सामान नीले रंग के डिब्बे में डाली जाती हैं।

Posted By: Inextlive