साल भर में आधे से अधिक घट गया कैंची का कारोबार

Meerut। चाइनीज कैंची ने देश और दुनिया में खास पहचान रखने वाली मेरठी कैंची की धार को कुंद कर दिया है। करीब दो साल पहले भारतीय बाजार में आई चाइनीज कैंची ने अपने कारोबार को इस कदर बढ़ा लिया कि अब इसका असर मेरठ के कैंची उद्योग और बाजार पर पड़ने लगा है। हालत यह हैं कि दो साल में मेरठ का कैंची उद्योग प्रति वर्ष 30 करोड़ से सिमट कर अब मात्र 17-18 करोड़ तक रह गया है। कारोबार से जुड़े कारीगर भी अपनी राह बदल दूसरे कारोबार में भविष्य तलाशने लगे हैं। दूसरी ओर कारोबारी चाइनीज कैंची पर रोक लगाने की मांग को लेकर आंदोलन का मन बना रहे हैं।

350 साल पुराना कारोबार

मेरठ में कैंची उद्योग की नींव करीब 350 साल पहले आखून जी ने 1680 में रखी थी। तभी से मेरठ की कैंची और कैंची की धार देश विदेश में अपनी पहचान बनाने लगी थी। लोहियानगर और कैंचीयान मोहल्ला में इस कारोबार से करीब 20 हजार से अधिक कारोबारी जुडे़ हुए हैं। लेकिन पिछले 2 साल पहले आई चाइनीज कैंची सस्ती होने के कारण बाजार में पकड़ बनाने लगी। इस कैंची की क्वालिटी और उम्र मेरठ की कैंची से काफी हल्की और कम होने के बाद भी दाम में सस्ती होने के कारण आज चाइनीज कैंची का बाजार तेजी से बढ़ते हुए 60 प्रतिशत तक फैल गया है।

कम हुआ कारोबार

हालत यह है कि चाइनीज कैंची की बाजार में लगातार बढ़ती पैंठ का असर मेरठ के कैंची कारोबार की आमदनी पर पड़ने लगा है। इसी का नतीजा है कि दो साल पहले 30 करोड़ से अधिक का सालाना कारोबार करने वाला कारोबार अब सिमट कर 17-18 करोड़ रह गया है। पुराने कारीगर अपना भविष्य खतरे में देखते हुए इस कारोबार को छोड़ रहे हैं। गत दो साल में करीब 25 प्रतिशत कारीगर कैंची उद्योग से नाता तोड़ चुके हैं। अब कैंची कारोबारियों ने चाइनीज के खिलाफ मोर्चा खोलने का मन बना लिया है।

जीएसटी की मार

दो साल पहले जीएसटी के 18 प्रतिशत स्लैब में शामिल होने के कारण कैंची उद्योग को भारी नुकसान हुआ था। कैंची मंहगी होने के कारण ग्राहकों की संख्या में कमी और इंडस्ट्रीज को नुकसान हुआ था। अब दो साल में जैसे-तैसे जीएसटी की मार से कैंची उद्योग उभरने लगा तो चाइनीज कैंची के बाजार से कैंची कारोबारियों की नींद उड़ी हुई हैं।

चाइनीज और देसी कैंची में अंतर

चाइनीज कैंची के दाम- 150 से 180

देसी टेलर कैंची के दाम - 250 से 300

देसी कैंची में ब्रास हैंडल का प्रयोग होता है जिससे इसकी आयु 50 से 60 वर्ष तक रहती है। दोबारा धार लगाकर कैंची का प्रयोग किया जा सकता है।

चाइनीज कैंची में फोरसिंक मैटल का प्रयोग किया जाता है जिसकी धार एक या डेढ़ साल में खराब हो जाती है। और इस पर दोबारा धार भी नही लगती है।

चाइनीज कैंची की रिपेयरिंग नही हो सकती जबकि देसी कैंची को कई बार धार लगाकर प्रयोग कर सकते हैं।

कैंची कारोबार को चाइनीज कैंची के कारण काफी नुकसान पहुंच रहा है। हालत यह है कि अब कैंची कारोबारी अपना उद्योग बंद करने की स्थिति में आ गए हैं। हमारी मांग है कि चाइनीज कैंची पर इंपोर्ट डयूटी को पाकिस्तान की तरह 200 प्रतिशत कर देना चाहिए।

शरीफ अहमद, मेरठ सीजर मैन्यूफैक्चर एसोसिएशन

कैंची कारोबार पहले ही जीएसटी में शामिल होने के कारण नुकसान में था। लोहियानगर में इस उद्योग को मूलभूत सुविधाओं से अभी तक जूझना पड़ रहा है। उद्योगपति पहले से परेशान हैं। अब चाइनीज कैंची के बढ़ते बाजार से परंपरागत उद्योग पूरी तरह बंदी के कगार पर आ गया है।

विनोद कुमार, बिंदल सीजन कंपनी

चाइनीज प्रोडक्ट भारत में बैन है। फिर चाइनीज कैंची को क्यों बिकने दिया जा रहा है। इस पर रोक लगनी चाहिए। सस्ती होने के कारण इसका मार्केट तेजी से बढ़ रहा है, लेकिन क्वालिटी बिल्कुल बेकार है।

मो रिहान, माया सीजर इंडस्ट्रीज

चाइनीज कैंची की क्वालिटी और उम्र कभी देसी कैंची से बराबरी नही कर सकती है। पर आजकल ग्राहक कैंची की क्वालिटी नहीं, बल्कि दाम देख रहा है।

हाजी मोईन, एमए गनी सीजर

हम प्रशासन, सांसद और उद्योग विभाग से यह मांग करेंगे की चाइनीज कैंची के विस्तार पर रोक लगाई जाए। नही तो हम लोग भी अपना उद्योग बंद कर आंदोलन में जुट जाएंगे।

आबिद हुसैन, सीईओ सिग्मा सीजर

Posted By: Inextlive