- 2-3 सौ पेशेंट्स को एक दिन में निपटा दे रहे डॉक्टर्स

- पांच सालों में डॉक्टर्स की फीस हो गई दोगुनी

- पेशेंट्स दिनभर करते इंतजार, डॉक्टर एक मिनट में कर दे रहे इलाज

GORAKHPUR: बदलते परिवेश के साथ आधुनिकता के दौर में लोगों का इम्युनिटी पावर कम होता जा रहा है. थोड़ा भी मौसम चेंज होने पर शहर में तेजी से रोगियों की संख्या बढ़ने लगती है. इस समय हालत ये है कि शहर में डॉक्टर्स की संख्या कई गुनी बढ़ी है साथ ही मरीजों की भी भरमार देखने को मिल रही है. खास बात ये है कि इधर चार-पांच सालों में मरीजों के बढ़ने के साथ ही डॉक्टर्स की फीस भी दोगुनी हो गई है. लेकिन डॉक्टर्स के पास अब मरीजों के लिए टाइम ही नहीं बचा है. क्यूकि इस समय एक डॉक्टर दो से तीन सौ मरीजों को देख रहा है. इससे मोटी फीस देकर दिनभर इंतजार करने के बाद जब पेशेंट्स का नम्बर आ रहा है तो उन्हें अपनी पूरी बात बताने का मलाल रह जा रहा है. उनका कहना है कि डॉक्टर्स पूरी बात भी नहीं समझते तुरंत अगले महीने आने की बात कहकर विदा कर देते हैं.

समय के साथ बढ़ती गई फीस

चार साल पहले डॉक्टर्स की न्यूनतम फीस जहां 100 से 150 रुपए हुआ करती थी. वहीं अब न्यूनतम फीस बढ़कर 300 से 500 हो गई है. इसी तरह पहले डॉक्टर्स कम थे और इसके बाद भी डॉक्टर्स के पास 50 से 60 मरीज ही इलाज कराने आते थे. लेकिन अब हालत ये है कि शहर में डॉक्टर्स भी बढ़ गए और बीमारी की वजह से मरीजों की भीड़ भी बढ़ गई. हालत ये है कि सुबह तीन बजे से ही डॉक्टर को दिखाने के लिए मरीज के पैरेंट्स लाइन लगाकर नम्बर लगा रहे हैं. वहीं एक दिन में एक डॉक्टर्स कम से कम दो से तीन सौ मरीजों को देख रहे हैं. इन सब के बीच ज्यादा फीस लेने के बाद भी डॉक्टर्स मरीज को संतुष्ठ नहीं कर पा रहे हैं.

इमरजेंसी का खेल

सूत्रों की माने तो डॉक्टर्स की क्लीनिक पर इस समय इमरजेंसी का खेल भी खेला जा रहा है. जहां 5 सौ रुपए डॉक्टर की फीस है वहां इमरजेंसी के नाम पर तुरंत दिखाने के लिए 1 हजार तक वसूल लिया जा रहा है. मरीज भी मजबूरी में आकर पैसे दे देते हैं.

कोट-

अपनी पत्‍‌नी का इलाज जिस गाइनोक्लॉजिस्ट से कराता था उनकी फीस पहले 150 रुपए थी. अब उनकी फीस बढ़कर 3 सौ हो गई है. दिक्कत ये है कि अब वे ज्यादा समय नहीं देती हैं.

अरविंद कुमार

अब तो डॉक्टर्स के यहां जाने में भी डर लगता है. फीस तो ज्यादा है वो तो ठीक है. लेकिन कहीं जांच लिख दिए तो कई हजार लग जाएंगे. डॉक्टर अगर ठीक से देखे तो जांच की जरूरत नहीं पड़ेगी.

सुलेखा देवी,

कभी अपने लिए तो कभी अपने बच्ची के लिए डॉक्टर्स के पास जाना पड़ता है. धीरे-धीरे फीस इतनी बढ़ गई है कि ज्यादा पैसे इसी में खर्च हो जाते हैं. ऊपर से अगर डॉक्टर ने जांच लिख दी तब तो जाने कितने लगेंगे.

बिनिता शुक्ला

एक दिन में डॉक्टर्स को 60-70 मरीज से ज्यादा नहीं देखना चाहिए. तभी सभी मरीजों को अच्छे से समय देकर डॉक्टर्स देख पाएंगे. फीस के लिए एक गाइड लाइन होनी चाहिए.

सुप्रिया सिंह

वर्जन-

फीस और मरीजों की संख्या के लिए कोई गाइड लाइन नहीं है. हम लोगों को पढ़ाया जाता है कि एक मरीज को पूरा अच्छी तरह खुद जांचे. तभी मरीज को सही इलाज समय से मिल पाएगा.

डॉ. एपी गुप्ता, प्रेसिडेंट आईएमए

Posted By: Syed Saim Rauf