- कथक डांसर पंडित राजेंद्र गंगनी गुरुवार को मेरठ पहुंचे तो आई नेक्स्ट के साथ की खास बातचीत

- विभिन्न अंतर्राष्ट्रीय अवार्ड से सम्मानित पंडित राजेंद्र 20 सालों से कथक से जुड़े हुए हैं

Meerut : मेरठ में बहुत टेलेंट है, बस उन्हें तराशने वाले जौहरी की आवश्यकता है। मेरठ के युवाओं में डांस और म्यूजिक को लेकर बहुत ही रुचि है, जिसे देखकर बहुत ही खुशी का अहसास होता है। गुरुवार को आई नेक्स्ट के साथ बातचीत के दौरान कथक डांसर पंडित राजेंद्र गंगनी ने मेरठ के युवाओं को स्पिक मैके के लिए पे्ररित किया। पंडित राजेंद्र गंगनी को काफी सारे अंतर्राष्ट्रीय अवार्ड मिल चुके हैं। ख्00फ् में पंडित राजेंद्र गंगनी को संगीत नाटक एकेडमी अवार्ड मिला था। ख्0क्क् में साउथ अफ्रीका में बेस्ट कोरियोग्राफर और क्99म् में चाइना ने बेस्ट परफॉर्मर अवार्ड दिया और अभी तीन महीने पहले सितारा देवी अवार्ड मिला है। पंडित राजेंद्र गंगनी जयपुर से विलोंग करते है और फिलहाल दिल्ली में ही है।

- युवाओं में स्पिक मैके को लेकर अभी ज्यादा क्रेज नहीं है। इसके बारे में आपका क्या कहना है?

जब तक आप किसी चीज के बारे में अच्छे से नहीं जानते हैं, तब तक आपको उसमें बोरियत का ही अहसास होगा। इसलिए हमारा प्रयास है युवाओं को इसकी नॉलेज देना व स्पिक मैके में युवाओं की रुचि बढ़ाना।

- अपनी संस्कृति के बारे में आप क्या कहना चाहेंगे ?

मेरे हिसाब से अगर हमारे जीवन में हमारी संस्कृति व परिवारिक नाम न जुड़ा हो तो हमारे हाई एजुकेटेड होने का भी कोई मतलब नहीं है।

- डांस और म्यूजिक से आप कब से जुड़े हैं?

मैं पांच साल की उम्र का था तभी से मैंने मंच पर अपना प्रदर्शन शुरू कर दिया था। पिछले बीस सालों से मैं स्पिक मैके से जुड़ा हुआ हूं।

स्पिक मैके का मेन मोटिव क्या है?

कुछ सब्जेक्ट हमारे कल्चर में होने पर भी उन्हें हटा दिया जाता है। इसी कारण युवा अपनी संस्कृति से दूर जा रहे हैं। लेकिन स्पिक मैके का प्रयास रहा है बच्चों को संगीत महसूस कराना और उन्हें प्रेरित करना।

- पहले का म्यूजिक एवर ग्रीन हुआ करता था लेकिन अब म्यूजिक में भी अश्लीलता परोसी जा रही हैं, क्या आपको ऐसा लगता है?

पहले का म्यूजिक सदाबहार हुआ करता था, जिसे आज भी पसंद किया जाता है, लेकिन आज का म्यूजिक काफी बदल गया है। आज हर चीज में पॉल्यूटेड करके एक शब्द जुड़ गया है। जैसे पहले हम खुद को पवित्र करने के लिए नदियों में स्नान करने जाया करते थे, लेकिन आज हालात यह है नदियां सुख चुकी है और हमें खुद को गंगा की सफाई करनी पड़ रही है। हमारा प्रयास यही है कि हम म्यूजिक से पॉल्यूटेड शब्द को हटाकर फिर से सदाबहार शब्द जोड़ दें।

- आप स्पिक मैके को कितना जरुरी समझते हैं?

इंसान की सोच दूषित हो चुकी है। इस दूषित सोच को बदलने के लिए स्पिक मैके बहुत ही जरुरी है।

- अक्सर इस तरह की एक्टिविटी पब्लिक स्कूलों में ही ज्यादा होती है, गवर्नमेंट में बहुत कम देखने को मिलती है?

ऐसा नहीं है, स्पिक मैके का उदद्ेश्य सौ गवर्नमेंट स्कूलों से जुड़ने का है। ताकि गवर्नमेंट स्कूलों के स्टूडेंट्स में भी स्पिक मैके के प्रति रुचि बढ़ाई जा सके।

Posted By: Inextlive