आई एक्सक्लूसिव

- अब्दुल्लापुर में नगर निगम की टीम के आगे आज भी नाचता है 'वो मंजर'

- शताब्दीनगर, गंगानगर आवासीय योजनाओं में प्रशासन की टालमटोल से आए दिन बेकाबू होती स्थिति

- पैठ पर प्रशासन साफ नहीं कर पा रहा स्थिति, संघर्ष की नौबत को नजरअंदाज कर रहे

- संप्रेषण गृह में भी आए दिन बवाल कर रहे किशोर, लॉ एंड आर्डर हो रहा हैमर

Meerut : नगर निगम के एक अफसर के सामने आज भी वो मंजर तैर रहा है। 4 जनवरी 2016 को पुलिस-प्रशासन के साथ निगम का बुल्डोजर आगे बढ़ रहा था तो माइक पकड़े 'अब्दुल्ला' चीख रहा था कि कोई आगे बढ़े तो पत्थर से मारो, हथियार हाथ ले लो, मोर्चा संभालो। अफसर ने आई नेक्स्ट को बताया कि मथुरा के जवाहरबाग जैसा ही मंजर था वो। कुछ हमारी किस्मत और कुछ सूझबूझ का नतीजा रहा जो हम बच गए।

शहर में कई 'वो मंजर'

एक-दो नहीं शहर में कई वो मंजर हैं जो मथुरा के जवाहरबाग की यादें ताजा करते हैं। जवाहरबाग प्रकरण में जिला प्रशासन की भूमिका नकारात्मक रही तो यहां भी कमोवेश ऐसा ही हाल है। जिला प्रशासन का लगातार टालमटोल रवैया कई बार तो लॉ एंड आर्डर पर भारी पड़ रहा है। हर घटनाक्रम के पीछे प्रशासन लापरवाही सामने आ रही है। विभिन्न दबावों को कारण संवेदनशील मुद्दों की ओर से भी प्रशासन आंखें फेर रहा है।

अब्दुल्लापुर प्रकरण

मेरठ के अब्दुलापुर गांव के कुछ वाशिंदों ने राज्य सरकार की जमीन को कब्जा लिया। नगर निगम के नियंत्रण में दर्ज इस बेशकीमती भूमि को कई बार खाली कराने का नाकाम प्रयास हुआ। नगर निगम जब भी प्रयास करता है, लॉ एंड आर्डर की स्थिति हर बार झेलनी होती है।

शताब्दीनगर आवासीय योजना

मेरठ में शताब्दीनगर, गंगानगर समेत 8 आवासीय योजनाएं विकास प्राधिकरण और किसानों के बीच विवाद के कारण अटकी पड़ी हैं। डीएम किसानों और प्राधिकरण के बीच मीडिएटर का काम कर रहे हैं किंतु हल किसी भी मसले का नहीं निकला। आए दिन किसान आंदोलन कर रहा है।

मेरठ के पैठ बाजार

हाईकोर्ट के आदेश के बाद शहर की सड़कों पर काबिज पैठ कारोबारी विरोध की रणनीति तय कर रहा है तो वहीं पुलिस-प्रशासन मसले पर गंभीर नहीं है। किसी कड़े फैसले के बजाय बीच का रास्ता निकाला जा रहा है। ये रास्ता आने वाले समय में लॉ एंड ऑर्डर पर भारी पड़ेगा।

बवालियों का अड्डा

शहर के रिहायशी एरिया में स्थित राजकीय संप्रेषण गृह के बाहर तैनात पुलिस और पीएसी के जवान जान दांव पर लगाकर हंगामे के दौरान उपद्रवी किशोरों से मोर्चा लेते हैं। प्रशासनिक नजरअंदाजी की वजह से आए दिन निरुद्ध किशोरों और पुलिस-पब्लिक के बीच संघर्ष हो रहा है।

अलकरीम प्रकरण

घंटाघर स्थित होटल अलकरीम का प्रकरण भी शहर में चर्चित रहा है। हाईकोर्ट के आदेश के बाद होटल की ऊपरी मंजिल को गिराने के लिए प्राधिकरण ने जब-जब जोर आजमाइश की, शहर में लॉ एंड ऑर्डर की स्थिति पर आ बनी है। प्रकरण अभी भी अधर में है।

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विवादित प्रकरणों में कभी-कभी प्रशासन जनता को वास्तुस्थिति की जानकारी नहीं दे पाता, तब ऐसी स्थितियां आती हैं। मेरठ में फिलहाल सभी मुद्दों पर प्रशासनिक अफसर जनता और शिकायती के संपर्क में हैं। अधीनस्थों और विभागों को सचेत होने और जल्द निपटाने के निर्देश दिए हैं।

-पंकज यादव, डीएम, मेरठ

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गले की फांस बना 'फरमान'

25 मई को डीएम पंकज कुमार ने जनपद की सभी तहसीलों को फरमान जारी कर तालाब, जोहड़, नाला-नाली, चकरोड आदि सरकारी संपत्तियों पर जमे अवैध कब्जेदारों को खदेड़ने के आदेश दिए हैं। ये आदेश अधीनस्थों के गले की फांस बना हुआ है। एक माह में रिपोर्ट देनी थी और आलम यह है कि अभी तक तहसील स्थल पर अवैध कब्जेदारों के चंगुल में फंसी सरकारी संपत्तियों को लिस्टेड ही नहीं किया गया है।

Posted By: Inextlive