- पैरेंट्स ने पूछा किस आदेश के तहत बढ़ाई और किस आदेश के तहत वापस ली गई फीस

- सरकार पर संवैधानिक संस्थाओं की अनदेखी करने का लगाया आरोप

देहरादून, मेडिकल स्टूडेंट्स की एक झटके में बढ़ाई गई 400 परसेंट फीस बेशक यूनिवर्सिटी ने वापस ले ली हो, लेकिन पैरेंट्स इस मामले में अब भी आक्रामक हैं। निजी मेडिकल विश्वविद्यालय संयुक्त अभिभावक संघ ने संडे को सरकार पर कई सवाल दागे। इन सवालों ने फीस बढ़ाने के मसले पर प्राइवेट यूनिवर्सिटी के साथ ही सरकार को भी कठघरे में खड़ा कर दिया है। संघ के मुख्य संरक्षक रविन्द्र जुगरान इस मसले में काफी आक्रामक नजर आये। उन्होंने कहा कि किसी को भी इस तरह की मनमानी की छूट नहीं दी जा सकती।

ये हैं सवाल

- सुप्रीम कोर्ट के आदेश को राज्य सरकार ने किस कानून के तहत बदला?

- हाईकोर्ट का फैसला आने से पहले ही प्राइवेट यूनिवर्सिटी को फीस बढ़ाने का अधिकार कैसे दिया?

- प्राइवेट यूनिवर्सिटी ने किस जीओ के तहत फीस बढ़ाई?

- यदि कोई जीओ या नोटिफिकेशन ही जारी नहीं हुआ तो किस आधार पर फीस बढ़ाई गई?

- यदि फीस बढ़ाने का कोई जीओ या नोटिफिकेशन जारी नहीं हुआ तो सरकार ने कौन सी बढ़ी हुई फीस वापस ली?

ये लगाये आरोप

पैरेंट्स ने आरोप लगाये कि राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश का खुला उल्लंघन किया है। रविन्द्र जुगरान ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर सभी राज्यों में प्राइवेट कॉलेजों की फीस तय करने के लिए रिटायर्ड जज की अध्यक्षता में कमेटी बनाने के निर्देश दिये हैं। उत्तराखंड में भी ऐसी कमेटी है, लेकिन कैबिनेट ने इस कमेटी को दरकिनार किया और खुद फैसला ले लिया। दूसरे दिन गलती का अहसास होने पर इस फैसले पर कमेटी की मुहर लगवाई गई।

राज्यपाल करें हस्तक्षेप

पैरेंट्स ने राज्यपाल से अनुरोध किया है कि वे इस मामले में हस्तक्षेप करें। इस मामले में जिस तरह से राज्य सरकार से संवैधानिक मर्यादाओं की धज्जियां उड़ाई हैं, उसे देखते हुए राज्यपाल को तुरन्त इस मामले में संज्ञान लेना चाहिए।

Posted By: Inextlive