अपने लीक से हट कर योग और समाधि से जुड़े प्रवचनों और विचारों के लिए हमेशा विवादों के बीच रहे आचार्य रजनीश उर्फ ओशो अपने लग्‍जीरियस लाइफ स्‍टाइल के लिए भी जाने जाते थे। सबसे ज्‍यादा ध्‍यान आकर्षित करती थीं उनकी 90 रोल्‍स रॉयस कारें जो उन्‍हें उनके अनुयायियों ने दीं थीं।

संभोग से समाधि
बतौर लेक्चरर अपना करियर शुरू करने वाले आचार्य रजनीश जो ओशो के नाम से भी फेमस हुए अपने अनोखे विचारों के चलते हमेशा ही विवादित रहे हैं। ओशो का दर्शन पारंपरिक भारतीय विचारधारा के बिलुकुल विपरीत त्याग और तपस्या से दूर भोग और ऐश्वर्यशाली जीवन शैली का अनुसरण करने का ज्ञान देता था। यही कारण है कि उनके अनुयायियों में विदेशी और भारतीय धनी और ग्लैमरस जीवन जीने वाले शामिल थे। उनके फॉलोअर्स में बॉलीवुड के कई नामचीन सितारे शामिल रहे हैं जिसमें उस समय के सुपर स्टार कहे जाने वाले एक्टर विनोद खन्ना और अभिनेत्री परवीन बॉबी का नाम प्रमुखता से लिया जाता है। 1968 में उनके प्रवचनों पर आधारित पुस्तक 'सेक्स से समाधि तक' का प्रकाशन हुआ और तब से लोग उन्हें सेक्स गुरू भी कहने लगे।  
पैसे वाले सर्मथकों ने दी 90 रोल्स रॉयस
रजनीश के ऐसे ही समर्थकों ने उन्हें प्रचुर मात्रा में मंहगे तोहफे चढ़ावे के तौर पर दिए। इन्हीं में शमिल थी रोल्स रॉयस कारों की पुरी एक फ्लीट थी जिसमें 90 कारें शमिल थीं। हालाकि ज्यादातर वो किसी एक कार में ही सफर करते थे पर कभी एक कार में रजनीश स्वंय चलते थे और पीछे काफिले के रूप में पूरी लंबी पंक्ति उनकी इन मंहगी कारों की होती थी। रजनीश को अपने इस शानदार पजेशन पर खासा गर्व था। और उनका कहना था कि उनके भक्त तो चाहते हैं कि उनके पास 365 रोल्स रॉयस कारें हों ताकि वो साल के हर दिन एक अलग कार में बैठें। रजनीश का कहना था इससे उनके अनुयायियों को सुख मिलता है और वो उनके सुख को छीनना नहीं चाहते। 

उन्मुक्त भोग और नशे की स्वतंत्रता
1962 में पहला ध्यान केंद्र प्रारंभ करने वाले आचार्य रजनीश जून 1981 में अपने शिष्यों और सारे तामझाम के साथ अमेरिका चले गए थे। जहां 64 हजार एकड़ पर उन्होंने रजनीशपुरम की स्थापना की, यह स्थान अपने आप में एक रियासत की तरह था, जिसकी अपनी पुलिस, अपना न्यायालय और अपना अस्पताल भी था। 1985 में अमेरिकन सरकार ने नशीले पदार्थ और दूसरे कई मामलों में उन पर लगे आरोपों की जांच पड़ताल शुरू की। जिसके बाद 28 अक्टूबर 1985 को उन्हें जर्मनी में गिरफ्तार कर लिया गया, हालाकि बाद में वे बिना शर्त रिहा भी हो गये। इक्कीस देशों द्वारा उनके प्रवेश को रोके जाने के बाद 29 जुलाई 1986 को वे वापस भारत आ गए। रजनीश का असली नाम चंद्रमोहन जैन था। 19 जनवरी 1990 को उनका निधन हो गया।

inextlive from Spark-Bites Desk

Posted By: Molly Seth