- सरकारी से लगाए प्राइवेट नर्सिग होम और एंबुलेंस में चलने वाली टीम के लिए पीपीई किट में काम करना है बेहद कठिन

GORAKHPUR एक तरफ बढ़ते जा रहे कोरोना केसेज तो दूसरी तरफ बढ़ती मौसम की तपिश ने फ्रंटलाइन वॉरियर्स की मुश्किलें भी बढ़ा दी हैं। कोरोना पेशेंट्स के इलाज में जुटे डॉक्टर्स या नर्सेज हों चाहे पेशेंट्स को हॉस्पिटल पहुंचाने वाले एंबुलेंस स्टाफ, सभी के लिए ये समय किसी चुनौती से कम नहीं है। 40 डिग्री सेल्सियस तापमान वाली गर्मी में पीपीई किट, मास्क, ग्लव्स, फेस शील्ड पहन इन लोगों को लगातार 6-8 घंटे तक काम करना पड़ता है। इसने मेडिकल स्टाफ का वर्क रूटीन भी चेंज कर दिया है।

ओटी में घुटता है दम

बीआरडी मेडिकल कॉलेज गायनी डिपार्टमेंट की एचओडी प्रो। वानी आदित्य कहती हैं कि सेफ्टी बहुत जरूरी है। इसके लिए हम मास्क, पीपीई किट, फेश शील्ड का इस्तेमाल करते हैं। इन दिनों गर्मी बहुत बढ़ गई है लेकिन ओटी में जाने से पहले बचाव के लिए किट पहनना जरूरी है। हमारे डिपार्टमेंट में सभी डॉक्टर्स इसका इस्तेमाल करते हैं। वहीं आर्थो डिपार्टमेंट के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ। अमित मिश्रा बताते हैं कि कोरोना संक्रमण के आने के बाद से निश्चत ही इलाज के तौर तरीके में बदलाव आया है। कई बार तो तीन से चार घंटे तक सेफ्टी किट पहनने से काफी घुटन होती है लेकिन पहनना मजबूरी है। वहीं जनरल सर्जन डॉ। अभिषेक जीना बताते हैं कि जहां पहले तीन ऑपरेशन करने में भी थकावट या घुटन नहीं होती थी, वहीं अब एक आपरेशन में ही घुटन होने लगती है। पीपीई किट, मास्क, फेस शील्ड लगाकर काम करना बेहद कठिन है। वहीं कोरोना वार्ड में तैनात डॉक्टर्स तो लगातार 6-8 घंटे तक पीपीई किट पहनकर ड्यूटी कर रहे हैं।

भीषण गर्मी में टीम का बुरा हाल

कोरोना की पुष्टि होने पर सीएमओ के निर्देश पर पीपीई किट, मास्क, फेस शील्ड लगाकार हेल्थ डिपार्टमेंट की पूरी टीम कोरोना संक्रमित को एंबुलेंस से बीआरडी या रेलवे हॉस्पिटल के आईसोलेशन वार्ड में लाती है। इस भीषण गर्मी में मेडिकल टीम का बुरा हाल हो जाता है। एंबुलेंस पर ड्यूटी करने वालीं डॉ। श्वेता त्रिपाठी बताती हैं कि पीपीई किट के बगैर किसी व्यक्ति के सैंपल नहीं ले सकती हैं। बचाव का एक ही तरीका पीपीई किट है। लेकिन 40 से 42 डिग्री तापमान में इसे पहनना किसी तपती भट्टी के पास घंटों गुजारने जैसा होता है।

प्राइवेट वाले भी परेशान

वहीं प्राइवेट नर्सिग होम में इलाज शुरू हो गया है। प्राइवेट हॉस्पिटल्स को इमरजेंसी में मरीजों को देखने की परमिशन भी मिल गई है। डॉ। संजीव गुलाटी बताते हैं कि पीपीई किट पहनकर इलाज करना बेहद कठिन है। पहले जहां सिर्फ मास्क का इस्तेमाल किया जाता था, वहीं कोरोना संक्रमण से बचने के लिए पीपीई किट, फेस शील्ड, मास्क व ग्लव्स के बगैर तो इलाज ही संभव नहीं है।

कैसे यूज होती है पीपीई किट

- पीपीई किट को सिर से पैर तक बांधना पड़ता है।

- फेश शील्ड पहनना होता है जरूरी

- एन-95 का मास्क पहनना

- ग्लव्स पहनने के बाद ही किसी व्यक्ति को टच करना।

क्या हो रही दिक्कत

- दस मिनट में ही पसीने से तरबतर

- बेचैनी, गला सूखना, असहनीय स्थिति

- गला सूखने पर कई बार ऐसा लगना कि मास्क निकालकर पानी पी लूं।

- बेचैनी महसूस होना और मास्क के बेल्ट चुभना।

- कानों पर अलग तरह का प्रेशर बने रहना।

वर्जन

पीपीई किट, मास्क, फेस शील्ड व ग्लव्स पहनना अनिवार्य है। कोरोना संक्रमण से बचाव जरूरी है। इसके लिए सभी डॉक्टर्स और मेडिकल स्टाफ को गाइडलाइन जारी है।

- डॉ। श्रीकांत तिवारी, सीएमओ

Posted By: Inextlive