ALLAHABAD:: अंधेरों से जूझ रहे मासूम बचपन को जल्द ही रोशनी की सौगात मिलने वाली है. या यूं समझ लें कि एमएलएन मेडिकल कॉलेज के एक स्टूडेंट की रिसर्च ब्लाइंडनेस से जूझ रहे बच्चों के लिए संजीवनी साबित होने वाली है. नेत्र दान पखवाड़े के दौरान ऐसे स्कूल जहां ब्लाइंड बच्चे पढ़ते हैं के आंखों की जांच करके उन्हें नई रोशनी देने की कोशिश की जाएगी. खुद कॉलेज के आफ्थेल्मोलॉजीडिपार्टमेंट के डॉक्टर्स ने रिसर्च को हाथों-हाथ लिया है.

Doctors की टीम जाएगी सर्वे करने

एमएलएन मेडिकल कॉलेज के आफ्थोल्मोलॉजी डिपार्टमेंट के एमएस सेकंड इयर स्टूडेंट डॉ। सुशांक भालेराव की रिसर्च उन बच्चों पर बेस्ड है जिनकी आई साइट किसी न किसी कारण से वीक या लॉस हो चुकी है। उन्हें इस अंधेरी दुनिया से निजात दिलाने के लिए बीमारियों की लिस्ट तैयार की जाएगी। इसके तहत ऐसे बच्चों की कम्प्लीट जांच करके अंधपन का रीजन पता लगाया जाएगा। यह जानने की कोशिश की जाएगी कि बच्चे के आंखों की रोशनी कैसे वापस लाई जा सकती है। इसके लिए खुद एमडीआई हॉस्पिटल के डॉक्टर्स की टीम तैयार की गई है जो स्कूलों में जाकर बकायदा चेकअप करेगी।

 

DM से मांगी है permission

रिसर्च की थीसिस तभी तैयार होगी जब डिस्ट्रिक्ट के प्रत्येक स्कूल के ब्लाइंड बच्चे का हिसाब-किताब डॉ। सुशांक के पास मौजूद होगा। इसके लिए उन्हें स्कूलों में दस्तक देनी होगी। यही रीजन है कि उन्होंने स्कूलों में इंट्री पाने के लिए बकायदा डीएम से परमिशन मांगी है। उनका कहना है कि जैसे ही परमिशन मिल जाएगी वे स्कूलों का सर्वे करना शुरू कर देंगे। बता दें कि इस समय सिटी के कुल स्कूलों में 550 से 600 बच्चे ऐसे पढ़ रहें जिनकी आंखों की जांच इस रिसर्च के तहत होनी है।

 

Important है research

रिसर्च के इम्पार्टेंस का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि खुद प्रिंसिपल डॉ। एसपी सिंह स्टूडेंट डॉ। सुशांक के गाइड हैं। उनकी निगरानी में डॉ। एमपी टंडन, डॉ। श्रद्धा द्विवेदी और डॉ। जागृति राना बच्चों की आंखों की जांच करेंगे। रिसर्च से जो थिसिस तैयार की जाएगी उसके बेस पर ब्लाइंड स्कूलों, टीचर्स को मोटीवेट किया जाएगा ताकि, वे जान सकें कि ऐसे बच्चों की दुनिया फिर से रौशन हो सकती है। साथ ही उनके फैमिलीज की हिस्ट्री भी तैयार की जाएगी। बता दें कि इसके पहले न तो ऐसी रिसर्च हुई और न ही गवर्नमेंट की ओर से ऐसा अभियान चलाया गया है जिसके चलते ब्लाइंडनेस से जूझ रहे बच्चों की रिपोर्ट तैयार की जा सके।

 

 फिर शुरू होगा इलाज का सिलसिला

डिस्ट्रिक्ट के स्कूलों के ब्लाइंड बच्चों की रिसर्च तैयार होने के बाद उनके इलाज का प्रॉसेस शुरू होगा। सर्वे रिपोर्ट ट्रीटमेंट और सर्जरी का आधार बनेगी जिसे एमडीआई हॉस्पिटल के डॉक्टर्स खुद आपरेट करेंगे। एमएलएन मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल और एमडीआई हॉस्पिटल के डायरेक्टर डॉ। एसपी सिंह कहते हैं कि हमारे पास ब्लाइंडनेस के ट्रीटमेंट की लगभग सभी एडवांस टेक्निक मौजूद हैं।

 

इन बीमारियों का हो सकता है इलाज

कंट्रेक्ट (मोतियाबिंद)

कार्निया ओपेसिटी (पुतली में सफेदी)

रिफ्रेक्टिव एरर

तिरछापन

रतौंधी

 

वक्त आने पर transplant होगा कार्निया

अगर किसी बच्चे की आंखों की रोशनी वापस आने की जरा भी उम्मीद नहीं होगी तो फिर उसका फ्यूचर में कार्निया ट्रांसप्लांटेशन किया जाएगा। हालांकि, पहले भी एमडीआई हॉस्पिटल की ओर से ऐसे बच्चों का ट्रीटमेंट कर उन्हें नई जिंदगी दी जा चुकी है। कुछ महीने पहले डॉक्टरों की एक टीम ने बचपन डे केयर स्कूल के कुछ बच्चों की मोतियाबिंद की सर्जरी की थी। इतना ही नहीं इसी स्कूल के एक बच्चे का ट्रीटमेंट पॉसिबल नहीं होने पर उसका कार्निया ट्रांसप्लांटेशन किया गया था।

 

नेत्रदान पखवाड़े से होगा श्रीगणेश

नेत्रदान पखवाड़ा 25 अगस्त से शुरू हो रहा है। यह 8 सितंबर तक चलेगा। उम्मीद है कि ब्लाइंड स्कूलों में रिसर्च की इसी दौरान शुरुआत हो जाएगी। डॉ। सिंह कहते हैं कि पखवाड़े के दौरान लोगों को अवेयर करने के लिए अलग-अलग टीमें बनाई गई हैं जो अर्बन और रूरल एरियाज में जाकर लोगों को नेत्रदान से जुड़ी क्वेरीज को सॉल्व करेंगी।

 

नेत्रदान पखवाड़े पर एक नजर

हर साल 25 अगस्त से 8 सितंबर के बीच नेत्रदान पखवाड़ा मनाया जाता है।

पूरे देश में 0.12 मिलियन लोग कार्नियल डिजीज के चलते ब्लाइंडनेश के शिकार हैं और हर साल 20 हजार नए पेशेंट बढ़ते हैं।

प्रति वर्ष 45 से 50 हजार लोग स्वेच्छा से नेत्रदान करते हैं।

टेलीफोन नंबर 2242549, 9451762902 और 9807477789 पर कॉल करके नेत्रदान से जुड़ी जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।

एमडीआई हॉस्पिटल के कमरा नंबर 15 में जाकर आप स्वेच्छा से नेत्रदान की वसीयत भर सकते हैं।

 

 

 

Posted By: Inextlive