- सर्जरी से लेकर डिलेवरी वार्ड तक में जांच के दौरान चला पता

- नर्स ने लगाया आरोप, प्रेशर डालकर बैक डेट में करवाया गया एंट्री

- बच्चे का कफ सीरप से लेकर लाइफ सेविंग ड्रग्स तक को उड़ा दिया

- नालंदा मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पीटल में घोटाले की जांच में हुआ था खुलासा

PATNA: नालंदा मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पीटल में इलाज कराने आए पेशेंट को सर्जरी से लेकर गाइनी तक के लिए सारी दवा खरीदनी पड़ती थी, जबकि तमाम तरह की दवाएं पहले से ही रखी हुई थी। इसके बाद भी पेशेंट के अटेंडेंट को खरीद कर देना पड़ता था। ताज्जुब की बात तो यह थी कि जिस सर्जरी और गाईनी वार्ड में नॉर्मल सा टिटबैक इंजेक्शन दिया जाता है, वो भी वहां पर मौजूद नहीं था, जबकि उसके सैकड़ों वाइल रखे हुए थे, पर पेशेंट को नहीं दिया गया। यही नहीं, मशीन की खरीदारी में लापरवाही तो बरती ही गयी लेकिन उसे भी खराब करके रख दिया गया। यही नहीं, एंटी बायोटिक सहित कप सीरप और लाइव सेविंग ड्रग्स तक को माफियाओं ने इस कदर खत्म कर दिया कि पेशेंट कैंपस में चिल्लाते रहे, लेकिन उन्हें खरीदारी खुद से ही करनी पड़ी। नालंदा मेडिकल कॉलेज दवा घोटाले की यह पहली और आखिरी सच्चाई नहीं है, बल्कि ऐसी कई दवाएं जांच के दौरान पायी गयी कि जिसकी खरीदारी से लेकर तमाम तरह की गड़बड़ी फाइव मेन कमिटी के सामने आयी।

जितनी बार जांच, उतना रेट बढ़ता गया

नालंदा मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल में 2008-2009, 2009-2010 के दौरान दवाओं की खरीदारी में लापरवाही जमकर किया गया। निगरानी ने इसकी जितनी बार जांच की, उतने कई सबूत सामने आते चले गए। मामला घटने की बजाय और भी बढ़ता ही चला गया। निगरानी की पहली रिपोर्ट में 85 लाख की गड़बड़ी सामने आयी थी। लेकिन बाद में जो भी जांच किया गया। उसकी रिपोर्ट लगातार बढ़ता ही चला गया। और आखिरकार 1.6 करोड़ के आसपास पहुंच गयी।

उस पर डाला गया प्रेशर

सर्जरी महिला वार्ड में टिटबैक को लेकर नर्स ने जब जांच कमिटी ने पूछा तो उसने स्वीकार किया कि यह बाद में इंडेंट मेरे द्वारा दिखलाया गया है। जो मुझसे बैक डेट में प्रभारी नर्स से जबरदस्ती दवाब बनवाकर और डरा-धमका कर करवाया गया है। जांच के दौरान टीम को नर्स ने बताया कि काम मैं नहीं कर रही थी, लेकिन दशरथ प्रसाद एवं धनुषधारी प्रसाद स्टोर बाबुओं के द्वारा दबाव और धमकाने की वजह से मैंने कर दिया। जांच रिपोर्ट में यह बताया कि या तो टेट गोल्ड का वायल स्टोर में आपूर्तिकर्ता द्वारा आपूर्ति नहीं किया गया या फिर फिर स्टोर से सीधे बाजार में चला गया है। इसके अलावा एंटी बायोटिक और लाइफ सेविंग ड्रग्स में भी बड़ी मात्रा में गड़बड़ी पायी गयी। इसमें कुल 15 आइटम शामिल है।

कई आइटम जिससे हुई राजस्व की हानी

- C-Arm Image intensifier Machine - 9,006,600 रुपए की हानि

- Tetglob की खरीदारी में 8,98,240 रुपए की हानि

- 500 MA-x-ray machine की खरीदारी में 14,17,240 रुपए की हानि

- Amoxicillin Capsule की खरीदारी में 7,भ्8,ब्ख्क् रुपए की हानि

Posted By: Inextlive