-गोबर को शहर से बाहर ले जाने की कवायद शुरू, बनेगा कंपोस्ट खाद

-नगर निगम ने दो मार्च को बुलाई डेयरी संचालकों एसोसिएशन की बैठक

-डेयरी संचालक संगठन ने किया निगम की बैठक का किया बहिष्कार, टैक्स बर्दाश्त नहीं

Meerut: नगर निगम ने पशु डेयरियों पर टैक्स लगाने की कवायद शुरू कर दी है। इसको लेकर निगम ने दो मार्च को डेयरी संचालकों की बैठक बुलाई है। बैठक में नगर आयुक्त और मेयर डेयरी संचालकों से विचार विमर्श कर गोबर को शहर से बाहर ले जाने का फॉर्मूला तलाशेंगे। इसके साथ ही शहर में मौजूद डेयरियों पर गोबर टैक्स भी लागू किया जाएगा। इस गोबर को बेचकर नगर निगम अपने आय के श्रोत को भी मजबूत करेगा। उधर, डेयरी संचालकों ने निगम के इस प्रस्ताव पर असहमति जताई है। उनका कहना है कि उन पर टैक्स न लाद कर उन्हें कैटल कालोनी बना कर दी जाए।

कमिश्नर के आदेश का असर

कमिश्नर आलोक सिन्हा के निर्देश पर नगर निगम ने दो मार्च के डेयरी संचालकों की बैठक बुलाई है। इस संबंध में शनिवार को नगरायुक्त उमेश प्रताप सिंह व मेयर हरिकांत अहलूवालिया ने विचार विमर्श कर बैठक बुलाने का निर्णय लिया। नगर आयुक्त ने कहा कि शहर के गोबर को किराए के वाहनों द्वारा शहर से बाहर डंपिंग ग्राउंड पर ले जाएगा। इसके लिए आधा खर्च डेयरी संचालक को देना होगा, जबकि आधा निगम खुद उठाएगा।

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7.20 करोड़ आएगा राजस्व

भाजपा पार्षद विजय आनंद अग्रवाल ने इस संबंध में एक प्रस्ताव नगर आयुक्त को सौंपा है। प्रस्ताव के अनुसार प्रत्येक डेयरी में कुल भैंसों की गिनती की जाएगी। इसके बाद प्रत्येक भैंस को एक यूडीआई यानी यूनीक नंबर वितरित किया जाएगा। इसके बाद प्रत्येक भैंस पर 200 रुपए प्रति माह टैक्स व्यवस्था लागू होगी। योजना के अंतर्गत प्रत्येक डेयरी के बाहर निगम एक कंटेनर रखेगा, जिसमें डेयरी संचालक गोबर डालेगा। इस कंटेनर को निगम की गाड़ी प्रति दिन खाली कर डंपिंग ग्राउंड में गोबर डालेगी। पार्षद के प्रस्ताव के अनुसार निगम की झोली में हर माह 60 लाख और सालाना 7.20 करोड़ रुपए की आमदनी होगी।

ऐसे बनेगा कंपोस्ट खाद

नगर निगम इस गोबर से कंपोस्ट खाद बनाएगा। जिसको बेचकर निगम को मोटी आय प्राप्त होगी। नगर आयुक्त ने बताया कि गोबर को कलेक्ट कर उसको एक स्थान पर डंप किया जाएगा। इसके बाद एक प्राइवेट खाद एजेंसी को इसका टेंडर दिया जाएगा। कंपोस्ट खाद बनने के बाद इस खाद को पैकिंग में बंद कर बेचा जाएगा। इस तरह से इस प्रक्रिया से निगम के खाते में करोड़ों रुपया राजस्व आ जाएगा।

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शहर में 800 मीट्रिक टन कूड़ा

शहर में इस समय 1705 डेयरियां हैं। ये तो वो डेयरियां हैं जो नगर निगम में रजिस्टर्ड हैं, जबकि शहर में 2000 से अधिक डेयरियां अवैध रूप से चल रही हैं। इन डेयरियों में मौजूद पशुओं की संख्या 30 हजार से अधिक है। इन डेयरियों से रोजाना 800 मीट्रिक टन गोबर रोजाना निकलता है। शहर में 70 फीसदी गंदगी इन डेयरी की देन है।

दो मार्च को डेयरी संचालकों की बैठक बुलाई गई है। गोबर को शहर से बाहर ले जाएगा। इसके लिए डेयरी संचालकों पर आधा खर्च लगाए जाने की योजना है। गोबर से कंपोस्ट खाद बनाया जाएगा।

उमेश प्रताप सिंह, नगर आयुक्त

हम पर यदि कोई टैक्स लादा जाएगा तो हम उसका विरोध करेंगे। निगम हमें कैटल कालोनी बनाकर दे। हम कैटल कालोनी में जाने को तैयार हैं। इसके अतिरिक्त किसी भी टैक्स का विरोध किया जाएगा।

हाजी असलम, कोषाध्यक्ष डेयरी संचालक संघ संगठन यूपी

Posted By: Inextlive