इंडियन डॉक्‍टर्स ने मेडिकल साइंस का चमत्‍कार दिखाते हुए एक नवजात बच्‍चे के खराब लीवर की जगह उसकी मां का लीवर छोटा करके सफलतापूर्वक ट्रांसप्‍लांट कर दिया।

महाराष्ट्र के एक गांव में पैदा हुई बच्ची में थी लीवर से जुड़ी गंभीर बीमारी

मुंबई। राज्य के पालघर कस्बे के घोलवाड़ गांव में हाल ही में एक बच्चा पैदा हुआ था, जिसके लीवर में बचपन की एक गंभीर बीमारी थी, जिसका नाम था biliary atresia। इस बीमारी में पेट में मौजूद पित्त कुछ नलिकाएं संकरी या बंद होती हैं या फिर पूरी तरह से बनी ही नहीं होती हैं। इस कारण बच्चे का वजन बढ़ना रुक जाता है। मिड के मुताबिक 9 महीने की इस बच्ची का नाम है काव्या राउत, जो इस सफल ऑपरेशन के बाद स्वस्थ हो रही है। बता दें कि पश्चिम भारत में पहली बार इतने कम उम्र बच्चे का सफल लीवर ट्रांसप्लांट किया गया है।

मां ने अपना 20 परसेंट लीवर किया दान तो काव्या की बची जान

जब काव्या के पेरेंट पालघर से उसे मुंबई के एक निजी अस्पताल में दिखाने लाए तो उन्हें उसकी बीमारी का पता चला। इसके बाद डॉक्टरों ने उसके लीवर का ट्रांसप्लांट प्लान किया। इसके लिए काव्या की मां निशा ने अपने लीवर का करीब 20 परसेंट डोनेट किया। डॉक्टरों की टीम ने निशा के लीवर का जो हिस्सा निकाला, वो भी इतने छोटे बच्चे के हिसाब से काफी बड़ा था। तो डॉक्टरों ने उस लीवर से तमाम टिश्यूज को हटा दिया। इसके बाद वो लीवर नन्हीं काव्या के शरीर में ट्रांसप्लांट किया जा सका। बता दें कि मेडिकल साइंस के स्तर पर ऐसे ट्रांसप्लांट काफी मुश्किल होते हैं, जिनमें पूरा नहीं बल्कि ऑर्गन का कुछ हिस्सा ट्रांसप्लांट किया जा रहा हो।


नन्हीं काव्या के पिता बनाते हैं मूर्तियां

9 महीने की बच्ची काव्या लीवर से जुड़ी अपनी बीमारी के चलते काफी गंभीर हालत में मुंबई के वॉकहार्ट हॉस्पिटल में आई थी। बच्ची के पिता मूर्तियां बनाने का काम करते हैं। उन्होंने अपनी गाढ़ी कमाई अपनी बच्ची के इलाज में लगा दी है। इस बच्ची को पिछले काफी दिनों ने सफेद मल आ रहा था। उसे भयंकर पीलिया हो चुका था और उसके नाभि के आसपास पेट में इंफेक्शन हो चुका था। मुंबई में लाए जाने के बाद उसका एक ऑपरेशन पहले भी किया गया था, जो सफल नहीं हुआ। इसके बाद बच्ची इस हॉस्पिटल में आई। जहां वॉकहार्ट हास्पिटल के ऑर्गन ट्रांसप्लांट स्पेशलिस्ट डॉक्टर अनुराम श्रीमल की टीम ने इस मुश्किल ऑपरेशन को अंजाम दिया।

कैसे हुआ ये मुश्किल ऑपरेशन?

डॉक्टर अनुराम श्रीमल के मुताबिक इस बच्ची के पहले हुए ऑपरेशन के चलते इसके पेट में लीवर और आतें आपस में बुरी तरह से चिपक गई थीं। यही नहीं बच्ची की हालत ऐसी नहीं थी कि वो ऑपरेशन के दौरान 300-400 ग्राम खून का बहना सह सके। खैर हमने इन सब चीजों का ध्यान रखते हुए सफल ऑपरेशन किया है। हमने काव्या की मां के लीवर का जो हिस्सा निकाला था, वो करीब 260 ग्राम का था, लेकिन बच्ची के शरीर का ध्यान रखते हुए हमने लीवर के उस हिस्से को छोटा करके 210 ग्राम तक ले गए। उसके बाद उसे ट्रांसप्लांट किया गया। ऑपरेशन के दौरान बच्ची का वजन 5.6 किलोग्राम था। डॉक्टरों के मुताबिक ऑपरेशन सफल रहा, लेकिन काव्या की हालत अब भी स्टेबल लेकिन गंभीर है और पूरी तरह से ठीक होने में अभी उसे वक्त लगेगा। हालांकि बच्ची के मां बाप की आंखों में उम्मीद की नई चमक दिख रही है कि शायद अब उनकी बच्ची स्वस्थ और सामान्य जिंदगी जी सकेगी।

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Posted By: Chandramohan Mishra