-पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड ने मेडिकल वेस्ट के थैले पर बार कोड लगाने का दिया निर्देश, खुले में मेडिकल कूड़ा फेंकने वाले की हो जाएगी पहचान

-मेडिकल वेस्ट की ऑनलाइन होती रहेगी मॉनीटरिंग

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चौंकिये नहीं, यहां बीएमडब्ल्यू कार की बात नहीं हो रही है। बल्कि, अस्पतालों से निकलने वाले बायो मेडिकल वेस्ट (बीएमडब्ल्यू) की बात हो रही है। सरकारी हों या पाइवेट हॉस्पिटल्स अपने यहां निकलने वाले बॉयो वेस्टेज को कहीं भी फेंक देते हैं। जो तमाम बीमारियों का घर होता है। संक्रमण फैलने से लोग अस्पतालों तक पहुंच जाते हैं। लेकिन अस्पताल ये मनमानी अब नहीं कर पायेंगे। क्योंकि हॉस्पिटल्स से निकलने वाले वेस्टेज कहां डिस्पोज किये गये अब इसकी मुखबिरी बार कोड करेगा। जी हां पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड ने मेडिकल वेस्ट जेनरेट करने वाली संस्था को मेडिकल वेस्ट के थैले पर एक बार कोड लगाने को कहा है। जिसमें उसकी डिटेल्स दर्ज होगी। इसके बाद यह वेस्ट मैनेजमेंट स्थल पर पहुंचेगा तब इस बार कोड को डिकोड कर उसकी डिटेल चेक की जाएगी। साथ ही मेडिकल वेस्ट लाने वाली गाड़ी पर जीपीएस लगाकर ऑनलाइन ट्रैक की जाएगी। इसके लिए रिव्यू कमेटी बनेगी। जो रिपोर्ट देगी। इससे यह पता चल सकेगा कि सब ठीक हो रहा है कि नहीं। बायोमेडिकल वेस्ट के सेग्रीग्रेशन के बाद उसका ट्रीटमेंट, डिस्पोजल आदि की पूरी जानकारी वेबसाइट पर लोड रहेगी। इससे पता चलेगा कि कितना वेस्ट निकल रहा है।

तीन कैटेगरी में है वेस्ट मैनेजमेंट

मेडिकल वेस्ट को तीन कैटेगरी रेड, ऑरेंज व ब्लू में बांटा गया है। रेड कैटेगरी में उस संक्रमित कचरे को रखा गया है, जो हेल्थ के लिए घातक है। ऑरेंज कैटेगरी में बॉडी पार्ट्स को रखा गया है, लेकिन वह संक्रमित नहीं होना चाहिए। ब्लू कैटेगरी में सिरिंज, ग्लूकोज बोतल आदि को रखा गया है। जिसे कॉमन मेडिकल वेस्ट प्लांट में भेजा जाता है। जहां इनका निस्तारण किया जाता है।

कहां से कितना निकलता है वेस्ट

- 15 सौ बेड वाले बीएचयू हॉस्पिटल से निकलता है 37.50 केजी मेडिकल वेस्ट

- 300 बेड वाले बीएचयू ट्रामा सेंटर से निकलता है 7.50 केजी मेडिकल वेस्ट

- पूर्वोत्तर रेलवे हॉस्पिटल और कैंसर रिसर्च सेंटर से 30 केजी तक मेडिकल वेस्ट

- डीएलडब्ल्यू सेंट्रल हॉस्पिटल से 20 केजी मेडिकल वेस्ट

- बड़े प्राइवेट हॉस्पिटल से 20 केजी मेडिकल वेस्ट

- छोटे प्राइवेट हॉस्पिटल से 5 किलो मेडिकल वेस्ट

- स्टेट गवर्नमेंट के कबीर चौरा हास्पिटल से 50 केजी मेडिकल वेस्ट

- दीनदयाल हॉस्पिटल से 30 केजी मेडिकल वेस्ट

- डायग्नोस्टिक सेंटर से 1 केजी मेडिकल वेस्ट

बढ़ा रहा है खतरा

-खुले में पड़ा मेडिकल कचरा उसके सम्पर्क में आने वाले इंसान और जानवरों की सेहत को प्रभावित करता है

- यूज्ड सिरिंज आदि की वजह से कई बार लोग गंभीर बीमारी के शिकार होते हैं

- कूड़े को हटाने के लिए कई बार उसे जला दिया जाता है इससे हवा जहरीली होती है

- फैक्ट्री से निकलने वाले कचरे की वजह से जमीन और भूमिगत जल जहरीला हो रहा है

-नदियों में बढ़ते प्रदूषण की भी यह एक वजह बन रहा है

मेडिकल वेस्ट को लेकर ऑनलाइन निगरानी की प्रक्रिया शुरू हो गई है। डिस्पोजल बैग पर बार कोड होगा।

विवेक राय, प्रोजेक्ट मैनेजर

सेंट्रल फॉर पाल्यूशन कंट्रोल

हॉस्पिटल को चिन्हित कर उन्हें नोटिस दी जा चुकी है। मेडिकल वेस्ट के निस्तारण में लापरवाही बरतने वालों पर कड़ी कार्रवाई तय है।

डॉ। वीबी सिंह, सीएमओ

Posted By: Inextlive