- एक दशक में बदल गया गोरखपुर का हेल्थ सिस्टम

- अब गोरखपुर में ही होते हैं बड़ी-बड़ी बीमारियों के इलाज

- मल्टी और सुपर स्पेशियालिटी हॉस्पिटल्स के साथ हाईटेक पैथोलॉजी भी गोरखपुर में खुलीं

एक दशक में बदल गया गोरखपुर का हेल्थ सिस्टम

- अब गोरखपुर में ही होते हैं बड़ी-बड़ी बीमारियों के इलाज

- मल्टी और सुपर स्पेशियालिटी हॉस्पिटल्स के साथ हाईटेक पैथोलॉजी भी गोरखपुर में खुलीं

GORAKHPUR: GORAKHPUR: खाने-पीने के अलावा अगर कोई सबसे अहम जरूरत है, तो वह है बॉडी को फिट एंड फाइन रखना यानि कि हेल्दी रहना। इसके लिए जरूरी है प्रॉपर इलाज। एक दशक में गोरखपुर में तो बदलाव हुए ही हैं, साथ ही यहां का मेडिकल सिस्टम काफी हाईटेक और अपग्रेड हुआ है। अब शहर में हेल्दी और वेल्दी रहने के ऑप्शन काफी बढ़ गए हैं। दशक के पहले जहां गोरखपुर के लोगों को किसी बड़ी बीमारी का इलाज कराने या कुछ गंभीर जांचों के लिए तीन सौ किलोमीटर का सफर करना पड़ता था, मगर अब सब सुविधाएं शहर में ही मौजूद हैं। सिर्फ क्रिटिकल बीमारी या इमरजेंसी रेफरल की कंडीशन में ही लोगों को गोरखपुर से बाहर जाना पड़ रहा है। अब व्यवस्थाएं और हाईटेक होती जा रही हैं और गवर्नमेंट हॉस्पिटल और मेडिकल कॉलेज में ही वह सारी सुविधाएं मिलने लगी हैं, जिसके लिए किसी प्राइवेट हॉस्पिटल में जाना मजबूरी होती थी।

एम्स की मिली सौगात

गोरखपुर की मेडिकल हिस्ट्री में सबसे बड़ा अचीवमेंट अगर कुछ है, तो वह है ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस यानि कि एम्स। गोरखपुर में काफी दिनों से इसकी मांग चल रही थी, जिसे काफी मशक्कतों के बाद अप्रूवल मिला। इसके बाद जमीन का रोड़ा फंस गया, किसी तरह प्रदेश सरकार ने इसकी जमीन दी और केंद्र ने इसके लिए पैसा। काफी मशक्कतों के बीच एम्स बनकर तैयार हो गया। पीएम ने बाकायदा इसका इनॉगरेशन किया और अब ये गोरखपुर के साथ ही आसपास के लोगों की बीमारियों को दूर करने के लिए अहम रोल अदा कर रहा है। नए साल में एम्स में 7ख्0 बेड का अस्पताल शुरू होगा। अप्रैल में फ्00 बेड की आईपीडी भी शुरू हो जाएगी। सभी 7ख्0 बेड की आईपीडी सितंबर माह में शुरू हो जाएगी। दिसंबर ख्0ख्0 तक एम्स में मेजर सर्जरी भी शुरू होने की उम्मीद है। साथ ही क्ख्ब् चिकित्सक-शिक्षकों की नियुक्ति की प्रक्रिया चल रही है। जैसे-जैसे ज्वॉइनिंग होती जाएगी, नए विभाग भी खुलते जाएंगे। अभी ओपीडी दो फ्लोर पर चल रही है, नए साल में इसे दो तल और मिल जाएंगे। आयुष विंग भी खुलने की पूरी उम्मीद है।

मेडिकल कॉलेज में बढ़ीं सुविधाएं

गोरखपुर में हेल्थ सर्विस को बेहतर करने की रीढ़ माने जाने वाले बीआरडी मेडिकल कॉलेज में भी इन दस सालों में काफी सुविधाएं बढ़ाई गई हैं। मेडिकल कॉलेज में एईएस, जेई पीडि़त बच्चों के अलावा जन्मजात होने वाली प्रॉब्लम के इलाज और सर्जरी के लिए भ्00 बेड का पीडियाट्रिक्स अस्पताल भी इस साल जनवरी-फरवरी में शुरू हो जाएगा। क्0 साल पहले जिस गोरखपुर के लोगों को पढ़ाई के लिए बाहर जाना पड़ता, वह नए साल में गोरखपुर में ही अवेलबल होगी। इस साल एमडी रेडियोलॉजी व एमडी साइकियाट्री की पढ़ाई भी शुरू होने की उम्मीद है। अभी सिर्फ एक्सरे की ख्ब् घंटे व्यवस्था है, शेष जांचें दिन में होती हैं, लेकिन नए साल में अल्ट्रासाउंड, सीटी स्कैन व एमआरआई की जांच भी ख्ब् घंटे मिलने लगेगी। साथ ही एक शव वाहन भी खरीदा जाएगा जो गरीबों के लिए फ्री होगा।

ख्ब् घंटे भर्ती होंगे मरीज

टीबी के मरीजों के लिए अभी अलग से कोई ऐसा हॉस्पिटल नहीं था, जहां मरीजों का सेपरेटली इलाज किया जा सके। मगर नंदानगर में क्00 बेड टीबी अस्पताल बना, जिसमें सिर्फ इमरजेंसी मरीजों को भर्ती करने की सुविधा है। ख्ब् घंटे मरीज भर्ती नहीं किए जाते हैं। नए साल में मरीजों की ख्ब् घंटे भर्ती भी शुरू हो जाएगी। यहां टीबी के साथ ही प्रसव के लिए महिलाओं की भर्ती होगी। जमीन मिल गई तो अस्पताल के बगल में टीबी ट्रेनिंग सेंटर भी बनेगा। जिला अस्पताल में भी एमआरआई जांच की सुविधा शुरू होगी। साथ ही मरीजों को पाइप लाइन से ऑक्सीजन मिलने लगेगा।

यह भी हुए हें बदलाव

- गोरखपुर में एनएबीएल से एक्रीडेटेज दर्जनों पैथोलॉजी लैब की शुरुआत हुई।

- खून से लेकर होल बॉडी की जांच के लिए सभी तरह की मशीन उपलब्ध।

- आयुष्मान योजना के तहत गरीब मरीजों का भी प्राइवेट और बड़े हॉस्पिटल्स में होने लगा इलाज।

- अर्बन पीएचसी हुई अपग्रेड, यहां भी मिलने लगीं पेशेंट्स को तमाम सुविधाएं।

- एम्स, जिला अस्पताल और मेडिकल कॉलेज में एडमिशन डिजिटल हुआ, जिससे टाइम की भी बचत होने लगी।

- जिला अस्पताल और आयुष विंग को नई ओपीडी बिल्डिंग मिली, जहां लोगों का इलाज होने लगा।

- मेडिकल कॉलेज के साथ ही जिला अस्पताल में भी इंसेफेलाइटिस के लिए अलग से वार्ड की व्यवस्था हुई है, जहां सिर्फ दिमागी बुखार के मरीजों का ही इलाज हो रहा है।

- गोरखपुर में दर्जनों सुपर स्पेशियालिटी हॉस्पिटल ओपन हुए, जिससे गोरखपुर के अलावा आसपास के मरीजों को मिली राहत।

Posted By: Inextlive