भारत चीन द्वारा डोकलाम में एक सड़क निर्माण को लेकर आमने सामने आ गए थे। जिसके बाद भारतीय सशस्‍त्र बलों को पीपु‍ल्‍स लिबरेशन अर्मी के जवान आपस में भिड़ गए थे। दोनो देशों ने अब वहां से हटने का फैसला किया है। ऐसे में इस विवाद को सुलझाने का श्रेय मोदी के पांच सिपेहसलारों को जाता है।


अजित डोभालमोदी की यात्रा के दौरान राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने अपने चीनी समकक्ष यांग जिएची से बात चीत के बाद बीजिंग में भी बात की। डोभाल ने शांति से बात करते हुए यह भी साफ किया कि भारत अपने स्टैंड से पीछे नहीं हटेगा। वो सैन्य और राजनयिकों के बीच चीफ कोर्डिनेटर थे साथ ही वह लगातार भूटान की सुरक्षा के बारे में आश्वासन दे रहे थे।एस जयशंकर


विदेश सचिव एस जयशंकर इन्होंने अपने अनुभव का इस्तेमाल चीन से निपटने के लिए भी किया। वो स्थिति का समाधान शांतिपूर्वक तरीको से करने के किए और समस्या का समाधान खोजने के प्रयास भी किए। धीमी प्रगति और चीन की इस विषय में न बात करने की इच्छा के बावजूद भी अपने प्रयासों को जारी रखा जब तक विदेश मंत्रालय ने चीनी के मौखिक हमलों पर प्रतिक्रिया नहीं दी। साथ ही उन्होंने भूटान और उसके नेतृत्व के साथ संबंधों को भी संभाला।लेफ्टिनेंट जनरल अनिल भट्ट

कश्मीर में आतंकवादियों के खिलाफ परिचालन के मोर्चे पर सफलता हासिल करने के बाद भट्ट ने खुद को चीनी मोर्चे पर भी साबित किया और साथ ही वह एलएसी कि स्थिति पर 24x7 निगरानी रखी और किसी भी घुसपैठ के प्रयास को विफल करने के लिए सैनिकों को हमेशा-तैयार मोड में रखा। उन्होंने अपने निदेशालय में भारतीय सेना के युद्ध कक्ष को कई बार स्थिति पर शीर्ष नेतृत्व को संक्षिप्त करने के लिए इस्तेमाल भी किया था।

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Posted By: Prabha Punj Mishra