आप माने या ना माने मगर ये है एक दम सच एक तथाकथित रूसी राजकुमारी का पुत्र माइकल पीटर फोमेंको 24 वर्ष की उम्र में ही घर छोडक़र आदिवासियों से जा मिला था और फिर वो 60 साल तक ऑस्ट्रेलिया के जंगलों में मगरमच्छों और भालुओं के साथ रहा और इसीलिए अब इस 84 वर्षीय बुजुर्ग को असल जिंदगी में ‘टार्जन’ कहा जाता है।

एक कविता से प्रेरित होकर छोड़ा घर
60 वर्षों तक माइकल पीटर फोमेंको जंगलों में रहा था। होमर की विश्वप्रसिद्ध कविता ‘द ओडिसी’ से प्रेरित होकर उसने सिर्फ 24 वर्ष की उम्र में घर छोड़ दिया था। इसके बाद ये क्वीन्सलैंड के जंगलों में ही रहा। एक अवसर पर तो इसने देवदार की लकड़ी से बनी नाव पर क्वीन्सलैंड से न्यू गुयाना की यात्रा भी कर ली थी।
जाने कहानी असली टार्जन की
दरअसल, माइकल पीटर फोमेंको एक रूसी राजकुमारी एलिजाबेथ मेकेबली और एथलीट डेनियल फोमेंको का बेटा है। 1930 के दशक में इसके परिवार ने रूस छोडक़र जापान में शरण ली थी। कुछ समय बाद 1937 में युद्ध के कारण ये परिवार ऑस्टे्रलिया आ गया था। वहां भाषाई परेशानी और रिफ्यूजी जीवन से तंग आकर फोमेंको खुद को अलग-थलग पाने लगा था।

हो गया घर से दूर
वर्ष 1959 में खबर सुर्खियों में थी कि एक व्यक्ति को भूखी-प्यासी अवस्था में आदिवासियों ने बचाया था। वह व्यक्ति नाममात्र के कपड़े पहने था, जिस कारण उसे पुलिस ने भी गिरफ्तार किया था। बाद में उसे दिमागी अस्पतालों में भी भर्ती कराया गया था, लेकिन छूटने पर वह फिर से आदिवासियों से जा मिला था। इसके बाद फोमेंको का पता 2012 में चला था और उसे एक वृद्धाश्रम में भर्ती कराया गया था।

चैंपियन खिलाड़ी था फोमेंको
युवावस्था में फोमेंको चैंपियन एथलीट था। राज्य स्तर पर अच्छे प्रदर्शन के बाद उसे मेलबर्न ओलंपिक में भेजने पर विचार हो रहा था, लेकिन उससे पहले ही वह घर से निकल भागा था। बाद में कुछेक बार उसे शहरों में भी दिखा था। 2012 में इसके गायब होने के बाद प्रशासन फोमेंको को लेकर गंभीर हुआ। कुछ समय बाद पता चला था कि वो एक वृद्धाश्रम में है, जहां ये आज भी है। कूइंदा एज्ड केयर के अनुसार फोमेंको वहां खुश है। हालांकि वो किसी से बोलता नहीं और अकेला ही रहता है, लेकिन इतनी लंबी यात्रा के बाद अब वो संतुष्ट है।

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Posted By: Molly Seth