एक दवा घोटाले पर कार्रवाई पूरी होती नहीं कि दूसरा आ जाता है सामने

-एसडीएम, एनएमसीएच, पीएमसीएच के बाद अब आया बीएमएसआईसीएल दवा घोटाला

- घोटाले की वजह है दलाल कल्चर, पॉलिटिकल रंग ले चुका है दवा घोटाला

- इस घोटाले को लेकर बीजेपी और जेडीयू के बीच हुई आर-पार की स्थिति

PATNA: पटना दवा घोटालों की राजधानी बन गया है। एक दवा घोटाले पर कार्रवाई पूरी नहीं होती कि दूसरा दवा घोटाला सामने आ जाता है। सरकार की नाक के नीचे। पीएमसीएच, एनएमसीएच का दवा घोटाला फेमस हुआ, तो अब नए घोटाले की चर्चा है। जाहिर बात है नया घोटाला जो बीएमएसआईसीएल से जुड़ा है, सामने आया है तो तत्कालीन मिनिस्टर के कार्यकाल की जांच भी जीतनराम मांझी की सरकार करेगी ही घोटाला जब हुआ था, तब बीजेपी और जेडीयू गठबंधन की सरकार बिहार में थी। अब बीजेपी सत्ता से बाहर ऑपोजिशन पार्टी बनी हुई है।

एमएलए मंजीत सिंह ने बीजेपी को घेरा

एमएलए मंजीत सिंह ने कहा कि तत्कालीन हेल्थ मिनिस्टर अश्विनी चौबे ने दवा घोटाले की बात विधानसभा में स्वीकारी थी। उन्होंने कहा कि नंदकिशोर यादव और अश्विनी चौबे की भूमिका की जांच सरकार को करनी चाहिए। अश्विनी चौबे अभी सांसद हैं और नंदकिशोर यादव लीडर ऑपोजिशन। मंजीत सिंह के बयान के बाद पॉलिटिक्स नया रंग ले रही है। घोटाले को लेकर कुछ दिनों पहले एक्स डिप्टी सीएम व सीनियर बीजेपी लीडर सुशील कुमार मोदी ने प्रेस कांफ्रेस भी किया। जेडीयू एमएलए मंजीत सिंह के बयान के बाद नीतीश सरकार में बीजेपी कोटे से हेल्थ मिनिस्टर बने अश्विनी चौबे और नंदकिशोर यादव की ओर मामला घूमता दिखने लगा है, लेकिन इससे नीतीश कुमार कैसे खुद को अलग रख पाएंगे। आखिर सरकार के मुखिया तो वही थे।

नया घोटाला ऐसे हुआ

ये दवा खरीद का नया घोटाला है। बिहार मेडिकल कॉरपोरेशन लिमिटेड यानी बीएमएसआईसीएल से दवा खरीद का मामला जुड़ा है। टेंडर की प्रक्रिया ख्0क्क् में 9 वें राउंड की दवा की खरीद के लिए टेंडर प्रक्रिया से शुरू की गई थी। ये प्रक्रिया दिसंबर, ख्0क्फ् में पूरी हुई और भ्ख् दवाओं के लिए कंपनियों को सप्लाई ऑर्डर किया गया। जनवरी, ख्0क्ब् से अगस्त, ख्0क्ब् के बीच म्0 करोड़ म्फ् लाख की दवाओं की खरीद की गई।

मामले में ये फंस रहे

पहला मामला है उन दवा कंपनियों से दवा खरीद का है, जो दूसरे राज्य में ब्लैक लिस्टिेड थीं। दूसरा मामला है राज्य स्वास्थ्य समिति की ओर से तय रेट से ज्यादा कीमत पर दवा खरीदने का। मामले में हेल्थ डिपार्टमेंट ने डॉ। केके सिंह कमेटी की जांच रिपोर्ट सामने करते हुए बताया है कि दवा खरीद में गड़बड़ी हुई है। रिपोर्ट को आधार मानते हुए बीएमएसआईसीएल के एमडी प्रवीण किशोर और टेक्निकल इवैल्यूएशन कमेटी यानी टीईसी के चेयरमैन संजय कुमार सहित 9 अफसरों को जिम्मेवार ठहराया है। इनके अलावा निदेशक प्रमुख डॉ। सुरेन्द्र कुमार, उद्योग निदेशक ओम प्रकाश पाठक, राज्य औषधि नियंत्रक हेमंत कुमार सिन्हा, पीएमसीएच सुपरीटेंडेंट के नॉमिनी डॉ। विमल कारक, राज्य स्वास्थ्य समिति में आरसीएच के अपर निदेशक डॉ। डी.के। रमन, यूएनएफबीए के प्रतिनिधि श्री हैदर और बीएमएसआईसीएच के महाप्रबंधक त्रिपुरारी कुमार हैं। इन्हीं के सिग्नेचर के बाद टेंडर को फाइनल किया गया था।

सीबीआई जांच की डिमांड और क्ख् साल

बीएमएसआईसीएल से जुड़े दवा घोटाले में सीबीआई जांच की डिमांड हो रही है। मांग करने वालों को जानना चाहिए कि बिहार में ख्00ख् में एमएसडी (मेडिकल स्टोर डिपो) घोटाला हुआ था। इसमें तब के ज्यादातर सिविल सर्जन फंसे थे। ये मामला तब से सीबीआई में चल रहा है। क्ख् साल हो चुके हैं।

सीबीआई या किसी अन्य एजेंसी से जांच करायी जाए। इससे अच्छा है कि जानकार ईमानदार लोगों की कमेटी बनाकर इसकी जांच करायी जाए। मामला कुछ ही दिनों में दूध का दूध पानी का पानी हो जाएगा।

-गुड्डू बाबा, सोशल एक्टिविस्ट

गवर्नमेंट ने कमेटी बनायी और इस आधार पर जांच हुई और अब कार्रवाई हो रही है। गवर्नमेंट इसे किसी भी सूरत मे बर्दाश्त नहीं करेगी कि दवा के नाम पर गड़बड़ी हो। शो कॉज किया गया है। गड़बड़ी करने वाले को बख्शा नहीं जाएगा।

- दीपक कुमार, प्रिसिंपल हेल्थ सेक्रेटरी

एमएमसीएच दवा घोटाला

ये घोटाला हुआ था ख्007-08 में। लगभग 98 लाख का दवा घोटाला हुआ था, तब मिनिस्टर थे नंद किशोर यादव। इसमें लोकल पर्चेज का मामला आया था। घोटाले की पुष्टि हो गई है। पांच सदस्यीय कमेटी ने मामले की जांच की थी। इसमें आरोप ये लगा था कि राज्य स्वास्थ्य समिति से दवा की रेट अप्रूव होने के बावजूद एनएमसीएच में 98 लाख का एक ही वित्तीय वर्ष में लोकल पर्चेज किया गया। कमेटी ने रेट से ज्यादा में खरीदा, तब वहां सुपरीटेंडेंट डॉ। एन.पी। यादव थे, बाद में उन्हें प्रमोशन देकर पीएमसीएच का प्रिंसिपल भी बनाया गया।

पीएमसीएच दवा घोटाला

पीएमसीएच में जो दवा घोटाला हुआ था वह ख्009-ख्0क्0 में हुआ था। मिनिस्टर थे अश्विनी चौबे। इसमें नेफ्रोलॉजी डिपार्टमेंट के लिए केमिकल की रिजेंट की खरीददारी दोगुने-तीगुने रेट पर हुई थी। ङ्कढ्ढष्टक्त्रङ्घरु जो ऑपरेशन के बाद टांका लगाने वाला धागा था, का टेंडर हुआ लेकिन ङ्कढ्ढष्टक्त्रङ्घरु के साथ-साथ एंटिवाइक्टेरियल वीकरेल की भी खरीद की गई थी, जबकि टेंडर में सिर्फ ङ्कढ्ढष्टक्त्रङ्घरु की पब्लिश किया गया था। इसका कॉमन नाम प्रोग्लैक्टीन 9क्0 है। टेंडर इसी नाम से होना चाहिए था पर खास कंपनी जॉनस का ब्रांड नेम ङ्कढ्ढष्टक्त्रङ्घरु इस्तेमाल किया गया था। कांपटीशन एक्ट ख्00ख् जो इंडिया गवर्नमेंट का गजट है। इसके तहत ब्रांड नेम से टेंडर नहीं निकाल सकते। इस मामले में विजिलेंस ब्यूरो की ओर से क्भ् लोगों पर एफआईआर दर्ज की गई है, साथ ही क्फ् लोगों को इसी मामले में अप्राथमिक अभियुक्त बनाया गया है। इनवेस्टिगेशन जारी है। उम्मीद है कि और कई बड़ों के नाम इसमें जुड़ेंगे। लगभग क्फ् करोड़ सरकारी रेवन्यू के नुकसान की बात विजिलेंस ने कोर्ट में दिए हलफनामे में कही है। इसके आलावा ख्0क्क्-क्ख् में म्भ् लाख के केमिकल के सर्जरी भंडार में एक्सपायरी का मामला सामने आया। ये मामला कोर्ट में है।

Posted By: Inextlive